Meerut News: घर पर अपनी भाषा का सम्मान करके ही हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी भाषा को स्थापित कर सकते हैं: प्रो. जमाल अहमद

Meerut News: मेरठ में हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग में एक शैक्षिक परिचर्चा कौरवी, हिंदी और मेरठ में अपने विचार व्यक्त करते हुए चौधरी विशिष्ट वक्ता चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय पुस्तकालय अध्यक्ष प्रोफेसर जमाल अहमद सिद्दीकी ने कहा कि हम अपनी भाषा के साथ न्याय नहीं कर रहे हैं। अपनी भाषा का सम्मान करना आना चाहिए।

Report :  Sushil Kumar
Update:2024-02-17 21:13 IST

मेरठ में हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग में एक शैक्षिक परिचर्चा: Photo- Newstrack

Meerut News: मेरठ में हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग में एक शैक्षिक परिचर्चा कौरवी, हिंदी और मेरठ में अपने विचार व्यक्त करते हुए चौधरी विशिष्ट वक्ता चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय पुस्तकालय अध्यक्ष प्रोफेसर जमाल अहमद सिद्दीकी ने कहा कि हम अपनी भाषा के साथ न्याय नहीं कर रहे हैं। अपनी भाषा का सम्मान करना आना चाहिए। अपने ही देश में हिंदी भाषा को सम्मान प्राप्त नहीं है। घर पर अपनी भाषा का सम्मान करके ही हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी भाषा को स्थापित कर सकते हैं। भाषा को लोकबोली के साथ विकसित करने पर ध्यान देना चाहिए। लोक बोली और भाषा दोनों अपने-अपने रूप में विकसित होगी तभी दोनों पूर्ण हो सकेंगे।

कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रोफेसर नवीन चंद लोहनी ने कहा कि मेरठ हिंदी और खड़ी बोली का जननी क्षेत्र है। मेरठ हिंदी का बड़ा क्षेत्र है। स्वतंत्रता संग्राम में इस क्षेत्र की विशेष भूमिका रही। राजनीतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से ऐतिहासिक और साहित्यिक दृष्टिकोण से यह क्षेत्र सदैव ही विशिष्ट रहा है। पौराणिक कालीन स्थल भी इस क्षेत्र में मौजूद हैं, जो इस क्षेत्र की प्राचीनता की द्योतक है। कौरवी और खड़ीबोली का अध्ययन अपने आप में इस संपूर्ण क्षेत्र का अध्ययन करना है।


मेरठ भारत की प्राचीनतम सभ्यताओं को आकर्षित करने वाली धरती

डॉक्टर के के शर्मा ने कहा कि भारत की प्राचीनतम सभ्यता हड़प्पा सभ्यता है। मेरठ भारत की प्राचीनतम सभ्यताओं को आकर्षित करने वाली धरती है। मेरठ में प्रसिद्ध सूरजकुंड मंदिरों का समूह है. यह कुंड गुप्त काल अथवा उत्तर गुप्त काल का है। मेरठ सदैव से राष्ट्रीय सांस्कृतिक धरोहर का क्षेत्र रहा है. मेरठ का विलेश्वर मंदिर मराठा शैली का मंदिर है। मेरठ रामायण कालीन स्थान है गूगल गांव में विश्वामित्र का आश्रम और तालाब स्थित है। मेरठ को वॉल सिटी भी कहा जाता है. जिसकी प्राचीनता उसके स्थान नाम में संदर्भित होती है।


प्रोफेसर रविंद्र राणा ने मेरठ के विषय में बताते हुए कहा की खेल सामग्री, कैंची, रेवाड़ी, गजक, गुड, हलवा पराठा, नानखटाई, शक्कर यह मेरठ के प्रसिद्ध वस्तुएं हैं। जिनका देश-विदेश में नाम है, मेरठ में कई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी देश को दिए हैं। मेरठ क्रांति का शहर है, शोषण के प्रति यहां के लोग सदैव लड़ते रहे हैं, चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत किसान नेताओं और किसानों की समस्याओं को उठाने वाले अग्रणी नेता रहे है।


डॉ आरती राणा ने कहा कि भाषा अपने विकास के साथ बोलियां को छोड़ते हुए चलती है जिससे भाषा विकसित तो हो जाती है किंतु समृद्ध नहीं हो पाती। बोली का शब्दकोश एक व्यापक शब्दकोश होता है जो किसी क्षेत्र की सांस्कृतिक और आचार विचार की विशेषताओं से भरपूर होता है। इस शब्दकोश के साथ कोई भी भाषा अपने आप को समृद्ध कर सकती है। बोली में लोच होता है भाषा कठोर होती है। डॉक्टर कृष्ण चंद्र शर्मा इस विषय में कहते हैं की हिंदी का विकास एक ऐसी दुर्घटना है जिसमें कौरवी बोली पीछे रह जाती है। कौरवी बोली में एक समृद्ध साहित्यिक परंपरा है। इसमें संत गंगादास, संत घीसाराम, पृथ्वी सिंह बेधड़क आदि नाम आते हैं। स्वाँग, नौटंकी, होली, ख्याल आदि विधाओं में कौरवी बोली विकसित हो रही है। कौरवी बोली क्योंकि हिंदी के मूल में है इसलिए उसकी भाषागत विशेषताएं अपने आप में अनूठी हैं, इसके अध्ययन और अध्यापन की आवश्यकता है।

कोरिया में हिंदी पढ़ाई जाती है

दक्षिण कोरिया की किम ने कहा कि हिंदी मैंने किताबों से नहीं बल्कि लोगों की आपसी बातचीत को सुनकर सीखी। कोरिया में दो विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है। विदेश में भारत की अच्छी अर्थव्यवस्था के कारण विदेश में लोग हिंदी सीखना चाहते हैं। कजाकिस्तान की मेहर ने कहा कि फिल्मी गानों के माध्यम से मैं हिंदी से परिचित हुई। हिंदी में ही मैं अपना कैरियर बनाना चाहती हूं. त्रिनिनाड और टोबैको से अविनाश वेदांत ने कहा कि मैंने अपने पिताजी की प्रेरणा से हिंदी सीखना आरंभ किया।

विदेशी विद्यार्थियों में तात्सियाना सिलीवोंचिक, ग्रेता गोस्पोदिनोवा, देवगे मदुषनि कुमुदुनि समरतुंग, रिटिगहमुल गेदरा हिमाषि मधुमालि रणसिंह, रन्पति देवलागो क्रिशानि मादुमालि प्रनान्दु, रंदेनि कोरललागे सदुनि पबसरा, कसुनि निम्नका विजेसूरिय, आनन्द जयतिलकगे शषिनी शिवन्तिका, जीवन सुमतिपालगे रूबिनी श्रीमालिका, कस्तुरी मुदियनसेलागे निषद्या प्रमोधि हैरत, सेनारी हंसली अलस, जयवर्धनगे धोन रसंगिका पियुमाली जयवर्धन, अरीना अन्द्रेयेवना शतोखीना आदि शामिल रहे।

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