Mathura News: काशी के रहने वाले आशीष सिंह का कृष्ण की नगरी तक का है अनूठा सफर

Mathura News: नृत्य मंजरी दास आशीष सिंह प्रसिद्ध कथक कलाकार पद्मश्री पंडित बिरजू महाराज की शिष्या संगीता सिन्हा और सरला नारायण के आर्शीवाद और भगवान शिव की कृपा को ही वृंदावन वास का आधार मानते है ।

Newstrack :  Network
Update:2024-10-05 19:39 IST

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Mathura News: मंदिरों के शहर मथुरा वृंदावन की बात ही निराली है । कृष्ण की नगरी में वही आ पाता हे जिसे राधा रानी बुलाती है और जिसका प्रेम और आस्था कृष्ण को समर्पित होती है । इसीलिए कान्हा की नगरी को तीन लोक से न्यारी नगरी भी कहा जाता है क्योंकि यहां वह सब देखने और सुनने को मिलता है जिसकी कल्पना साक्षात के बाद भी सपने की तरह दिखाई देती हे । आज हम आपको ऐसे ही एक कलाकार से मिलाने जा रहे है जो भगवान शिव की नगरी काशी के रहने वाले हे । जिन्होंने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से संगीत एवम् मंच कला संकाय की शिक्षा ग्रहण की और देश के विभिन्न राज्यों के साथ साथ विदेशो में भी जाकर कत्थक की छाप तो छोड़ी ही साथ ही कत्थक की कला और परंपरा को बनाए रखने के लिए जगह जाकर बच्चो को कत्थक की शिक्षा भी दी है।

“नृत्य मंजरी दास” वृंदावन में आशीष को मिला नया नाम

आशीष को वृंदावन में आकर एक नया नाम मिला हे और अब आशीष नृत्य मंजरी दास के नाम से जाने और पहचाने जाते है । नृत्य मंजरी दास आशीष सिंह प्रसिद्ध कथक कलाकार पद्मश्री पंडित बिरजू महाराज की शिष्या संगीता सिन्हा और सरला नारायण के आर्शीवाद और भगवान शिव की कृपा को ही वृंदावन वास का आधार मानते है । आशीष सिंह कई अवॉर्ड पा चुके है और अब वह सिर्फ ठाकुर जी की ही सेवा को ही जीवन का आधार मान मीरा बाई को अपनी नृत्य सेवा दे रहे है।

नृत्य मंजरी दास निधिवन के समीप स्थित मीराबाई मंदिर में पिछले 2016 से दे रहे है नृत्य सेवा

कॉमन वेल्थ गेम्स 2010 (उद्घाटन समारोह) में भी पण्डित बिरजू महाराज के नृत्य निर्देशन में अपनी नृत्य प्रस्तुति दी है। 2015 में आशीष ने चाइना में The 2nd Silk Road International Arts Festival में भी दर्जनों नृत्य प्रस्तुतियां दीं। इसके साथ ही “बॉलीवुड सिंगर सोना महापात्र जी के साथ उनके अलबम “मंगल गान” में भी नृत्य प्रस्तुत किया है और अब आशीष नृत्य मंजरी दास बनकर 2016 में जब से वृंदावन आए है तब से निरंतर सुबह और शाम मीराबाई के मंदिर में नृत्य सेवा समर्पित कर रहे है। नृत्य मंजरी दास का मानना है की कथक मंदिरों की परंपरा रही हे और इसी परंपरा को जीवंत रखने की इच्छा और शुरू से ही आध्यात्मिक प्रवृत्ति होने के चलते वृंदावन बिहारी जी ने बुला लिया । मीराबाई मंदिर में ही नृत्य सेवा देने के पीछे नृत्य मंजरी दास का तर्क हे कि इस मंदिर का अपना एक अलग महत्व है क्युकी मीरा बाई सा कृष्ण की एक अलग ही भक्त थी । मीराबाई मंदिर में नृत्यसेवा के बाद एक अलग ही अनुभूति होती हे और आनंद व शांति प्राप्त होती है ।

काशी से कृष्ण नगरी के वास को मानते हैं भगवान शिव की कृपा

शिव की नगरी काशी से लेकर कान्हा की नगरी और आशीष सिंह से लेकर नृत्यमंजरी दास तक के सफर को आशीष सिंह भगवान शिव की कृपा मानते हे । आशीष सिंह का मानना हे कि जिस पर शिव की विशेष कृपा होती हे उसे वह भगवान कृष्ण के पास भेज देते है। अब आशीष पूरी तरह से कृष्ण भक्ति में लग गए और भक्त शिरोमणि मीरा बाई सा की भजन स्थली में अपना कथक नृत्य का रियाज पिछले 9 साल से कर रहे है।बनारस के रहने वाले आशीष सिंह ने अपने शहर वाराणसी से अपनी नृत्य की प्रस्तुति की शुरुआत की। बनारस के अलावा आशीष ने बॉम्बे, नाशिक, दिल्ली, पुणे, कोलकाता, लखनऊ, प्रयागराज, असम, गोवाहटी, कटनी, रीवा, भदोही मिर्जापुर जबलपुर, सोनभद्र, उत्तराखंड, अल्मोड़ा, शिमला के साथ- साथ विदेशों (चाइना) में भी अपनी नृत्य कला प्रर्दशन किया है।

आशीष सिंह बच्चो को ऑन लाइन और ऑफ लाइन दोनो माध्यमों से कथक में रुचि रखने वाले बच्चो को कत्थक के गुर सिखाते है ताकि यह परंपरा को आगे बढ़ाया जा सके । आशीष सिंह मानते है कि आज भले ही पाश्चात्य संगीत युवाओं के दिल दिमाग पर कितना भी छाया हो लेकिन आज भी भारतीय शास्त्रीय संगीत का अपना एक अलग महत्व हे और अभिभावकों से भी आशीष अपील करते है कि बच्चो को भारतीय संगीत के प्रति प्रेरित करें ताकि बच्चो में संस्कार कायम रह सकें । आशीष सिंह रोजाना सुबह और शाम निधिवन के समीप स्थित मीराबाई मंदिर पहुंचते हे । आरती के बाद अपने पैरो में घुंघरू बांधते हे और फिर मीराबाई उनके आराध्य भगवान कृष्ण के समक्ष नृत्य सेवा करते है । जो मंदिर में आने वाले भक्तो के लिए एक अलग ही सुखद पल होता है ।

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