Meerut News: प्राचीन भारतीय ज्ञान संपूर्ण मानव जीवन के लिए प्रासंगिक, एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन
Meerut News: सतत रूप से पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक मौखिक रूप से यह प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा अनवरत हजारों सालों से बढ़ती रही, जिस प्रकार वैज्ञानिक तथ्यों से प्राचीन मनीषियों ने धर्म को जोड़ा वह अद्वितीय है।
Meerut News: भारत की प्राचीन परंपरा प्रणाली में वैज्ञानिक आधार विद्यमान था तथा सतत रूप से पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक मौखिक रूप से यह प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा अनवरत हजारों सालों से बढ़ती रही, जिस प्रकार वैज्ञानिक तथ्यों से प्राचीन मनीषियों ने धर्म को जोड़ा वह अद्वितीय है। हाथ मुंह धोकर घर में प्रवेश करना हो अथवा धार्मिक आधार पर पीपल आदि जैसे वृक्षों को ना काटने की परंपरा हो, जिससे समग्र जीवन लाभान्वित होता रहा है। ये विचार अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना झंडेवाला नई दिल्ली के राष्ट्रीय कार्य परिषद के सदस्य और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विघ्नेश कुमार ने व्यक्त किये।
इतिहासकारों ने दिए वक्तव्य
भारतीय इतिहास संकलन समिति मेरठ जनपद एवं इस्माइल नेशनल पीजी कॉलेज मेरठ के संयुक्त तत्वावधान में इतिहास दिवस के अंतर्गत प्राचीन भारतीय ज्ञान प्रणाली प्रासंगिकता एवं चुनौतियां विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। प्रोफेसर त्यागी ने वर्तमान में प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा को संपूर्ण मानव मात्रा के लिए प्रासंगिक एवं आवश्यक बताया। मुख्य अतिथि विजय पाल सिंह तोमर, सांसद, राज्यसभा व मुख्य वक्ता प्रो. दिनेश कुमार, सदस्य राष्ट्रीय कार्यपरिषद अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना, झंडेवालान नई दिल्ली रहें। विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. दिनेश कुमार, अर्थशास्त्र विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ थे।
शिक्षा व्यवसायपरक होनी चाहिए: सांसद विजयपाल तोमर
इस मौके पर विजयपाल सिंह तोमर ने कहा नई शिक्षा नीति में बदलाव इस प्रकार किए जाए कि शिक्षा का व्यवसायीकरण न हो बल्कि शिक्षा व्यवसायपरक हो जाए। इसके साथ ही उत्तम चरित्र निर्माण पर बल दिया। प्रो. दिनेश कुमार ने खान-पान व आचार-विचारों को संस्कृति से जोड़ते हुए कहा कि परिवारों व समाज खान-पान व आचार-विचारों में परिर्वतन आ गया है। इसे जितना अच्छा हम कर पाऐंगे उतना ही सुसंस्कृत समाज की स्थापना हो पाएगी।
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प्राचार्य प्रो. अनीता राठी जी ने कहा कि भारतीय शिक्षा के इतिहास पर दृष्टिपात करने से ज्ञात होता है कि प्राचीन काल में शिक्षा का मूल उद्देश्य ज्ञान की प्राप्ति रहा है। इस उद्देश्य के अनुरूप शिक्षा का स्वरूप व विषय निर्धारित किये जाते थे। आज जरूरत है अध्यात्म को विज्ञान से परमार्थ को व्यवहार से, परंपरा को आधुनिकता से जोड़ते हुए वैश्विक जीवन में समरसता के लिए ‘एकता के सूत्र’ में खोजने को।
अच्छी बातों को ग्रहण करना चाहिए
डा. ममता सिंह ने बताया कि सात्विक विचार हर दिशा से आने दो, खुद को किसी भी चीज से वंचित न करो। अच्छी बातों को ग्रहण करों, तभी भला होगा। प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा की आवश्यकता को पूरा विश्व महसूस कर रहा है। महाविद्यालय द्वारा विभिन्न इतिहासकारों, पुरातत्वविदों को सम्मानित किया गया जिसमें प्रो. विध्नेश कुमार, प्रो. दिनेश कुमार, प्रो. केके शर्मा, प्रो. एवी कौर, डा. नवीन चन्द्र गुप्ता, डा. कुलदीप कुमार, डा. योगेश कुमार, प्रो. अराधना रहीं। कार्यक्रम में विभिन्न महाविद्यालयों व प्रदेशों से आए शिक्षकों, विद्यार्थियों, अतिथियों ने भाग लिया।