UP Election 2022: छिड़ा बड़ा सियासी संग्राम, सपा-भाजपा-बसपा ने उतारे कन्नौज की तीनों विधानसभा में प्रत्याशी

Up Election 2022: कन्नौज की सदर विधानसभा की बात करें तो यहाँ तीनों प्रत्याशी धुरंधर है। जो एक बढ़कर एक है कोई ख्याति में है तो कोई राजनीति में।

Newstrack :  Network
Published By :  Ragini Sinha
Update:2022-02-01 11:59 IST

विधानसभा चुनाव  (design photo : Newstrack)

Up Election 2022 : यूपी के कन्नौज (Kannauj) जिले में सपा (sp), भाजपा ( bjp )और बसपा (Bsp) ने अपने–अपने प्रत्याशियों (Candidates list) की सूची फाइनल कर दी है, जिसके बाद अब सियासी संग्राम छिड़ गया है। सभी विधायक बनने की उम्मीद में जनता को लुभाने में जुट गये है। सपा (samajwadi party) ने कन्नौज सदर विधानसभा (Kannauj sadar assembly seat) सुरक्षित सीट पर अनिल दोहारे (Anil Dohare) को प्रत्याशी बनाया है।

वहीं, उनको टक्कर देने के लिए भाजपा ने असीम अरूण पर इस बार भरोसा जताया है और बसपा ने कन्नौज सदर सीट से समरजीत दोहरे को प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा है‚ इसमें बसपा प्रत्याशी समरजीत और भाजपा प्रत्याशी असीम अरूण दोनों ही मूल रूप से तिर्वा विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले हैं‚ लेकिन सपा प्रत्याशी अनिल दोहरे अपने परिवार के साथ अपने निजी निवास कन्नौज सदर में ही रह रहे है‚ जो लगातार तीन बार जीत कर विधायक बन चुके है।

सदर विधानसभा में एक से बढ़कर एक प्रत्याशी

कन्नौज की सदर विधानसभा की बात करें तो यहाँ तीनों प्रत्याशी धुरंधर है। जो एक बढ़कर एक है कोई ख्याति में है तो कोई राजनीति में। भाजपा ने आईपीएस अधिकारी असीम अरूण को मैदान में उतारा है तो वहीं सपा ने लगातार विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने वाले अनिल दोहरे पर ही भरोसा जताया है‚ विधानसभा चुनाव 2007, 2012 व 2017 में समाजवादी पार्टी की ओर से अनिल दोहरे ने चुनाव लड़ा और लगातार जीत की हैट्रिक लगाई।

वर्ष 2007 से 2017 तक लगातार सपा की सदर सीट से अनिल दोहरे विधायक हैं और उनके पिता बिहारी लाल दोहरे भी तीन बार विधायक रह चुके थे। इस बार बसपा ने भी कन्नौज सदर सीट पर जो कि सुरक्षित सीट है‚ किसी से पीछे न रहे इसके लिए बसपा ने अपने पुराने नेता समरजीत दोहरे जो काफी समय से बसपा में सक्रिय है। इससे पूर्व वे जोनल कोऑर्डिनेटर बुंदेलखंड रहे हैं‚ जिनको इस सुरक्षित सीट पर दांव लगाया है। इस विधानसभा में लगातार सपा और भाजपा के बीच चुनावी संघर्ष होता चला आ रहा है जिसमें लगातार सपा ने ही तीनो बार जीत हासिल की है।

अबकी बार भाजपा ने भी सपा को टक्कर देने के लिए एक चर्चित चेहरा असीम अरूण को जनता के बीच प्रत्याशी बनाकर उतारा है। जिसका फायदा भाजपा कितना उठा पायेगी यह आने वाला समय ही बतायेगा‚ हालांकि असीम अरूण भाजपा के विश्वास को मजबूत करने के लिए लगातार जनता के बीच पहुंचकर जनता का दिल जीतने की कोशिश में जुटे हुए है।

