Mathura News: श्रीगिरिराज महाराज का पंचरत्नम महाभिषेक कर लगाया गया 56 भोग का प्रसाद
Mathura News: 56 भोग से पहले सप्त नदियों के जल व जड़ी बूटियों से गिरिराज जी का हुआ महाअभिषेक, सप्त रत्नों के बने रथ में राजाधिराज स्वरूप में विराजे गिरिराज साथ में विराजी राधा रानी
Mathura News: कान्हा की नगरी मथुरा के गिरिराज धाम में गिरिराज सेवा समिति द्वारा अनंत चतुर्दशी पर गिरिराज महाराज का 21 हजार किलो का अलौकिक 56 भोग का कार्यक्रम श्री गोवर्धन की गिरि तलहटी में संपन्न हुआ। इस दौरान परिक्रमा हरियाली की हरिप्रियतमा और रंग बिरंगी रोशनी से जगमग हो रही थी। ब्रज के इतिहास में यह पहला मौका था जब गिरिराज महाराज सप्त रत्नों से सजे रथ पर राधा रानी के साथ दर्शन दें रहे थे। भक्त लालायित होकर अपने आराध्य के दर्शन कर रहे थे। रथ पर सवार गिरिराज भगवान द्वारकाधीश रूप में भक्तों को दर्शन दे रहे थे।
गिरिराज प्रभु का श्रृंगार राजाधिराज रूप में किया गया था जिसमें असली हीरे, मोती, नीलम, पन्ना, पुखराज, गोमेद जैसे नवरत्नों से श्रृंगार किया गया था। प्रभु हीरा जड़ित बाँसुरी धारण किए हुए थे।समिति के संस्थापक मुरारी अग्रवाल ने बताया कि इन्द्र के मानमार्दन के उपरांत ब्रजवासियों ने जैसे गिरिराज महाराज को छप्पन भोग लगाया उसी भाव को साकार करने के भाव से श्रीगिरिराज सेवा समिति परिवार द्वारा यह उत्सव का आयोजन किया गया। इसके लिए समिति परिवार सदस्यों द्वारा महाभिषेक कर भगवान गिरिराज महाराज को छप्पन भोग का न्यौता दिया है।ब्रजवासियों के हाथों से तैयार 56 भोग जब भगवान को भोग लगाया गया तो उसकी छटा अलौकिक ही दिख रही थी। लोग इस पल को अपने कैमरे में कैद कर रहे थे क्योंकि प्रभु के इस रूप में दर्शन अब न जाने कब हो।
तब आंखों से भाव के आंसू निकल आते हैं
उधर कार्यक्रम में मौजूद सेवा समिति के भक्तों ने बताया कि हाथों से तैयार इस भोग को जब भगवान को लगाया जाता है और जब प्रसाद लेने के बाद जब पर्दा हटता है तब आंखों से भाव के आंसू निकल आते हैं और जो खुशी मिलती है उसका वर्णन किसी तरह से नहीं किया जा सकता। उन्होंने बताया कि बस प्रभु से ही कामना है कि जब तक जीवन रहे ऐसे ही दर्शन देते रहें।
साल भर इस उत्सव का इंतजार
उधर, भगवान के अलौकिक श्रृंगार अलौकिक सजा और अलौकिक 56 भोग के दर्शन जिसने भी किए वह कह उठा की प्रभु के दर्शन अपने आप हमको यहां खींच लाते हैं और इनका हम लोगों को साल भर इसका इंतजार रहता है।भक्त अंकित अग्रवाल का कहना था कि वे साल भर इस उत्सव का इंतजार रहते हैं। उन्होंने कहा, इसमें आनंद भी आता हे और परमानंद भी मिलता है।इस दौरान कलाकार भगवान कृष्ण और राधा रानी की लीलाओं का मंचन कर रहे थे और गिरिराज तहलटी गिरिराज धरन के जय जयकार से गुंजायमान हो रही थी। 56 भोग से पहले गिरिराज जी को यमुना, गंगा, गोदावरी, बह्मपुत्र, चिनार, कृष्ण, अलखनंदा के पवित्र जल दूध, दही, शहद व जड़ी बूटियों के पंचामृत से दिव्य पंचरत्नम महाभिषेक कराया गया और सखी रूप बने श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव से अभिषेक कर आरती की।