कोरोना काल में पानी की एक-एक बूंद के लिए तड़प रहे लोग, 156 परिवारों के बीच लगा एक हैंडपम्प

एक-एक बूंद पानी के लिए कितना इंतजार और कितना संघर्ष करना पड़ रहा है।

Reporter :  Praveen Pandey
Published By :  Monika
Update: 2021-05-23 15:24 GMT

 पानी पीने के लिए तरस रहे लोग (फोटो : सौ. से सोशल मीडिया )

किशनी/मैनपुरी: रहिमन पानी राखिये बिन पानी सब सून की कहावत देखनी हो तो नगर पंचायत किशनी आइए और देखिए उन गरीबों की दुर्दशा जो एक एक बूंद पानी के लिए परेशान हैं। इनको एक एक बूंद पानी के लिए कितना इंतजार और कितना संघर्ष करना पड़ रहा है।

नगर पंचायत के गांव जिजई के पास बसपा सरकार के समय गरीब शहरी आवासों का निर्माण किया गया था। यहां पर 156 आवास तीन मंजिला इमारतों में बनाये गये थे। यहां पर रहने वालों के लिए पानी की टंकी, हैण्डपम्प, बिजली की व्यवस्था आदि का इंतजाम किया गया था। बताते चलें कि इन आवासों में रहने वाले लोग मजदूरी कर अपना पेट पालते हैं। अधिकांश घरों की महिलाएं कस्बे के घरों में बर्तन मांजने का कार्य करतीं हैं। बेहद गरीब तबके से आने वाले परिवारों को अब पानी भी नसीब नहीं हो रहा है।

सरकार की योजना में लगाई गई थी पानी की टंकी

सड़क के दोनों ओर 156 आवासों को दो भागों में बनाया गया है। सरकार की योजना में सभी के लिए पानी का इंतजाम किया था। इसके लिए पानी की टंकी भी बनाई गई थी। पर भारी भ्रष्टाचार के कारण तथा मानकों से अनदेखी के कारण बनी पानी की टंकी कुछ दिनों के बाद टपकने लगी। स्थानीय लोगों के अनुसार करीब दो तीन वर्षों से उनको टंकी से पानी नहीं मिला। इसके अलावा टंकी से पानी न आने के कारण छतों पर लगी पानी की टंकियां भी टूट कर बरबाद हो गई। टंकी के अलावा पानी के लिए छः हैंडपम्प भी लगाये गये थे। पर कई माह से पांच हैंण्डपम्प खराब पड़े हैं। आज स्थिति यह है कि 156 परिवारों के सैकडों सदस्य मात्र एक हैंडपम्प के सहारे गुजारा करने को मजबूर हैं। आवासों में रहने वाले लोग इकलौते हैंडपम्प के आगे पानी के बर्तन लेकर लम्बी लम्बी लाइनें लगाकर घंटों अपनी बारी की प्रतीक्षा करते हैं। इस बीच उनमें आपसी झगड़े भी हो जाते हैं।

पशुओं को देने के लिए भी नहीं पानी 

लोगों का कहना है कि आवासों में रहने वाले कई परिवार अपने गुजारे के लिये गाय, भैंस, बकरी आदि भी पाले हुये हैं। जब उनको ही पानी नहीं मिल रहा है तो वह जानवरों को पानी कैसे पिलाएंगे। अपने कपड़े कैसे धोयें। इसके अलावा जो परिवार तीन मंजिल के ऊपर निवास करते हैं उनको एक एक बाल्टी पानी ऊपरी मंजिल तक पहुंचाना बहुत ही दुश्कर कार्य हो जाता है। पर गरीबों की इन परेशानियों से नगर पंचायत का कलेजा नहीं पसीजता है। उनको अपनी उसी गति से काम करना है जिस गति से करने के आदी रहे हैं। पानी के लिये मारामारी करने वाले गरीब भीड़ लगाने को मजबूर हैं। इससे कोरोना संक्रमण फैलने का भी खतरा बढ़ता जा रहा है। मांग करने वालों में मालती देवी, मीनादेवी, ऊषा देवी, मुन्नी बेगम, बिटोली देवी, सुमन, भूपेन्द्र, धनदेवी, पिन्कीदेवी, ज्योति, रानी, अर्चना, रामबीर, जुवैदा बेगम, शान्ति देवी आदि लोग मौजूद थे।

कौन है मम्मा? महिलाओं ने की इसके खिलाफ शिकायत 

मैनपुरी से एक और मामला सामने आया है जहां कांशीराम आवासों में रहने वाली महिलाओं ने बार बार मम्मा नाम के व्यक्ति का जिक्र कर बताया कि उक्त व्यक्ति चेयरमैन का साला है। वह नगर पंचायत के कर्मियों से शिकायकर्ताओं के खिलाफ पुलिस में शिकायत करने को कहता है। महिलाओं ने बताया कि उन्होंने चेयरमैन से कई बार शिकायत की पर वह सुनता ही नहीं है। महिलाओं का आरोप है कि चुनाव के समय पैर पकड़ कर वोट मांगने वाला चेयरमैन जीतने के बाद आज तक उनकी खैर खबर लेने नहीं आया। चेयरमैन के अलावा भी उन्होंने नगर पंचायत कार्यालय में भी शिकायत की पर लोग आवासों के पास बनी गौशाला तक तो आते हैं, लेकिन गरीबों का हाल जानने कभी नहीं आते। महिलाओं ने बताया कि कई माह से सिर्फ आधे आवासों में ही बिजली आती है। बाकी लोग अंधेरे में ही रातें काटने को मजबूर हैं। एक महिला ने तो यहां तक कह दिया कि जब बिना पानी के ही मरना है तो कोरोना से ही मर जायेंगे। आवास में चारों ओर गंदगी का साम्राज्य है। सफाईकर्मी वहां सफाई करने नहीं जाता है। महिलाओं ने चेतावनी भी दी कि यदि जल्दी ही उनकी सुनबाई नहीं की गई तो वह एसडीएम कार्यालय के बाहर जाकर धरना देकर अपनी बात कहेंगीं। 

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