अब रोडवेज श्रमिक करेंगे सरकार की नाक में दम- क्षेत्रीय मंत्री राजीव त्यागी

मजदूर नेता राजीव त्यागी के अनुसार रोडवेज को कमजोर करने में सबसे बड़ी भूमिका डग्गामार बसों की है, जो कि मेरठ समेत पूरे प्रदेश में संचालित हो रही है।

Update:2021-03-11 17:00 IST
अब रोडवेज श्रमिक करेंगे सरकार की नाक में दम- क्षेत्रीय मंत्री राजीव त्यागी (PC: social media)

मेरठ: उत्तर प्रदेश परिवहन निगम (यूपी रोडवेज) कर्मचारियों ने निजीकरण का विरोध किया है। इसके साथ ही उन्होंने डग्गामार वाहनों पर भी रोक लगाने की मांग की है। भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) से जुड़े उत्तर प्रदेश रोडवेज कर्मचारी संघ के क्षेत्रीय मंत्री राजीव त्यागी ने आज यहां कहा कि हम किसी भी कीमत पर यूपी रोडवेज का निजीकरण नही होंने देगे। उन्होंने कहा कि निजीकरण व ड्ग्गामार बसों के खिलाफ रोडवेज कर्मचारी संघ ने प्रदेश में क्षेत्रीय व डिपो स्तर पर धरना,प्रदर्शन शुरुआ कर दी है। अगर समय रहते सरकार नही संभली तो फिर रोडवेज कर्मचारी सड़कों पर उतरकर बड़ा से बड़ा आंदोलन करने से पीछे नही हटेगा।

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15 मार्च से इंडस्ट्री के विभिन्न क्षेत्रों में सेमिनार आयोजित किए जाएंगे

राजीव त्यागी जो कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े भारतीय मजदूर संघ(बीएमएस) के जिला मंत्री भी हैं ने बताया कि केन्द्र सरकार के निजीकरण और सरकारी उपक्रम बेचने की नीतियों के खिलाफ रोडवेज कर्मचारियों ने ही नही बल्कि भारतीय मजदूर संघ(बीएमएस) ने भी 15 मार्च से 23 नवंबर तक 6 चरणों में देशव्यापी आंदोलन का ऐलान किया है। 15 मार्च से इंडस्ट्री के विभिन्न क्षेत्रों में सेमिनार आयोजित किए जाएंगे। 14 जून से जनजागरूकता अभियान शुरू किया जाएगा। 15 जुलाई से यूनिट स्तर पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे और 23 नवंबर को सभी कॉर्पोरेट कंपनियों के कार्यालयों पर प्रदर्शन किया जाएगा। यानी पूरे साल विनिवेश नीति के विरोध में कार्यक्रम किए जाएंगे।

रोडवेज को कमजोर करने में सबसे बड़ी भूमिका डग्गामार बसों की है

मजदूर नेता राजीव त्यागी के अनुसार रोडवेज को कमजोर करने में सबसे बड़ी भूमिका डग्गामार बसों की है, जो कि मेरठ समेत पूरे प्रदेश में संचालित हो रही है। लेकिन,पुलिस और प्रशासन के साथ ही परिवहन विभाग सब कुछ जानते हुए भी आंखे मूंद कर बैठा है। बकौल राजीव त्यागी,बस अड्डे के सामने प्राइवेट वाहन सवारियां ढो रही हैं। स्लीपर और एसी बसें अवैध रूप से कानपुर, लखनऊ, प्रयागराज, दिल्ली, मुंबई रूटों पर चल रही हैं। आरोप लगाया कि वैधानिक परमिट न होने के बाद भी आरटीओ के संरक्षण में इन बसों का संचालन हो रहा है। इससे निगम की आय गिर रही है।

