Meerut News: पूर्व मंत्री डॉ मैराजुद्दीन अहमद को नम आंखों से विदाई, जनाजे में जुटे सियासी व समाजिक दिग्गज

Meerut News: पूर्व कैबिनेट मंत्री व कांग्रेस नेता डॉ मैराजुद्दीन अहमद साहब के इंतकाल पर उनके जनाजे में देश के सियासी, समाजी व हर वर्ग के लोगो ने शामिल होकर उन्हें आखरी विदाई दी।;

Report :  Sushil Kumar
Update:2025-01-12 20:54 IST

Dr. Mairajuddin Ahmed laid to rest with tributes (Photo: Social Media)

Meerut News: उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री व कांग्रेस नेता डॉ मैराजुद्दीन अहमद साहब के इंतकाल पर उनके जनाजे में देश के सियासी, समाजी व हर वर्ग के लोगो ने शामिल होकर उन्हें आखरी विदाई दी। उनकी जनाजे की नमाज शाही ईदगाह में शहर क़ाज़ी क़ारी जैनुर साजिद्दीन ने अदा कराई। शाह सुल्तान साहब कब्रिस्तान में उनकी तदफ़ीन की गई। इस दौरान सांसद इमरान मसूद, सांसद राजकुमार सांगवान, शोभित अग्रवाल, विधायक शाहिद मंजूर, विधायक रफीक़ अंसारी, शायर नवाज़ देवबंदी, पूर्व विधायक राजेंद्र शर्मा, सरदार कर्मेन्द्र सिंह, चौधरी यशपाल सिंह, राहुल गांधी के आर्थिक सलाहकार साकिब अली, जेएनके बैंक के डॉयरेक्टर आरएन विश्नोई, अमित पाहवा, शायर इक़बाल अज़हर, यूपी पीडब्ल्यूडी के पूर्व एमडी मसर्रत नूर खान, अनम शेरवानी, एडवोकेट जीएस धामा, इज़हार खान, आदिल चौधरी, वकील अहमद, डॉ सरताज अहमद आदि सहित देश की प्रतिष्ठित हस्तियां शामिल रही। हिन्दू मुस्लिम ने मिलकर उन्हें आखरी विदाई दी। कांग्रेस सेवादल ने भी झंडे के साथ उन्हें विधिवत सलामी दी।

बिहार के गवर्नर आरिफ़ मोहम्मद खान, गुलाम नबी आजाद, रीता बहुगुणा जोशी व अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की वीसी प्रोफेसर नईमा ख़ातून ने उनके बेटे बदर महमूद व फ़ैज़ महमूद से फोन कॉल के ज़रिए दुख ज़ाहिर किया। देर रात तक उनके घर पर चाहने वालो का तांता लगा रहा।

बता दें कि पूर्व मंत्री मैराजुद्दीन 68 वर्ष के थे। उन्हें सर्वाइकल और ब्लड प्रेशर की शिकायत पर दिल्ली एम्स में भर्ती किया गया था, जहां शनिवार को उनका निधन हो गया। मैराजुद्दीन अहमद ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस पार्टी से ही की थी। वह ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के कई वर्षों तक सदस्य रहे। उन्होंने वर्ष 1983 में कांग्रेस से सरधना विधानसभा से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। बाद में उन्होंने 1998 और 1999 में समाजवादी पार्टी से बागपत लोकसभा से चुनाव लड़ा। वे जीत तो नहीं पाए, लेकिन उनके चुनाव लड़ने से चौ. अजित सिंह के काफ़ी वोट का नुकसान उठाना पड़ा। वर्ष 2002 में उन्होंने सपा छोड़कर रालोद का दामन थाम लिया। रालोद में आते ही उन्हें वर्ष 2003 में निर्यात निगम का चेयरमैन बना दिया गया। बाद में रालोद से ही प्रदेश के बाढ़ एवं सिंचाई मंत्री बने। छह माह तक वे कैबिनेट मंत्री रहे। वे रालोद के राष्ट्रीय महामंत्री थे, लेकिन रालोद और भाजपा का गठबंधन होने के बाद उन्होंने पार्टी से त्याग पत्र दे दिया था और काग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे।

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