Bharat Jodo Yatra 2.0: . . . तो अब यूपी के चार लड़के देंगे बीजेपी को टेंशन, शामिल हो सकती है ये पार्टी
Bharat Jodo Yatra 2.0: यूपी के तीन लड़के बीजेपी को टेंशन देने की तैयारी में हैं। सूत्रों के अनुसार आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपनी बहुचर्चित भारत जोड़ों यात्रा-2 निकालने जा रहे हैं।
Bharat Jodo Yatra 2.0: यूपी के तीन लड़के बीजेपी को टेंशन देने की तैयारी में हैं। सूत्रों के अनुसार आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपनी बहुचर्चित भारत जोड़ों यात्रा-2 निकालने जा रहे हैं। संभावना है कि इस बार यात्रा गुजरात के पोरबंदर से शुरु होकर त्रिपुरा के अगरतला तक चलेगी। पिछली यात्रा में राहुल ने उत्तर प्रदेश का बहुत कम हिस्सा गाजियाबाद, बागपत और शामली कवर किया था। लेकिन इस बार राहुल की यात्रा का अहम हिस्सा उत्तर प्रदेश में भी बीतेगा। खास बात यह कि इस दौरान, राहुल गांधी के साथ अखिलेश, जयंत चौधरी के अलावा आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष
चंद्रशेखर आजाद भी नजर आ सकते हैं।
अगर ऐसा हुआ तो 2017 के बाद यह पहली बार होगा जब राहुल यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव के साथ एक साथ खड़े दिखेंगे। बता दें कि 2017 में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने गठबंधन किया था। यूपी को ये साथ पसंद के नारों के साथ दोनों नेताओं ने जबर्दस्त माहौल बनाया भी था। यह अलग बात है कि उस चुनाव में राहुल और अखिलेश यादव के गठबंधन के बावजूद सपा को 47 और कांग्रेस को 7 सीटें ही मिली थीं। यूपी को ये साथ पसंद है वाला नारा बुरी तरह से फ्लॉप हो गया था।
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश सचिव एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चौधरी यशपाल सिंह का कहना है कि यात्रा का रूट और तारीख जल्द फाइनल हो जाएगी। चौधरी यशपाल सिंह के मुताबिक यात्रा का अभी रूट साफ नहीं हुआ है। लेकिन सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, देवबंद, मेरठ, बागपत, बिजजौर, मुरादाबाद, नगीना, संभल, रामपुर, बरेली, बदायूं, अलीगढ़ समेत वेस्ट यूपी की करीब 25 सीटों पर फोकस रहेगा। यात्रा के दौरान कांग्रेस का कुनबा बढाओ अभियान चलाने का भी प्रोग्राम हैं। यानी दूसरे दलों के असरदार और कद्दावर नेताओं को यात्रा के दौरान कांग्रेस की सदस्यता दिलाई जाएगी। यात्रा राहुल के साथ विपक्षी दलों के कौन-कौन से बड़े नेता शामिल होंगे। इस बारे में कांग्रेस नेता का कहना है कि पहले कि यात्रा का रूट और तारीख तो फाइनल होने दीजिए। अलबत्ता,राहुल गांधी,अखिलेश यादव,जयंत चौधरी और चंद्रशेखर आजाद के साथ आने का मतलब यूपी से बीजेपी का सफाया तय है।
उधर, सपा नेताओं की मानें तो अखिलेश कांग्रेस से गठबंधन के लिए मानसिक तौर पर तैयार हो चुके हैं। कुछ समय पहले अखिलेश कांग्रेस और बीजेपी को एक सिक्के का दो पहलू बताते थे। ये तक कहा गया था सपा इस बार अमेठी सीट पर भी कैंडिडेट देगी। लेकिन कर्नाटक के चुनावों में कांग्रेस की जीत ने माहौल बदला है। बीजेपी विरोधी दलों को लग रहा है कि मुसलमान कांग्रेस की तरफ लौट रहे हैं और ऐसे में बीजेपी को हराने के लिए मुस्लिम वोट का बंटवारा रोकना है तो कांग्रेस से हाथ मिलाना होगा। यूपी में सपा और आरएलडी का गठबंधन पहले से है जिसके नेता जयंत चौधरी भी चाहते हैं कि कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ा जाए। बीजेपी को हराने के लिए वह नीतीश कुमार का हर सीट पर बीजेपी वर्सेज वन का फॉर्मूला मानेंगे।
हालांकि अखिलेश सर्वे के बाद सपा के लिए 50 सीटों का चुनाव कर चुके हैं। संभव है कि अन्य सीटों पर वह कांग्रेस और रालोद के साथ सीट शेयर करेंगे। 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने बीएसपी के साथ गठबंधन किया था। तब अखिलेश ने खुद से एक सीट ज्यादा बसपा को दिए थे। सपा तब 37 और बसपा 38 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। चुनाव में फायदा बहुजन समाजवादी पार्टी को मिला और उसने 10 सीटें जीत लीं, जबकि सपा को 5 पारंपरिक सीटों से संतोष करना पड़ा था।
दरअसल,कांग्रेस,सपा और आरएलडी के लिए इस बार साथ आना जरुरी हो गया है। कांग्रेस को लोकसभा चुनाव 2019 में 6 फीसदी से कुछ अधिक वोट मिला। पार्टी ने अपने गढ़ अमेठी में मात खाई। राहुल गांधी चुनाव हार गए। केवल रायबरेली से कांग्रेस चुनाव जीत सकी। वहीं, यूपी चुनाव 2022 में पार्टी का प्रदर्शन और खराब रहा। कांग्रेस 2 फीसदी से कुछ अधिक वोट हासिल कर सकी। दो सीटों पर जीती। वहीं कांग्रेस,सपा और रालोद के साथ मिलकर लड़ने से अखिलेश यादव खुद की पार्टी का भी भला देख रहे हैं। यूपी चुनाव 2022 में समाजवादी पार्टी ने रिकॉर्ड 32 फीसदी वोट हासिल किया था। यह पार्टी का अब तक का सबसे अधिक वोट है। पार्टी के गठबंधन में जाने से कांग्रेस का वोट बैंक भी इससे जुड़ने की उम्मीद की जा रही है। भले ही यूपी चुनाव में कांग्रेस का वोट घटा है। लेकिन, अखिलेश को लेकर मुस्लिम वोट बैंक के बीच की नाराजगी को कांग्रेस खत्म कर सकती है। ऐसे में पार्टी कई लोकसभा सीटों पर खुद को मजबूत कर सकती है।
बात करें राष्ट्रीय लोक दल तो जयंत चौधरी ने राहुल गांधी को उनकी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान तपस्वी बताकर भविष्य के इरादे पहले ही जता दिए थे। पश्चिम की करीब एक दर्जन से ज्यादा सीटें ऐसी हैं कि जहां जाट, मुस्लिम और अन्य बिरादरी मिलकर बीजेपी को मुश्किल में डाल सकते हैं। जाहिर है कि यूपी में तीनो लड़के अगर वाकई में साथ आते हैं तो बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं।