Holi 2024: रमणरेती आश्रम में भगवान ने भक्तों के साथ खेली अनूठी हर्बल होली
Holi 2024: होली यूं तो पूरे विश्व मे खेली जाती है लेकिन बृज की होली की बात ही कुछ और होती है। क्योंकि बृज में होली एक-दो दिन नहीं पूरे 40 दिन तक खेली जाती है।
Mathura News: होली यूं तो पूरे विश्व मे खेली जाती है लेकिन बृज की होली की बात ही कुछ और होती है। क्योंकि बृज में होली एक-दो दिन नहीं पूरे 40 दिन तक खेली जाती है। चालीस दिन तक खेले जाने वाली इस होली की शुरुआत बसंत पंचमी के दिन बाँके बिहारी में अबीर-गुलाल फेंकने के साथ ही शुरु हो जाती है और जैसे-जैसे देश भर में खेले जाने वाली होली का समय नजदीक आता है। वैसे वैसे बृज में खेले जाने वाली होली का रंग और चटक हो जाता है।
इस होली के रंग के चटक होने की शुरुआत महावन रमणरेती स्थित गुरु शरणानंद आश्रम में टेसू के फूलों से बने रंग की हाइड्रोलिक पिचकारी, अबीर गुलाल, फूलों व लड्डुओं से मिलने वाली मिठास के साथ होने लगती है। मस्ती के साथ सराबोर कर देने वाली होली का आनंद का साक्षी बनने के लिए देश विदेश से आये श्रद्धालु लालायित रहते है और इस होली में शामिल होकर खुद को धन्य समझते हैं।
रमणरेती की होली की विशेषता
रमणरेती में खेले जाने वाली होली की विशेषता यह रहती है कि यहां भगवान के स्वरूप स्वयं संतों व भक्तों के साथ आकर होली खेलते हैं। जिसमें भगवान अपनी सखियों और ग्वाल बालों के साथ सबसे पहले संतो के पास पहुँचते है और होली की शुरुआत करते हैं। इन फूलों की खुशबू जैसे ही सम्पूर्ण वातावरण में फैलती है वैसे ही सम्पूर्ण रमणरेती मस्ती में सराबोर होने लगती है। यह होली इसलिए भी खास होती है कि यह होली पूरी तरह हर्बल होली होती है क्योंकि भगवान भक्त और संतो के बीच फूलों से बने रंग, हर्बल गुलाल के साथ-साथ आस्था का रंग होता है। संत नागेंद्र महाराज के अनुसार भगवान के क्रीड़ा स्थली गोकुल की इस पावन भूमि रमणरेती में संत भगवान और भक्तों के बीच खेली गई होली रंग ही ऐसा है कि जो भी इसको देख लेता है। वह इस प्रेम रंग में रंगने के लिए चला आता है।