Meerut विक्टोरिया पार्क अग्निकांडः तेरी छोटी सी एक गलती ने सारा गुलशन जला दिया

Meerut: आज से 16 साल पहले 10 अप्रैल 2006 को विक्टोरिया पार्क में अग्निकांड हुआ था। इस अग्निकांड में 65 लोगों की मौत हुई, जबकि 161 लोग घायल हुए, जिनमें से 81 गंभीर रूप से घायल थे।

Report :  Sushil Kumar
Published By :  Deepak Kumar
Update: 2022-04-08 13:26 GMT

विक्टोरिया पार्क अग्निकांड। (Photo- Newstrack) 

Meerut: आज से 16 साल पहले 10 अप्रैल 2006 को विक्टोरिया पार्क, वहां लगे उपभोक्ता मेले से गुलजार था। दिन ढलने लगा था लोग अपना-अपना सामान समेट कर घरों की तरफ निकलने ही वाले थे कि तभी वहां चिंगारी उठने लगी। देखते ही देखते चिंगारी शोलों में बदल गईं लोहे के फ्रेम पर बड़ी-बड़ी चादरों से बने पंडालों में अचानक ही आग लग गई। चारों तरफ अफरा-तफरी मचने लगी। लोग चींखते-चिल्लाते इधर-उधर भागने लगे।

हादसे में 65 लोगों की हुई थी मौत

आलम यह था कि इस हादसे के लिए दोषी कोई भी हो, लेकिन सच्चाई यही है कि इस हादसे में 64 लोगों की मौत हुई, जबकि 161 लोग घायल हुए, जिनमें से 81 गंभीर रूप से घायल थे। बाद में एक की मौत और होने से मरने वालों की संख्या 65 पहुंच गई। वैसे,इस प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर न्यायिक आयोग पूर्व जस्टिस एसबी सिन्हा (Judicial Commission Former Justice SB Sinha) की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की जा चुकी है। तमाम गवाहों और लंबी जांच के बाद इसका निष्कर्ष सामने आया। आयोग ने इस मेले के आयोजकों को घटना के लिए साठ प्रतिशत और सरकारी तंत्र को चालीस प्रतिशत दोषी माना।


प्रत्यक्षदर्शी ने कही ये बात

वहां मौजूद प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि प्लास्टिक का पंडाल ऊपर से पिघलता जा रहा था और लोगों के ऊपर आग का गोला बन कर गिर रहा था। उसे बुझाने की वहां कोई भी सुविधा मौजूद नहीं थी। लोग अपनी जान बचाने मेन गेट की तरफ भाग रहे थे। कुछ खुशकिस्मती से निकल बाहर आ गए थे, लेकिन कई उस जगह ही फंस गए। जो आग में लिपटे बाहर भाग आए थे, वह खुद को बचाने के लिए जमीन पर गिर गए, कुछ गोबर में घुस गए, कुछ बचने के लिए इधर-उधर गिरते फिर उठते भाग रहे थे। कोई शरीर पर आग की लपटें लिए कराहते हुए बस रेत और  घ। मेला परिसर के बाहर मौजूद लोग भी वहां इकट्ठा हुए। जिससे जितनी मदद हो सकती थी, सबने की, लेकिन कुछ के लिए बहुत देर हो चुकी थी।


बताया जाता है कि मेला परिसर के पास पुलिस लाइन थी, जिसकी दूरी 200 मीटर से ज्यादा नहीं रही होगी। लेकिन वहां से मदद आने में इतना समय लग गया कि कई लोग तड़प-तड़प कर मर गए। जो बच पाए, उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन उन अस्पतालों में भी बर्न मेडिकल सेंटर्स नहीं थे. जिन्हें बर्निंग में स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं दिया जा पा रहा था, उन्हें किसी और तरह से ट्रीट किया गया। मेले की आग पर काबू पाया गया तो अंदर से कई जले हुए शव मिले।

हालात ये थे कि अपनों को ही पहचान पाना नामुमकिन था। न जानें कितने परिवार उस दिन बर्बाद हो गए थे। इस वीभत्स आग में 64 लोगों की जान चली गई थी। 161 लोग घायल थे, जिनमें 81 लोगों की हालत बेहद गंभीर थी। कुछ दिन बाद गंभीर घायलों में से एक और ने दम तोड़ दिया और मौत का आंकड़ा 65 हो गया था।


तत्कालीन सरकार पर फूटा था लोगों का गुस्सा

घटना दुर्भाग्यपूर्ण थी, लेकिन सरकार और प्रशासन की मदद से इसे रोका जा सकता था। पूरी तरह से नहीं तो इसे वीभत्स रूप लेने से ही सही, लेकिन रोका जा सकता था। उस समय जनता इतनी आक्रोशित थी कि तत्कालीन सरकार समाजवादी पार्टी तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव (Former CM Mulayam Singh Yadav) और पुलिस के खिलाफ लोगों का गुस्सा फूट पड़ा था। हर जगह विरोध शुरू हो गए थे। मलवा हटाने आए बुलडोजर से लोगों ने कलेक्ट्रेट में तोड़फोड़ कर दी थी।

विक्टोरिया पार्क हादसे के घायल और मृतकों के आश्रितों को इंसाफ दिलाने को लड़ाई लड़ रहे लंदन स्पोर्ट्स के मालिक संजय गुप्ता के परिवार के विक्टोरिया पार्क हादसे ने पांच सदस्यों को एक साथ छीन लिया था। यह अग्निकांड दुनिया की नजर में एक हादसा हो सकता है, लेकिन संजय गुप्ता जैसे ऐसे कई परिवार की पूरी जिंदगी ही इससे बिखर गई।


विक्टोरिया पार्क हादसा : एक नजर

  • 6 अप्रैल 2006- विक्टोरिया पार्क में कंज्यूमर मेले का उद्घाटन।
  • 10 अप्रैल 2006- शाम को विक्टोरिया पार्क में अग्निकांड।
  • 64 लोग मारे गए।
  • 6 साल बाद सुप्रीम कोर्ट में संजय गुप्ता की रिट हुई थी स्वीकार
  • 4 मई 2012 को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा उपहार की तर्ज पर मुआवजा दे सरकार।
  • 9 मई 2012 को सरकार ने मुआवजे के लिए सुप्रीम कोर्ट से मांगी थी दो महीने की मोहलत।
  • वर्ष 2016 : सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये मुआवजा दिया।

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