Meerut News: मायावती अपने जन्म दिन पर कर सकती हैं बड़ी सियासी घोषणा, इस पर लगी हैं सबकी नज़रें

Meerut News: बसपाई सूत्रों की मानें तो मायावती अगला लोकसभा चुनाव किसी गठबंधन में शामिल होकर लड़ेंगी या अकेले लड़ेंगी इस बारे में वे अपने जन्मदिन के मौके पर यानी 15 जनवरी को कोई बड़ी घोषणा कर सकती हैं।

Report :  Sushil Kumar
Update:2023-12-23 14:51 IST

मायावती (सोशल मीडिया)

Meerut News: चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं मायावती उन चंद अहम नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने कहा है कि वो लोकसभा चुनाव किसी गठबंधन में नहीं लड़ेंगी। हालांकि बसपा के जानकार सूत्रों की मानें तो यह उनका अंतिम फैसला नहीं है। इस बात का संकेत बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने पिछले दिनों तब दिए जब उन्होंने विपक्षी गठबंधन इंडियन नैशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (इंडिया) को लेकर गठबंधन से बाहर रहने वाले दलों के बारे में अनावश्यक टीका-टिप्पणी नहीं करने की सलाह देते हुए कहा कि राजनीति में भविष्य में कब, किसको, किसकी जरूरत पड़ जाए, यह कहा नहीं जा सकता।

गौरतलब है कि आने वाला लोकसभा चुनाव मायावती और उनकी पार्टी के लिए अस्तित्व बचाने की लड़ाई होगी। बीते चुनावों में पार्टी का गिरता प्रदर्शन तो कम से कम इसी ओर इशारा करता है। हालिया विधानसभा चुनाव परिणाम बता रहे हैं कि बसपा मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलांगना में कोई चमत्कार नहीं दिखा पाई। वर्ष 2018 की अपेक्षा सीटें तो कम हुई ही साथ में वोटिंग प्रतिशत भी गिरा है। मायावती राजस्थान में इस बार अपने दम पर चुनाव लड़ी और 199 सीटों पर उम्मीदवार उतारे। इस बार उनका इरादा था कि सरकार बनने पर समर्थन देने की बात आई तो वह सत्ता में शामिल होंगी, लेकिन दो सीटें ही जीत पाई। इतना ही नहीं वोटिंग प्रतिशत भी गिरा। इस बार मात्र 1.82 प्रतिशत ही वोट मिले। दूसरे बड़े राज्य मध्य प्रदेश की बात करें तो बसपा ने यहां गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ गठबंधन कर 178 सीटों पर चुनाव लड़ी, लेकिन एक सीट भी नहीं जीत पाई। इतना ही नहीं वोट मात्र 3.31 प्रतिशत ही मिला। वर्ष 2018 के चुनाव में दो सीटें मिली थी और वोटिंग प्रतिशत 5.01 था। छत्तीसगढ़ में गठबंधन पर 53 सीटों पर लड़ी और सभी पर हार गई। पिछले चुनाव में दो सीटें जीती थी और वोटिंग प्रतिशत 3.09 था। इस बाद वोट प्रतिशत गिरकर दो फीसदी ही रह गया। इसी तरह बसपा को तेलांगना में भी सफलता नहीं मिली।

इन हालातो में मायावती और उनकी पार्टी के लिए अस्तित्व बचाने की 2024 की लड़ाई में अपनी साइड चुनने का दबाव है। यानी बसपा भाजपा के गठबंधन एनडीए और विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन में से किस गठबंधन में शामिल होकर चुनाव लड़ेगी। मायावती,जिस तरह बीजेपी या केंद्र सरकार पर हालिया समय में बहुत हमलावर होती नहीं दिखी उससे उनके एनडीए में जाने की अटकले भी लगती रही हैं। राष्ट्रपति पद के लिए भी मायावती ने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन दिया था और उपराष्ट्रपति पद के लिए जगदीप धनखड़ को समर्थन दिया था। हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि 80 में से 62 सीट जीतने वाली बीजेपी बसपा जैसी बड़ी पार्टी के साथ नहीं जाएगी क्योंकि बीजेपी कभी वो सीटें मायावती को नहीं दे पाएगी, जितनी उनकी मांग होगी। बीजेपी चाहेगी कि मायावती गठबंधन से अलग चुनाव लड़ें और उनके लिए जीत आसान बनाए।

बसपाई सूत्रों की मानें तो मायावती अगला लोकसभा चुनाव किसी गठबंधन में शामिल होकर लड़ेंगी या अकेले लड़ेंगी इस बारे में वे अपने जन्मदिन के मौके पर यानी 15 जनवरी को कोई बड़ी घोषणा कर सकती हैं। आमतौर पर मायावती इस तरह की बड़ी राजनीतिक महत्व की घोषणाएं अपने जन्मदिन के मौके पर ही करती हैं। गौरतलब है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करेगी। इसका एलान भी बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस साल अपने 67वें जन्मदिन के मौके पर ही किया था। ऐसे में संभावना जताई जा रही हैं कि अगले महीने अपने जन्म दिन के मौके पर मायावती गठबंधन को लेकर घोषणा कर सकती है। अगर वे 15 जनवरी को घोषणा करती हैं तो वह चौंकाने वाला होगा क्योंकि फरवरी या मार्च में लोकसभा चुनाव की घोषणा होनी है। 80 लोकसभा सीटों वाला उत्तर प्रदेश आम चुनाव के लिहाज़ से सबसे बड़ा राज्य है एक अनुमान के मुताबिक़ यहां 21 फ़ीसदी आबादी दलितों की है और दलितों के बीच मायावती की अच्छी पैठ मानी जाती है। ऐसे में मायावती का अपने जन्म दिन पर सियासी क़दम क्या होगा इस पर सबकी नज़रें हैं।

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