Auraiya News: यमुना में जलस्तर बढ़ने से गांव में घुसा पानी, हाल जानने तक नहीं आ रहे जनप्रतिनिधि
बाढ़ का दंश झेल रहे ग्रामीणों ने अब जनप्रतिनिधियों के ऊपर सवाल खड़ा कर दिया है। उनका कहना है कि जिन्हें उन्होंने अपना कीमती वोट देकर जीत दिलाई वह ही उनकी समस्या को सुनने के लिए नहीं आए।
Auraiya News: जिस यमुना के पानी से कभी किसान अपनी फसलों की सिंचाई करके अपने परिवार का भरण पोषण करते हुए अपना जीवन यापन कर रहे थे। वही यमुना इस समय क्षेत्र के लोगों के लिए काल साबित होती हुई दिखाई दे रही है। लगातार हुई बारिश और कोटा बैराज से छोड़े गए पानी के बाद यमुना के बीहड़ क्षेत्र किनारे बसे गांवों की स्थिति दयनीय हो गई है। यहां पर चारों ओर पानी ही पानी दिखाई दे रहा है।
बाढ़ का दंश झेल रहे ग्रामीणों ने अब जनप्रतिनिधियों के ऊपर सवाल खड़ा कर दिया है। उनका कहना है कि जिन्हें उन्होंने अपना कीमती वोट देकर जीत दिलाई वह ही उनकी समस्या को सुनने के लिए नहीं आए। कहा कि वह लोग भूखों मरने की कगार पर पहुंच गए हैं और यहां पर अभी तक किसी भी प्रकार की कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है। उन्हें रात में खुले आसमान के नीचे सोना पड़ता है और गंदा पानी पीकर अपने आप को जीवित रखना पड़ रहा है।
यह हर एक दो गांव का नहीं बल्कि बीहड़ क्षेत्र के लगभग आधा दर्जन गांव का है। ग्राम पंचायत असेवा के लोगों का कहना है कि उनके घरों के चारों ओर पानी भरा हुआ है और जो हर नीचे थे उनके अंदर तक पानी घुस गया है। वह अपने सामान को सुरक्षित करने की कवायद में लगे हुए हैं। अनाज उनका सारा भीग कर नष्ट हो चुका है अब उनके सामने दो वक्त की रोटी का संकट भी खड़ा हो गया है। सोने के लिए उन्हें छत नसीब नहीं हो रही है और पीने के लिए वह गंदा पानी इस्तेमाल कर रहे हैं।
आरोप लगाया कि जिला प्रशासन ने बड़ी-बड़ी बातें करते हुए यह घोषणा कर दी है कि बाढ़ ग्रस्त सभी इलाकों में भोजन व राशन मुहैया कराया जा रहा है। मगर यहां पर अभी तक किसी भी सरकारी इमदाद की एक बूंद मुहैया नहीं कराई गई है। ग्रामीणों में जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आक्रोश दिखाई दे रहा है। उनका कहना है कि जब उन्हें वोट चाहिए थे तो वह दिन में चार चार चक्कर लगाते थे मगर अब जब उनके सामने बाढ़ जैसी समस्या खड़ी हो गई है तो वह लोग मुंह छुपा कर पता नहीं कहां चले गए हैं। उन्होंने जनप्रतिनिधियों की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाया है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि यहां पर किसी भी जनप्रतिनिधि एवं सरकारी सहायता को अब तक नहीं भिजवाया गया है। जबकि गांव में पानी भरे हुए दो-तीन दिन से अधिक का समय हो गया है।