Meerut News: पत्रकारिता में मजा हो सकता है लेकिन मजाक नहीं: चंद्रिका जोशी

Meerut News: मेरठ जनपद में आकाशवाणी (ऑल इंडिया रेडियो) की राष्ट्रीय समाचार वाचिका चंद्रिका जोशी ने कहा कि पत्रकारिता में मजा हो सकता है लेकिन मजाक नहीं।

Report :  Sushil Kumar
Update: 2024-05-15 13:03 GMT

पत्रकारिता में मजा हो सकता है लेकिन मजाक नहीं: चंद्रिका जोशी: Photo- Newstrack

Meerut News: आकाशवाणी (ऑल इंडिया रेडियो) की राष्ट्रीय समाचार वाचिका चंद्रिका जोशी ने कहा कि पत्रकारिता में मजा हो सकता है लेकिन मजाक नहीं। चंद्रिका जोशी मेरठ जनपद के गणेश शंकर विद्यार्थी सुभारती पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग, स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय, "रेडियो: प्रेजेंटेशन ऑफ रेडियो न्यूज़ एंड वाइस कल्चर" विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रुप में बोल रही थीं।

चंद्रिका जोशी ने कहा कि पत्रकारिता एक जिम्मेदारी का व्यवसाय है। चौथा स्तंभ है। रेडियो समाचार प्रतिनिधि होना भी बहुत ज़िम्मेदारी भरा काम है, जिसके लिए आपको वर्षों की मेहनत करनी पड़ती है और हर क्षेत्र के बारे में जानकारी रखनी पड़ती है। रेडियो न्यूज और पत्रकारिता में मेहनत के बाद ही जगह मिलती है। एक न्यूज़ को प्रस्तुत करने के पीछे कम से कम 20 - 30 लोगों की मेहनत होती है।

उन्होंने आगे बताया कि "एक पत्रकार को हमेशा सचेत और सजग होना चाहिए क्योंकि भले ही इंसान सोता है लेकिन ये दुनिया हमेशा चलती रहती है। हमें हमेशा समय का सदुपयोग करके खुद को इस काबिल बनाना चाहिए कि हम वक्त के साथ चल सकें और समय आने पर वक्त से आगे निकल सकें।" आगे उन्होंने बीबीसी की एक रिपोर्ट के बारे में बताते हुए कहा कि एक न्यूज़ एंकर को अधिकतम तीन सेकेंड मिलते हैं अपने शब्द को चुनकर आगे के समाचार को दिशा देने के लिए। साथ ही पत्रकार की यह खासियत होती है कि वह छह वाक्य की खबर को 16 लाइन का बना सकता है और 16 लाइन की खबर को 6 लाइन का।


पत्रकारिता में भाषा गरिमापूर्ण, संक्षिप्त और स्पष्ट होनी चाहिए

उन्होंने कहा कि एक पत्रकार के अंदर की भूख हमेशा बनी रहनी चाहिए। रेडियो पत्रकारिता में दूसरा सबसे महत्वपूर्ण कारक भाषा है। आप जिस भाषा का प्रयोग कर रहें हैं वो गरिमापूर्ण, संक्षिप्त और स्पष्ट होनी चाहिए। इसी के साथ आपका प्रस्तुति का तरीका भी आकर्षक होना चाहिए। अंत में उन्होंने बताया कि समाचार ऐसा हो कि अभिव्यक्ति और भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचानी चाहिए या उनका अनादर नहीं होना चाहिए। साथ ही पत्रकारिता में किसी समुदाय, धर्म या व्यक्ति का अनादर करने की अनुमति कभी नहीं दी जाती।

इससे पहले कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की फ़ोटो के सामने दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। जिसके बाद वहां उपस्थित सभी लोगों का आधिकारिक रूप से स्वागत पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की सहायक आचार्या डॉ. प्रीति सिंह ने किया।

छात्रों को रेडियो सुनने की आदत डालनी चाहिए

इस मौके पर प्रो.(डॉ.) एस. सी. थलेडी, विभागाध्यक्ष ने कहा कि छात्रों के कौशल विकास और सीखने के लिए उन्हें उद्योग जगत के लोगों से मिलना चाहिए, जिसके परिणामस्वरूप व्यावहारिक अनुभव हो सकेगा। उन्होंने हमारे आज के मुख्य वक्ता का परिचय देते हुए उनकी जीवन यात्रा का विस्तार किया और कहा कि उनके जैसे दिग्गज से मिलना छात्रों के लिए आशीर्वाद और सौभाग्य की बात है। उन्होंने छात्रों को रेडियो सुनने को एक आदत के रूप में अपने जीवन का हिस्सा बनाने की सलाह देते हुए बताया कि दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले लोगों के बीच रेडियो आज भी प्रचलित है।

कार्यक्रम का संयोजन बीएजेएमसी द्वितीय वर्ष की छात्रा पलक टंडन ने किया और धन्यवाद ज्ञापन पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के सह आचार्य श्री मधुर शर्मा ने किया। कार्यक्रम में प्रो. अशोक त्यागी, डॉ. प्रीति सिंह, मधुर शर्मा और शैली शर्मा मौजूद रहें। इसके अलावा प्रथम, द्वितीय, तृतीय वर्षो के छात्र उपस्थित रहे।

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