राष्‍ट्रीयकृत मार्गों पर वैसे ही ग़ैर-क़ानूनी रूप से निजी वाहन चलते हैं

ग़ौरतलब है कि उत्‍तर प्रदेश सरकार ने पिछले साल सितम्बर में प्रदेश के दो प्रमुख राष्‍ट्रीयकृत मार्गों- लखनऊ-गोरखपुर (वाया अयोध्‍या-विक्रमजोत-बस्‍ती) और लखनऊ-आगरा-नोएडा एक्‍सप्रेसवे (वाया रिंग रोड कुबेरपुर (आगरा)-परी चौक)-पर निजी बसें चलाने की अनुमति दे दी थी। रोडवेज के कर्मचारियों को यह समझते देर न लगी कि यह उत्‍तर प्रदेश राज्‍य परिवहन निगम को ध्‍वस्‍त करके निजी परिवहन कम्‍पनियों को मुनाफ़ा पीटने की बेरोकटोक छूट देने की दिशा में उठाया गया क़दम है। प्रदेश में कुल 2,428 मार्गों में 424 राष्‍ट्रीयकृत मार्ग हैं जिनमें अब तक केवल सरकारी बसों के चलने की अनुमति है। इनमें से दो राष्‍ट्रीयकृत मार्गों में निजी बसों को अनुमति मिलने के बाद भविष्‍य में अन्‍य राष्‍ट्रीयकृत मार्गों पर भी निजी बसों को अनुमति मिलना आसान हो जाएगा।

राष्‍ट्रीयकृत मार्गों पर वैसे ही ग़ैर-क़ानूनी रूप से निजी वाहन चलते हैं

राजीव त्यागी कहते हैं,प्रदेश सरकार ने यह फ़ैसला निजी परिवहन कम्‍पनियों के मालिकों को ख़ुश करने के लिए किया है। इस फ़ैसले के समर्थन में यह तर्क दिया जा रहा है कि राष्‍ट्रीयकृत मार्गों पर वैसे ही ग़ैर-क़ानूनी रूप से निजी वाहन चलते हैं। लेकिन कोई भी तार्किक आदमी समझ सकता है कि ऐसे में सरकार की ज़ि‍म्‍मेदारी यह होनी चाहिए थी कि वह ग़ैर-क़ानूनी रूप से चलने वाली बसों पर नियंत्रण करती और सरकारी बसों की संख्‍या बढ़ाती ताकि लोगों को भी सहूलियत हो और परिवहन निगम के कर्मचारियों का भविष्‍य भी अनिश्चित न हो।

उत्‍तर प्रदेश राज्‍य परिवहन निगम की कुल लगभग 12 हज़ार बसें प्रदेश में चलती हैं और निगम में क़रीब 52 हज़ार कर्मचारी काम करते हैं जिनमें ड्राइवर, कण्‍डक्‍टर, वर्कशॉप स्‍टाफ़ शामिल हैं। ये कर्मचारी निगम के निजीकरण से ख़ौफ़ज़दा हैं क्‍योंकि उनकी सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा ख़तरे में आ जाएगी।

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माँगों को लेकर संघर्ष करने के लिए एक संयुक्‍त संघर्ष मोर्चा बनाया है जिसके बैनर तले उन्‍होंने आन्‍दोलन की राह पकड़ ली है। इस मोर्चे की प्रमुख माँगें हैं: राष्‍ट्रीयकृत मार्गों पर निजी बसों की परमिट पर रोक लगे, 206 मार्गों को राष्‍ट्रीयकृत मार्ग घोषित किया जाये, 2001 तक के संविदा कर्मियों की नियमित भर्ती हो, नियमित कर्मियों के बक़ाये महँगाई भत्‍ते का भुगतान हो, मृतक आश्रितों की भर्ती व बक़ाये का भुगतान किया जाये, संविदा चालक-परिचालकों को हर साल नियमित किया जाये, आउटसोर्स कर्मियों को वरीयता दी जाये और निगम में ठेकेदारी प्रथा पर रोक लगे।

रिपोर्ट- सुशील कुमार

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