Meerut News: 2024 के लोकसभा चुनाव की डगर बसपा के लिए मुश्किलों भरी..!

Meerut News: यूपी निकाय चुनाव में मिली हार के बाद बसपा प्रमुख मायावती पार्टी की खोए हुए सियासी आधार को पाने और दोबारा से उभरने की रणनीति बनाने की कोशिशों में जुट गई है।

Update:2023-05-24 21:57 IST
After defeat in UP nikay chunav 2023 road to the 2024 Lok Sabha election is difficult For BSP (Photo-Social Media)

Meerut News: निकाय चुनाव में दलित-मुस्लिम प्रयोग फेल हो जाने के बाद अब 2024 के लोकसभा चुनाव की डगर बसपा के लिए मुश्किलों भरी लगने लगी है। हालांकि, यूपी निकाय चुनाव में मिली हार के बाद बसपा प्रमुख मायावती पार्टी की खोए हुए सियासी आधार को पाने और दोबारा से उभरने की रणनीति बनाने की कोशिशों में जुट गई है।

गांव-गांव अभियान चलाएगी पार्टी

रणनीति के तहत बसपा प्रमुख द्वारा न सिर्फ संगठन में फेरबदल किया जा रहा है, बल्कि जनता से जुड़ने के लिए नए कार्यक्रम तय किये जा रहे हैं। इस क्रम में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को गांव-गांव अभियान चलाने का टास्क दिया गया है। मेरठ से जुड़े पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार बहनजी पार्टी नेताओं के साथ समीक्षा बैठक कर हार पर मंथन तो कर ही रही हैं, साथ-साथ आगामी लोकसभा चुनाव में वापसी की रूपरेखा भी बहनजी द्वारा तैयार की जा रही है। पार्टी के इस वरिष्ठ नेता के अनुसार बहनजी ने फिलहाल पार्टी नेताओं के साथ अपनी किसी भी बैठक में गठबंधन को लेकर कोई बात नहीं की है। ऐसे में अभी यह तय नहीं है कि 2024 का चुनाव बसपा अकेले ही लड़ेगी अथवा गठबंधन में शामिल होकर लड़ेगी।

बसपा प्रमुख ने वेस्ट यूपी प्रभारी पद किया समाप्त

चौंकाने वाले अपने एक निर्णय में बसपा प्रमुख ने वेस्ट यूपी प्रभारी पद समाप्त करते हुए वेस्ट यूपी के अभी तक प्रभारी रहे समशुद्दीन राइन का कद कम कर दिया। इसके अलावा पूर्व एमएलसी प्रदीप जाटव को संगठन से हटा दिया है। पूर्व प्रदेशाध्यक्ष मुनकाद अली को एक बार फिर तवज्जो देकर जिम्मेदारी बढ़ाई और उन्हें वेस्ट यूपी की तरफ सक्रिय किया है। हर विधानसभा क्षेत्र में एक जिला सचिव को प्रभारी बनाया है। अब तीन-तीन मंडलों या उससे कम मंडल पर जोन को-ऑर्डिनेटर बनाए हैं।

परंपरागत वोट को नहीं संभाल सकी बसपा

बता दें कि इससे पहले बहनजी के निर्देश पर 16 मई को मेरठ के जोन कोऑर्डिनेटर पूर्व मंत्री प्रशांत गौतम को पार्टी से बाहर निकाला। हालांकि प्रशांत गौतम का यही कहना है कि उन्होंने तो निकाय चुनाव में हार के बाद पार्टी से त्याग-पत्र दे दिया था। ऐसे में उनके निकाले जाने का कोई मतलब नहीं है। दरअसल,बसपा की सबसे बड़ी चिंता यह है कि निकाय चुनाव में मुस्लिमों को संजोना तो दूर बसपा अपने परंपरागत वोट को भी नहीं संभाल सकी। मेरठ की ही बात करें तो पिछले चुनाव में मेयर सीट कब्जाने वाली बसपा का मेयर उम्मीदवार इस बार चुनाव में अपनी जमानत तक नहीं बचा सका। यही नहीं 90 में से केवल छह पार्षद ही इस बसपा के टिकट पर जीत सके हैं।

Tags:    

Similar News