Loksabha Election 2024: मेरठ सीट पर भाजपा के अरुण गोविल को मिलेगी सफलता! जानें कैसी सियासी बिसात

Loksabha Election 2024 Meerut Seats Details: मेरठ हापुड़ लोकसभा सीट पर अगर जातीय समीकरण की बात करें तो यहां दलित-मुस्लिम बाहुल्य मतदाताओं का वर्चस्व है। 2019 के आंकड़ों पर नजर डालें तो यहां करीब 5,64,000 मुस्लिम समुदाय है। इसके अलावा जाटव भी इस शहर में खासा असर रखते हैं।

Written By :  Sandip Kumar Mishra
Update: 2024-04-14 13:34 GMT

Loksabha Election 2024: देश की राजधानी दिल्ली से 70 किमी की दूरी स्थित मेरठ शहर का अपना अलग ही राजनीतिक पहचान है। यह शहर यूपी के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित है। मेरठ हापुड़ लोकसभा सीट पर पिछले तीन चुनाव से भाजपा का कब्जा है। इस बार भाजपा ने मौजूदा सांसद राजेंद्र अग्रवाल का टिकट काटकर अरुण चंद्रप्रकाश गोविल को चुनावी मैदान में उतारा है। जबकि बसपा ने दवा व्यवसायी देवव्रत त्यागी को उम्मीदवार बनाया है। वहीं सपा ने अपने दो उम्मीदवारों को बदलने के बाद सुनीता वर्मा पर दाव लगाया है। यहां कुल आठ उम्मीदवार इस बार के चुनावी में रण में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। लोकसभा चुनाव 2019 की बात करें तो इस सीट पर बेहद कड़ा मुकाबला देखने को मिला था। भाजपा के राजेंद्र अग्रवाल ने सपा बसपा के संयुक्त उम्मीदवार हाजी याक़ूब क़ुरैशी को 4,729 वोट से हराकर जीत की हैट्रिक लगाई थी। इस चुनाव में राजेंद्र अग्रवाल को 5,86,184 और हाजी याक़ूब क़ुरैशी को 5,81,455 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के हरेंद्र अग्रवाल को महज 34,479 वोट मिले थे। वहीं 2014 के चुनाव में भी भाजपा के राजेंद्र अग्रवाल ने बसपा के मोहम्मद शाहिद अखलाक को 2,32,326 वोट से हराकर जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में राजेंद्र अग्रवाल को 5,32,981 और मोहम्मद शाहिद अखलाक को 3,00,655 वोट मिले थे। जबकि सपा के शाहिद मंजूर को 2,11,759 और कांग्रेस की टिकट पर चुनावी मैदान में उतरी बॉलीवुड अभिनेत्री नगमा को महज 42,911 वोट मिले थे।

यहां जानें मेरठ हापुड़ लोकसभा क्षेत्र के बारे में

  • मेरठ हापुड़ लोकसभा क्षेत्र का निर्वाचन संख्या 10 है।
  • यह लोकसभा क्षेत्र 1952 में अस्तित्व में आया था। 
  • मेरठ हापुड़ लोकसभा क्षेत्र में वर्तमान में 5 विधानसभा क्षेत्र हैं। जिसमें किठौर, मेरठ कैंट, मेरठ, मेरठ साउथ और हापुड़ जिले के हापुड़ विधानसभा क्षेत्र हैं।
  • इन 5 विधानसभा सीटों में से 2 पर सपा और 3 पर भाजपा के विधायक हैं।
  • यहां कुल 18,92,931 मतदाता हैं। जिनमें से 8,59,263 पुरुष और 10,33,535 महिला मतदाता हैं।
  • मेरठ हापुड़ लोकसभा सीट पर 2019 में हुए चुनाव में कुल 12,16,940 यानी 64.29 प्रतिशत मतदान हुआ था।

सपा उम्मीदवार सुनीता वर्मा रह चुकीं हैं मेरठ शहर से महापौर 


सपा उम्मीदवार सुनीता वर्मा ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत डेढ़ दशक पहले जिला पंचायत सदस्य के तौर पर की थी। सुनीता वर्मा 2017 में मेरठ शहर से महापौर चुनी गईं थी। उन्होंने भाजपा की कांता कर्दम को 29,582 वोट से हराकर बसपा के टिकट पर जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में सुनीता वर्मा को 2,34,817 और कांता कर्दम को 2,05,235 वोट मिले थे। बाद में योगेश वर्मा और सुनीता वर्मा ने सपा का दामन थाम लिया था। उनके पति योगेश वर्मा 2007 में बसपा के टिकट पर हस्तिनापुर सीट से विधायक बने थे। 2012 में बसपा से टिकट कटा तो योगेश बगावत कर पीस पार्टी से मैदान में कूद पड़े। लेकिन उन्हें प्रभुदयाल वाल्मीकि से हार का सामना करना पड़ा था। फिर 2022 में योगेश सपा के टिकट पर हस्तिनापुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े, मगर दिनेश खटीक से हार गए थे।

