Mahoba News: मंत्री के निरीक्षण के बाद पुराने ढर्रे पर लौटा जिला अस्पताल, लिखी जा रही बाहर की दवा

Mahoba News: मंत्री दिनेश सिंह के निरीक्षण के बाद जिला अस्पताल एक बार फिर पुरान तरीके से संचालित होना शुरु हो गए हैं। मरीजों को बाहर से मंहगी दवाइयां खरीदनी पड़ रही है।

Report :  Imran Khan
Update:2024-06-27 10:24 IST

Mahoba News (Pic: Newstrack)

Mahoba News: महोबा में सूबे के मंत्री के निरीक्षण के बाद जिला अस्पताल फिर अपने पुराने ढर्रे पर लौट आया। मंत्री के वापस जाते ही मरीज को बाहर की दवा लिखने का मामला सामने आया है। जहां एक गरीब मरीज को इलाज के नाम पर दो हजार रुपए कीमत की बाहरी दवा लिख दी गई। नि:शुल्क इलाज की उम्मीद लेकर आए गरीब परिवार इस आर्थिक शोषण से हताश और परेशान दिखाई दिया।

दिनेश प्रताप सिंह ने किया था निरीक्षण

सूबे की सरकार, सरकारी अस्पतालों में निशुल्क इलाज के लाख दावे कर रही है वहीं इसके लगातार प्रयास भी किए जा रहे हैं लेकिन महोबा में यह प्रयास या तो ना काफी है या फिर अस्पताल में काम करने वाले डॉक्टरों को सरकार और जनप्रतिनिधियों का कोई खौफ नहीं है। आपको बता दें कि आज उत्तर प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री और जिले के प्रभारी मंत्री दिनेश प्रताप सिंह एक दिवसीय दौरे पर महोबा पहुंचे। जहां सबसे पहले उन्होंने जिला अस्पताल पहुंचकर स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत जानी और वहां मौजूद सीएमओ, सीएमएस सहित अन्य स्टाफ से आने वाले मरीजों को मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत को भी समझा। उनके इस निरीक्षण में जिले के डीएम मृदुल चौधरी सहित विधान परिषद सदस्य जितेंद्र सिंह सिंगर, जिला पंचायत अध्यक्ष जेपी अनुरागी और अन्य जनप्रतिनिधि और नेता मौजूद रहे।

मरीज को लिखी गई बाहर की दवा

ताज्जुब की बात है कि जिला अस्पताल के निरीक्षण के बाद विकास योजनाओं की समीक्षा कर मंत्री के वापस जाते ही जिला अस्पताल फिर पुराने ढर्रे पर दिखाई दिया। आपको बता दें कि जिला अस्पताल हमेशा बाहर की दवा लिखे जाने को लेकर चर्चा में रहता है। मंत्री को जिला छोड़ें कुछ घंटे ही बीते थे मगर फिर भी सरकार के आदेशों से बेखौफ ड्यूटी में तैनात डॉक्टर बाहर की दवा लिखने से बाज नहीं आए। बताया जाता है कि अजनर थाना क्षेत्र के महुआबांध गांव निवासी दयाराम की 35 वर्षीय पत्नी गीता गाय के सींग मारने से गंभीर रूप से घायल हो गई, जिसे लेकर परिवार के लोग इलाज के लिए जिला अस्पताल पहुंचे थे जहां इमरजेंसी वार्ड में तैनात डॉक्टर ने प्राथमिक उपचार कर उन्हें बाहर की दवा लिख दी। बाहर से खरीदी गई दवा की कीमत दो हजार रुपए निकली है। उसका पति दयाराम बताता है कि वो एक मजदूर गरीब व्यक्ति है इसलिए घायल पत्नी के उचित निशुल्क इलाज के लिए ही जिला अस्पताल आया था मगर यहां तो प्राइवेट अस्पताल से अधिक खर्चा हो गया। उसकी जेब में पड़े सिर्फ दो हजार रुपए भी इलाज के नाम पर बाहर की दवा लेने में खत्म हो गए।

अस्पताल के शोषण से परेशान मरीज

बाहर की दवा लाने के बाद भी उसकी घायल पत्नी को आराम नही मिला और डॉक्टर ने उसे प्राथमिक उपचार के बाद हायर सेंटर झांसी के लिए रिफर कर दिया। महिला का पति बताता है कि उसके पास इतने रुपए नहीं है कि वह अपनी पत्नी को इलाज के लिए बाहर लेकर जा सके उसके पास सिर्फ दो हजार रुपए ही थे जिसकी उसने बाहर से दवा खरीद ली है। अब वह अपनी पत्नी के इलाज के लिए चिंतित और परेशान है। वहीं घायल महिला का भाई दशरथ बताता है कि वह निशुल्क इलाज की उम्मीद लेकर जिला अस्पताल आए थे लेकिन यहां बाहर की दवा लिखकर डॉक्टर मरीज और तीमारदारों का आर्थिक शोषण कर रहे हैं। जिले के अस्पताल में उन्हें बाहर की दवा लिखी गई जो दो हजार की आई है और अब हायर सेंटर में कैसा शोषण होगा यह सोचकर परिवार परेशान दिखाई दिया। बहरहाल सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को कोसता हुआ गरीब परिवार घायल महिला को एंबुलेंस से हायर सेंटर इलाज के लिए लेकर चला गया।

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