Krishna Janmbhumi Case: शाही ईदगाह को जन्मभूमि मानने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की दायर जनहित याचिका को खारिज किया है। तथ्यों के विवादित सवालों को देखते हुए न्यायालय का हस्तक्षेप करना सही नहीं होगा

Written By :  Aakanksha Dixit
Update:2024-01-05 13:04 IST

supreme court verdict source : NEWSTRACK

Mathura Shahi Masjid Case: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार, 5 जनवरी को मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद स्थल को कृष्ण जन्मभूमि के रूप में मान्यता देने और मस्जिद को हटाने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ जनहित याचिका (पीआईएल) पर विचार करने से इनकार कर दिया। हालांकि, यह बताया गया कि याचिकाकर्ता किसी भी कानून की वैधता को चुनौती देते हुए एक अलग याचिका दायर कर सकते है। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की खंडपीठ पिछले अक्टूबर में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा जनहित याचिका खारिज करने के बाद एडवोकेट महक माहेश्वरी द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

क्या है श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद

काशी और मथुरा का विवाद काफी हद तक अयोध्या मामले जैसा ही है। मथुरा शाही मस्जिद मामला, एक महत्वपूर्ण धार्मिक-सामाजिक विवाद है, जिसमें मथुरा नगर के कटरा क्षेत्र में स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पास स्थित एक मस्जिद के स्थान पर हिन्दू समुदाय और मुस्लिम समुदाय के बीच चल रहा विवाद है। यह विवाद रामजन्मभूमि विवाद के समय से पहले ही शुरू हुआ था, लेकिन इसका मुद्दा फिर से उठा गया है। दावा किया जाता है कि औरंगजेब जो की एक कट्टर मुसलमान था उसने काशी और मथुरा में मंदिर तोड़े और फिर उनके स्थान पर मस्जिदें बनवाईं। 1669 में औरंगजेब ने काशी में विश्वनाथ बाबा मंदिर को ध्वस्त कर दिया था और 1670 में उसने मथुरा में केशवदेव मंदिर को तोड़ने का आदेश जारी किया। इसके बाद औरंगजेब ने काशी में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया । आपको बता दें कि मथुरा में विवाद कुल 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक को लेकर है। हिंदू पक्ष की ओर से शाही ईदगाह मस्जिद को हटाकर वहाँ की जमीन श्री कृष्ण जन्मस्थान को सौंपने की मांग की जा रही है वहीँ दूसरी और मुस्लिम पक्ष के लोग इसका लगातार विरोध कर रहें है। मामला कई सालों तक जिला अदालतों में चलता रहा है।

आसान शब्दों में कहे तो हिन्दू समुदाय का दावा है कि यह स्थान भगवान कृष्ण के जन्मस्थल का हिस्सा है और मस्जिद को हटा कर यहां हिन्दू धार्मिक स्थल को पुनर्निर्माण किया जाना चाहिए। वहीं, मुस्लिम समुदाय इसे अपने धार्मिक स्थल के रूप में मानता है और मस्जिद को बचाए रखने की मांग करता है। हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को मौखिक रूप से रोकने के लिए मस्जिद के परिसर की निरीक्षण के लिए अदालत आयुक्त की नियुक्ति की अनुमति देने से इनकार कर दिया।

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