ज्ञान का प्राचीन भंडार है भारतीय ज्ञान प्रणाली- डॉ. मनोज कुमार त्रिपाठी

Meerut: डॉ. मनोज कुमार त्रिपाठी ने कहा कि कौटिल्य एक मिश्रित मॉडल का समर्थन करते थे जहां राज्य संसाधनों और उद्योगों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था।

Report :  Sushil Kumar
Update:2024-06-11 18:11 IST

ज्ञान का प्राचीन भंडार है भारतीय ज्ञान प्रणाली- डॉ. मनोज कुमार त्रिपाठी (न्यूजट्रैक)

Meerut News: स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ लिबरल आर्ट्स एंड ह्यूमैनिटीज ने भारतीय ज्ञान परंपरा विषय के अंतर्गत “सुशासन पर कौटिल्य का दृष्टिकोण” विषय पर एक अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया। इस मौके पर विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार त्रिपाठी ने कहा कि भारतीय ज्ञान प्रणाली ज्ञान का एक व्यापक और प्राचीन भंडार है, जिसमें दर्शन, विज्ञान, गणित, चिकित्सा और कला जैसे विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। वेदों, उपनिषदों और महाकाव्यों महाभारत और रामायण जैसे सहस्राब्दी पुराने ग्रंथों में निहित, यह प्रणाली वास्तविकता, मानव अस्तित्व और नैतिक जीवन की प्रकृति में गहन अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। भारतीय दर्शन, वेदांत, बौद्ध धर्म और जैन धर्म जैसे विद्यालयों के माध्यम से, गहरे आध्यात्मिक प्रश्नों और मुक्ति (मोक्ष) की खोज करता है।

कौटिल्य पर बोलते हुए डॉ. मनोज कुमार त्रिपाठी ने कहा कि कौटिल्य एक मिश्रित मॉडल का समर्थन करते थे जहां राज्य संसाधनों और उद्योगों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था। कौटिल्य की विदेश नीति के बारे में बताते हुए डॉ. मनोज ने कहा कि कौटिल्य की विदेश नीति व्यावहारिक और वास्तविक राजनीति पर आधारित थी। उन्होंने शासकों को अपनी कूटनीतिक गतिविधियों में लचीला और रणनीतिक होने, अपने हितों की रक्षा और विस्तार करने के लिए गठबंधन और संधियाँ बनाने की सलाह दी। अर्थशास्त्र में युद्ध, जासूसी और खुफिया जानकारी जुटाने के लिए विस्तृत रणनीतियों की रूपरेखा दी गई है, जिसमें तैयारियों और अनुकूलनशीलता के महत्व पर जोर दिया गया है।

मुख्य वक्ता डा. रामचंद्र सिंह ने अपना उदबोधन प्रारंभ किया। राजनीति विज्ञान में डॉ. रामचन्द्र सिंह एक प्रसिद्ध नाम हैं। उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में कई लेख और शोध पत्र लिखे हैं। उन्होंने कहा कि कौटिल्य, जिन्हें चाणक्य के नाम से भी जाना जाता है, एक प्राचीन भारतीय दार्शनिक, अर्थशास्त्री और राजनेता थे, जिनका मौलिक कार्य, अर्थशास्त्र, शासन, शासन कला, आर्थिक नीति और सैन्य रणनीति पर एक व्यापक मार्गदर्शन प्रदान करता है। शासन पर उनका दृष्टिकोण बहुआयामी है, जो लोगों के कल्याण और सुरक्षा के लिए समर्पित एक बुद्धिमान और सक्षम शासक द्वारा निर्देशित एक मजबूत और कुशल राज्य तंत्र की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देता है। इससे पहले कार्यक्रम का शुभारंभ ज्ञान की देवी मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से हुआ।

कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. अमृता चौधरी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए और भारतीय ज्ञान प्रणाली पर प्रकाश डालते हुए की। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान प्रणाली आध्यात्मिक समझ के साथ अनुभवजन्य जांच का मिश्रण करते हुए समग्र और एकीकृत दृष्टिकोण पर जोर देती है। इसकी समृद्ध परंपराओं और नवीन योगदानों ने वैश्विक बौद्धिक और सांस्कृतिक विकास को गहराई से प्रभावित किया है, जो ज्ञान और आध्यात्मिकता के एक अद्वितीय संश्लेषण को उजागर करता है जो दुनिया भर में गूंजता रहता है। कार्यक्रम में डा. अमित कुमार, डा. नेहा, डा. दुर्वेश कुमार, डा. मानस, डा. नियति, डा. मोनिका मेहरोत्रा, श्रीमती रुबी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संयोजन डा. अमृता चौधरी ने किया।

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