Meerut News: विदेशी पक्षियों से गुलजार हुई हस्तिनापुर सेंचुरी, दो घंटे में आठ हजार से अधिक रंग-बिरंगे परिंदे देखे गए
Meerut News: आज मेरठ वन विभाग और मेरठ कंजर्वेशन सोसाइटी द्वारा प्रवासी जलपक्षी और अन्य प्रजातियों का दस्तावेजीकरण करने के उद्देश्य से एक नेचर वॉक का आयोजन किया गया। वन प्रशिक्षण संस्थान, हस्तिनापुर के प्रशिक्षुओं ने प्रमुख मेरठ पक्षी प्रेमियों के साथ विभिन्न पक्षी प्रजातियों का दस्तावेजीकरण करते हुए भीकुंड आर्द्रभूमि के साथ 2 किमी की पैदल यात्रा की।;
Meerut News: ठंडे देशों से प्रवासी पक्षियों की आमद से हस्तिनापुर सेंचुरी गुलजार है। करीब 2073 वर्ग किमी में फैली हस्तिनापुर सेंक्चुअरि मेहमान परिदों के लिए संजीवनी मानी जाती है। यहां की दलदली झीलें प्रवासी पक्षियों को खूब लुभाती हैं।
बता दें कि आज मेरठ वन विभाग और मेरठ कंजर्वेशन सोसाइटी द्वारा प्रवासी जलपक्षी और अन्य प्रजातियों का दस्तावेजीकरण करने के उद्देश्य से एक नेचर वॉक का आयोजन किया गया। वन प्रशिक्षण संस्थान, हस्तिनापुर के प्रशिक्षुओं ने प्रमुख मेरठ पक्षी प्रेमियों के साथ विभिन्न पक्षी प्रजातियों का दस्तावेजीकरण करते हुए भीकुंड आर्द्रभूमि के साथ 2 किमी की पैदल यात्रा की। बर्ड वॉक का संचालन मेरठ डीएफओ राजेश कुमार, आईएफएस द्वारा किया गया।
पाई गई सबसे प्रमुख प्रजातियां
समूह का नेतृत्व वरिष्ठ पक्षी विज्ञानी डॉ. रजत भार्गव के साथ डॉ. जमाल जैदी, डॉ. अनिल रस्तोगी, डॉ. आभा गुप्ता, निश्चिंत मेहरा, अंशू मेहरा और फरमान आलम ने किया। पाई गई सबसे प्रमुख प्रजाति बार-हेडेड गीज थी, जिसकी कुल संख्या कम से कम 3,000 थी। उपस्थित बत्तखों में ब्राह्मणी डक, नॉर्दर्न शॉवेलर, नॉर्दर्न पिंटेल, स्पॉट-बिल्ड डक, कॉटन पिग्मी-हंस और कॉमन टील शामिल थे। हमने सात प्रजातियों की कुल 3,000 बत्तखों का अनुमान लगाया। 500 जलकाग और बगुला के अलावा, टीम ने 1,000 से अधिक जलपोतों की गिनती की।
जलक्रीड़ा करते मेहमान पक्षी आसपास के गुजरने वाले लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहे थे। कभी पानी में अठखेलिया करते तो कभी आसमान में परवाज भरते मेहमान परिदों से हस्तिनापुर सेंचुरी में नजारे ही अलग हैं। हस्तिनापुर सेंचुरी में करीब दस स्थान ऐसे हैं, जहां एशिया और यूरोप के साथ अमेरिका महाद्वीप के भी पक्षी पहुंचते हैं। यहां का अनुकूल मौसम और प्राकृतिक वातावरण 25 से 30 हजार किलोमीटर दूर से इन पक्षियों को आने के लिए मजबूर कर देता है। हिमालय पर्वत श्रृंखला भी इनको आने से नहीं रोक पाती। नवंबर के बाद रूस और चीन में अधिक ठंड हो जाने से ये पक्षी कुछ महीने प्रवास के लिए भारत आते हैं। इनके आने से सेंचुरी का प्राकृतिक सौंदर्य और भी अनुपम होने लगा है।