UP के इस जिले में रक्षाबंधन के दिन नहीं बांधी जाती राखी, जानें पूरा मामला

Mahoba News: पूरे देश में रक्षाबंधन पर्व के बाद महोबा में एक दिन बाद भाई और बहन के अटूट प्रेम का पर्व रक्षाबंधन की परंपरा बहनों ने अपने भाईयों की कलाई में राखी बांधकर निभाई है।

Report :  Imran Khan
Update: 2024-08-20 10:47 GMT

यूपी के इस जिले में रक्षाबंधन के दिन नहीं बांधी जाती राखी (न्यूजट्रैक)

Mahoba News: पूरे देश में रक्षा बंधन का पर्व सावन की पूर्णमासी के दिन मनाया जाता है लेकिन बुंदेलखंड के महोबा में यह पर्व परमा के दिन मनाया जाता है, क्योकि पूर्णमासी के दिन यहाँ दिल्ली के राजा पृथ्वीराज चौहान की सेना और महोबा के शूरवीरो के बीच धनघोर युद्ध चल रहा था और विजय उपरांत दूसरे दिन रक्षा बंधन का पर्व मनाया गया तभी से यह प्रथा चली आ रही है।

बता दें कि पूरे देश में रक्षाबंधन पर्व के बाद महोबा में एक दिन बाद भाई और बहन के अटूट प्रेम का पर्व रक्षाबंधन की परंपरा बहनों ने अपने भाईयों की कलाई में राखी बांधकर निभाई है। महोबा में रक्षाबंधन को विजय पर्व के रूप में मनाया जाता है। यही वजह है कि इस दिन महोबा की वीरता को दर्शाती भव्य झांकी सहित 15 दिवसीय मेले का आयोजन होता है। इस दिन महोबा के शूरवीर आल्हा ऊदल ने राखी के वचन को निभाते हुए पृथ्वीराज चौहान की सेना को महोबा से खदेड़ दिया था जिसके बाद इस पर्व को बहनों ने धूमधाम के साथ मनाया है।

भाई बहन के प्यार एवम बहनों की रक्षा के मनाये जाने वाला रक्षा बंधन का त्यौहार पूरे देश में पूर्णमासी में मनाया जाता है, लेकिन महोबा जनपद में रक्षा बंधन का त्यौहार पूर्णमासी के एक दिन बाद परमा के दिन मानने की परंपरा है। 832 ईसा पूर्व में दिल्ली के राजा पृथ्वीराज चौहान ने अपने सात लाख सैनिको के साथ महोबा के राजा परमाल पर आक्रमण कर पांच शर्त रख युद्ध न करने की बात कही थी लेकिन राजा परमाल ने पांचो शर्तो को ठुकरा दिया जिससे पृथ्वीराज चौहान ने महोबा पर आक्रमण कर दिया था।

राजा परमाल के वीर योद्धा आल्हा उदल ने पूर्णमासी के दिन पृथ्वीराज चौहान की सेना को धुल चटा यहाँ से भगा दिया। पूरे दिन लड़ाई चलने के कारण पूर्णमासी के दिन रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं हो पाया जिससे एक दिन बाद इस पर्व को मनाया जाता है। तभी से महोबा में रक्षाबंधन परमा के दिन मनाया जाता है। इस त्यौहार को बहनें अपने भाइयों की कलाइयों पर राखी बांधकर रक्षा का वचन लेती है। पूजा और काजल बताती है कि वह एक दिन बाद रक्षाबंधन पर्व को लेकर उत्साहित रहती हैं। क्योंकि महोबा की यह परंपरा रही है कि यहां परमा के दिन रक्षाबंधन मनाया जाता है।

इस चंदेल कालीन परंपरा को निभाते हुए महोबा की बहने अपने भाइयों को राखी बांधती हैं। पूर्वज बताते रहे हैं की पूर्णमासी के दिन होने वाले रक्षाबंधन पर्व पर दिल्ली के शासक पृथ्वीराज चौहान की सेना ने महोबा में आक्रमण कर दिया था। जिस कारण महोबा जनपद में रक्षाबंधन पर्व नहीं मनाया गया लेकिन यहां की सेना ने दिल्ली की सेना को हराकर इस पर्व को और अधिक महत्वपूर्ण बना दिया यही वजह है कि आज के दिन इस रक्षाबंधन पर्व को हम बहने विजय दिवस के रूप में भी मनाती हैं।

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