Meerut News: नवीन शिक्षण पद्धतियों की खोज हेतु मेरठ में शिक्षकों और विशेषज्ञों का जमावड़ा
Meerut News: परंपरा और नवाचार का पुल" शीर्षक के तहत कार्यक्रम में शिक्षकों और विशेषज्ञों को एकत्रित किया गया ताकि वे नवीन शिक्षण पद्धतियों की खोज कर सकें और पारंपरिक शैक्षणिक दृष्टिकोणों को मान्यता दे सकें।
Meerut News: आज यहां साप्ताहिक फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (FDP) के अंतिम दिन राहुल सांकृत्यायन सुभारती स्कूल ऑफ लिंग्विस्टिक्स एंड फॉरेन लैंग्वेजेज, फैकल्टी ऑफ आर्ट्स एंड सोशल साइंसेज, स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ द्वारा "समग्र फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम : परंपरा और नवाचार का पुल" शीर्षक के तहत कार्यक्रम में शिक्षकों और विशेषज्ञों को एकत्रित किया गया ताकि वे नवीन शिक्षण पद्धतियों की खोज कर सकें और पारंपरिक शैक्षणिक दृष्टिकोणों को मान्यता दे सकें। परंपरा और नवाचार का यह अद्वितीय मिश्रण पूरे सप्ताह का केंद्रीय विषय रहा, जिसका उद्देश्य फैकल्टी डेवलपमेंट के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करना था।
शिक्षक ही विद्यार्थी जीवन को गढ़ता है
दिन की गतिविधियों की शुरुआत प्रो. राहुल बंसल, प्रमुख, सामुदायिक चिकित्सा विभाग, सुभारती मेडिकल कॉलेज के एक सटीक भाषण से हुई, जो तनाव प्रबंधन पर केंद्रित था। प्रो. बंसल के भाषण ने मानसिक कल्याण बनाए रखने के लिए व्यावहारिक रणनीतियों को उजागर किया और यह भी बताया कि तनाव प्रबंधन फैकल्टी प्रदर्शन और संपूर्ण संस्थान की उत्पादकता को बढ़ाने में कितना महत्वपूर्ण है। यूनियन बैंक के रीजिनल ऑफिसर मिस्टर राणा संग्राम सिंह ने कहा कि एक शिक्षक ही विद्यार्थी जीवन को गढ़ता है तथा उसे संवारकर एक मजबूत ईमानदार और अच्छा इंसान बनाता है। हमें शरीर का आकार भले ही हमारे माता-पिता देते हैं लेकिन हमारे चरित्र, हमारी भावना तथा हमारे भविष्य का आकार हमें शिक्षक द्वारा ही मिलता है। इसलिए हमें सदैव इन शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए।
फैकल्टी सदस्यों के निरंतर पेशेवर विकास के महत्व पर जोर
डॉ. सुधीर त्यागी, फैकल्टी ऑफ आर्ट्स एंड सोशल साइंसेज के संकाय अध्यक्ष ने स्वागत भाषण दिया, जिससे दिन की कार्यवाहियों के लिए एक गर्म और सहकारी स्वर निर्धारित किया गया। डॉ. त्यागी ने सभी प्रतिभागियों को हार्दिक स्वागत किया और फैकल्टी सदस्यों के लिए निरंतर पेशेवर विकास के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने शिक्षा की परिवर्तनकारी शक्ति और फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्रामों की भूमिका के बारे में बात की जो शैक्षणिक उत्कृष्टता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्रतिकुलपति डॉ. हिमांशु ऐरन के भाषण ने और भी समृद्ध किया और यह भी बताया कि इस तरह के कार्यक्रम विश्वविद्यालय के व्यापक दृष्टिकोण के साथ कैसे मेल खाते हैं। सत्र का समापन डॉ. सीमा शर्मा द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ।
इस अवसर पर डॉ. सीमा शर्मा संयोजक, डॉ. मनीषा लुथरा सह-संयोजक, डॉ. रफत खानम, प्रो. राजेश्वर पाल, डॉ. यशपाल शर्मा, सुश्री स्वाती शर्मा, डॉ. रणवीर सिंह, डॉ. आशीष कुमार ‘दीपांकर’, डॉ. फरहा हाशमी और डॉ. निशि राघव, सुश्री स्वाती शर्मा, डॉ. सपना, डॉ. अल्पना, डॉ. जावेद, डॉ. मोनिका मेहरोत्रा, डॉ. अतुल तिवारी, डॉ. निशि राणा, डॉ. नियति गर्ग, डॉ. मनोज त्रिपाठी, डॉ. उमेश, अमृता, सबा आजमी, अमिता चौधरी, रूबी पाल, डॉ.दुर्गेश राणा, डॉ. नीरू सिंह, डॉ. भुनेश, भावना, शोधार्थियों में प्राची, शालिनी एम्.ए.की छात्रा अपुर्वी मित्तल, छवि चौधरी आदि मौजूद रहे।