तिर्वा विधानसभा में इस बार होगा त्रिकोणीय मुकाबला

तिर्वा विधानसभा सीट पर सपा ने पूर्व राज्यमंत्री विजय बहादुर पाल के बेटे अनिल पाल पर दांव लगाया है। अनिल पाल को पिता की विरासत के रूप में राजनीति मिली है। उनके पिता दो बार विधायक रहे चुके हैं। अनिल पाल भी अपने पिता की तरह जनता के लोकप्रिय नेता के रूप में अपनी पहचान बना रहे है और यह उनके लिए सपा ने अच्छा मौका दिया है जिससे भी जनता के दिलों पर राज कर सके। तो वहीं बसपा ने इस बार अजय वर्मा को तिर्वा विधानसभा से अपना प्रत्याशी बनाया है।

अजय वर्मा वर्ष 1996 में भाजपा से मंडल उपाध्यक्ष रहे। वर्ष 1998 में भाजपा युवा मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष बने। इसके बाद वर्ष 2000 में भाजपा से लघु उद्योग प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष बनाए गए। वर्ष 2007 में भाजपा जिला महामंत्री रहे। वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव से पूर्व पदयात्रा एवं मेरा परिवार भाजपा परिवार अभियानों में जिला संयोजक का दायित्व निभाया। वर्ष 2020 में मंडल प्रभारी कन्नौज देहात का दायित्व मिला। वर्तमान समय में क्षेत्रीय सह संयोजक पंचायत प्रकोष्ठ कानपुर बुंदेलखंड क्षेत्र का दायित्व निर्वहन कर रहे थे।

इसके साथ विधानसभा प्रभारी भोजपुर जनपद फर्रुखाबाद का दायित्व भी निभा रहे थे। वर्तमान में उमर्दा विकास खंड के ब्लाक प्रमुख भी हैं। अजय वर्मा ने भाजपा से इस्तिफा देकर बसपा का दामन थामा है जिसके बाद हाईकमान ने तिर्वा विधानसभा से अजय वर्मा का बसपा प्रत्याशी के रूप में टिकट दिया है। भाजपा ने फिर दोबारा तिर्वा विधानसभा से कैलाश राजपूत को ही अपना उम्मीदवार बनाया है। कैलाश राजपूत पुराने कद्दावर नेता है जिनकी क्षेत्र में अच्छी पकड़़ है। जनता के लोकप्रिय नेता के साथ–साथ उनका क्षे़त्र में दबदबा भी है। इस बार तिर्वा विधानसभा में सपा–भाजपा और बसपा के बीच त्रिकाेणीय मुकाबला होने की संभावना है क्यों कि तीनों ही क्षेत्र के नामी और कद्दावर नेता है। जिसकी बजह से इस बार का चुनाव तिर्वा विधानसभा के लिए मजबूत चुनाव होगा। अब देखना यह है कि कौन जनता के दिल पर राज करेगा।

छिबरामऊ विधानसभा में सपा को झटका देने के लिए बसपा ने खेला यह दांव

छिबरामऊ विधानसभा सीट से साल 2017 के चुनाव में सपा ने अपने निवर्तमान विधायक अरविंद सिंह यादव पर ही भरोसा जताया है। सपा के अरविंद यादव के मुकाबले बीजेपी ने वर्तमान विधायक अर्चना पांडेय को ही दोबारा प्रत्याशी बनाया है। बीजेपी की अर्चना पाण्डेय ने पिछले विधानसभा 2017 में सपा के गढ़ में सेंध लगा लगाते हुए अरविंद सिंह यादव को 37 हजार वोट से अधिक के अंतर से हराया था।  बहुजन समाज पार्टी ने इस बार छिबरामऊ सीट से कमालगंज के पूर्व विधायक की पुत्रवधू को चुनावी मैदान में उतारा है।

बसपा ने छिबरामऊ विधानसभा से पहली बार महिला प्रत्याशी वाहिदा बानो जूही पर दांव लगाया है। बसपा प्रत्याशी वाहिदा बानो जूही का राजनीति से पुराना नाता रहा है। उनके ससुर अनवार अहमद साल 1977 में कमालगंज विधानसभा से विधायक रह चुके हैं। इसके अलावा उनके पति मरहूम सुल्तान अहमद शिब्बू समधन के चेयरमैन रह चुके हैं। बसपा ने इस दांव से सपा को झटका लगा है। सपा के खेमे में इस बात की चर्चा जोरों पर है।

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