Meerut: राज्यसभा टिकट मिलने पर डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी का BJP में बढ़ा कद, समर्थकों को कुछ और मिलने की चाह
Meerut: राज्यसभा टिकट मिलने के बाद निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी का कद भाजपा में फिर से बढ़ गया है। हालांकि वाजपेयी समर्थक यह नहीं मानते हैं। वे राज्यसभा का टिकट मिलने से खुश तो हैं लेकिन संतुष्ट नहीं हैं।
Meerut: कहा जा रहा है कि राज्यसभा टिकट मिलने के बाद निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी (State President Dr. Laxmikant Vajpayee) का कद भाजपा (BJP) में फिर से बढ़ गया है। हालांकि वाजपेयी समर्थक यह नहीं मानते हैं। वे राज्यसभा का टिकट मिलने से खुश तो हैं लेकिन संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि राजनीति में डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी (State President Dr. Laxmikant Vajpayee) का जैसा कद है उसके अनुरुप अभी तक पार्टी ने उन्हें नही दिया है। जबकि उन्होंने अपने जीवन के 57 वर्ष पार्टी को दिए हैं। 70 की उम्र पार कर चुके वाजपेयी के समर्थक अब वाजपेयी को केन्द्र में मंत्री बनाए जाने की आस भी लगाए बैठे हैं। उनका कहना है कि लक्ष्मीकांत वाजपेयी (State President Dr. Laxmikant Vajpayee) भाजपा के कद्दावर नेता होने के साथ ही भाजपा का बड़ा ब्राह्मण चेहरा हैं। ऐसे में अगर पार्टी उन्हें केन्द्र में मंत्री बनाती हैं तो पार्टी को 2024 में इससे काफी फायदा होगा।
वाजपेयी से पहले इन्हें भेजा जा चुका है राज्यसभा
ऐसे ही एक समर्थक नाम ना छापने की शर्त पर कहते हैं, मेरठ की ही बात करें तो वाजपेयी से पहले राज्यसभा तो विजयपाल सिंह तोमर और कांता कर्दम को भी भेजा जा चुका हैं, जिनका कद और अनुभव वाजपेयी के मुकाबले काफी कम हैं। मसलन, जनता दल से राजनीति की शुरुआत करने वाले विजयपाल सिंह तोमर (Vijaypal Singh Tomar) की ही बात करें तो वें मात्र एक चुनाव मेरठ जिले की सरधना विधानसभा (Sardhana Assembly) से 1991 में जीते हैं। 1993 में हुए मध्यावधि चुनाव में भाजपा के प्रो. रविंद्र पुंढीर से हारने के बाद विजयपाल सिंह तोमर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। विजयपाल सिंह तोमर (Vijaypal Singh Tomar) तो फिर भी अपने अब तक के जीवन में एक विधानसभा चुनाव जीते हैं। लेकिन,कांता कर्दम तो अभी तक एक भी चुनाव नही जीत सकी है। 2018 में भाजपा के टिकट पर वें मेयर पद चुनाव भी हार चुकी है।
14 साल की उम्र में जनसंघ से जुड़े थे डॉ.लक्ष्मीकांत वाजपेयी
बकौल इस समर्थक, वहीं अगर डॉ.लक्ष्मीकांत वाजपेयी की बात करें तो लक्ष्मीकांत वाजपेयी (State President Dr. Laxmikant Vajpayee) 14 साल की उम्र में जनसंघ से जुड़ गए थे। 1989 में वह मेरठ की शहर सीट से पहली बार विधायक चुने गए। 1991 का चुनाव दंगा होने के चलते काउंट नहीं हुआ। 1993 में वे चुनाव हार गए। 1996 में वह दूसरी बार एमएलए बने। 2002 में वह फिर चुनाव जीते और प्रदेश सरकार में मंत्री रहे लेकिन 2007 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2012 में वह फिर एमएलए बने। यही नही डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी करीब 44 माह प्रदेश अध्यक्ष रहे। इस दौरान उन्होंने स्थानीय निकाय चुनावों के साथ ही लोकसभा चुनाव में प्रदेश भाजपा का प्रतिनिधित्व करते हुए आश्चर्यजनक परिणाम दिए। यही नहीं विपक्षी पार्टियों पर हल्ला बोलने में भी वह सबसे आगे नजर आये।
बहरहाल, तो सबकी नजरें पहले डॉ.लक्ष्मीकांत वाजपेयी (State President Dr. Laxmikant Vajpayee) के राज्यसभा सांसद (Rajya Sabha MP) की शपथ लेने पर है। इसके बाद देखना होगा कि पार्टी उन्हें केन्द्र में मंत्री बनाती है अथवा उनका सफर राज्यसभा सांसद तक सीमित रहेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि वाजपेयी 71 साल के हो चुके हैं। दरअसल, भाजपा ने इसके लिए एक अघोषित सिस्टम बनाया हुआ है। 75 साल की उम्र के बाद कोई भी नेता मंत्रिमंडल में नहीं रहेगा। बहुत वरिष्ठ नेताओं को मार्गदर्शक मंडल में रखा जा सकता है। अब देखना यही होगा कि सांसद बनने के बाद वाजपेयी मंत्री बनते हैं या फिर सांसदी का समय पूरा होने के बाद मार्गदर्शक मंडल में शामिल किये जाते हैं।