मायावती का योगी सरकार पर बड़ा हमला, 17 OBC जातियों पर दिया बयान
बीते करीब दो दशकों से इन 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का प्रयास चल रहा है। योगी सरकार से पहले सपा और बसपा की सरकारों में भी यह प्रयास किया जा चुका है लेकिन उस समय भी इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई थी।
लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 17 पिछड़े वर्ग की जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के योगी सरकार के आदेश लगाये जाने के बाद बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती नेयोगी सरकार के इस आदेश को अति-दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा है कि यह आदेश घोर राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित फैसला था।
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मायावती ने मंगलवार सुबह अपने ट्वीटर हैंडल से ट्वीट किया है कि यूपी में 17 ओबीसी जातियों को जबर्दस्ती एससी घोषित करने पर हाईकोर्ट द्वारा रोक लगाने की खबर आज स्वाभाविक तौर पर बड़ी सुर्खियों में है। घोर राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित ऐसे फैसलों से किसी पार्टी या सरकार का कुछ नहीं बिगड़ता है लेकिन पूरा समाज इससे प्रभावित होता हैं।
फैसले को माना गलत
योगी सरकार के इस शासनादेश के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता गोरख प्रसाद की याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई में जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस राजीव मिश्र की बेंच ने प्रमुख सचिव समाज कल्याण मनोज कुमार सिंह से राज्य सरकार के फैसले को गलत मानते हुए व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है।
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न्यायालय का मानना है कि यूपी सरकार का यह फैसला गलत है। कंेद्र व राज्य सरकारों को इसका संवैधानिक अधिकार नहीं है। केवल संसद ही इस तरह के फैसले करने का अधिकार रखती है और एससी-एसटी की जातियों में बदलाव कर सकती है।
24 जून को जारी किया था आदेश
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बीती 24 जून को एक आदेश जारी कर पिछड़े वर्ग की 17 जातियों को अनुसूचित जातियों की सूची में डाल दिया था। इन पिछड़ी जातियों में कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिन्द, भर, राजभर आदि शामिल हैं। इतना ही नहीं योगी सरकार ने अपने इस फैसले के बाद सभी जिलाधिकारियों को इन जातियों के परिवारों को जाति प्रमाण पत्र देने का आदेश भी दिया था।
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बीते करीब दो दशकों से इन 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का प्रयास चल रहा है। योगी सरकार से पहले सपा और बसपा की सरकारों में भी यह प्रयास किया जा चुका है लेकिन उस समय भी इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई थी।