यहां जानें भाजपा उम्मीदवार अरुण चंद्रप्रकाश गोविल के बारे में


भाजपा उम्मीदवार अरुण चंद्रप्रकाश गोविल का जन्म 12 जनवरी 1958 को मेरठ में हुआ था। उनका बचपन शाहजहांपुर में बीता तो वहीं कॉलेज की पढ़ाई चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी से की। अरुण चंद्रप्रकाश गोविल इंजिनियर बनना चाहते थे और इसलिए इंजिनियरिंग साइंस में एडमिशन लिया, पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। अरुण चंद्रप्रकाश गोविल के पिता श्री चंद्र प्रकाश गोविल सरकारी नौकरी में थे और बेटे से भी कुछ ऐसी ही उम्मीद थी, लेकिन वह कुछ ऐसा करना चाहते थे जिसे लोग हमेशा याद रखें। बस वह 1975 में 17 वर्ष की उम्र में मुंबई पहुंच गए। हालांकि वह तब ऐक्टिंग का सपना लेकर मुंबई नहीं गए थे, बल्कि भाई के बिजनेस में हाथ बंटाने के मकसद से गए थे। अरुण चंद्रप्रकाश गोविल ने कॉलेज के दिनों में खूब नाटकों में काम किया था, इसलिए उन्होंने कुछ दिनों बाद ऐक्टिंग की दुनिया में कदम रखने का फैसला किया।


अरुण चंद्रप्रकाश गोविल 6 भाई-बहनों में चौथे नंबर पर थे। उनके बड़े भाई विजय गोविल ने तब्बसुम से शादी की थी, जो पहले चाइल्ड ऐक्ट्रेस थीं और सिलेब्रिटीज़ से चैट शो शुरू करने वाली पहली ऐक्ट्रेस थीं। बस उनकी भाभी तब्बसुम ने उन्हें ताराचंद बड़जात्या से मुलाकात करवाया। वह अरुण चंद्रप्रकाश गोविल से मिलकर इतने इम्प्रेस हुए कि उनके साथ उन्होंने 3 फिल्मों की डील साइन कर ली। उसके बाद रामानंद सागर के एक अन्य सीरियल 'विक्रम-बेताल' से टीवी की दुनिया में कदम रखा। फिर 'रामायण' में राम के किरदार उनको शोहरत मिल गई। अरुण चंद्रप्रकाश गोविल पिछले काफी सालों से ऐक्टिंग की दुनिया से दूर हैं। अरुण अब अपनी प्रोडक्शन कंपनी चला रहे हैं। उनके प्रोडक्शन में टीवी सीरियल 'मशाल' प्रोड्यूस हुआ था। साथ ही उनकी प्रोडक्शन कंपनी दूरदर्शन के लिए कार्यक्रम बनाती है।

मेरठ हापुड़ लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास

गंगा और यमुना के बीच बसे प्राचीन शहर मेरठ में सिंधु घाटी सभ्यता के निशान भी मिले हैं। यह शहर खेल से जुड़े विश्वस्तरीय उत्पादों के लिए खास पहचान रखता है। साथ ही संगीत वाद्ययंत्र मामले में सबसे बड़ा उत्पादक है. इसके अलावा इस शहर को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में शिक्षा का अहम केंद्र भी माना जाता है। 1857 की क्रांति का बिगुल इसी मेरठ में बजा था और फिर तेजी से देश में कोने-कोने तक पहुंचा था। मेरठ शहर के बारे में कहा जाता है कि इसका नाम 'मयराष्ट्र' शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ माया का देश है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, मय असुरों का वास्तुकार था। उनकी बेटी मंदोदरी रावण की पत्नी थी। महाभारत के दौर में कौरवों की राजधानी हस्तिनापुर में थी, जो आज के मेरठ में ही स्थित है। मध्यकालीन दौर में इस शहर की इंद्रप्रस्थ (वर्तमान दिल्ली) से नजदीकी की वजह से इस क्षेत्र की अहम पहचान बनी रही।

आजादी के बाद देश में 1952 में हुए पहली लोकसभा चुनाव में मेरठ को 3 लोकसभा क्षेत्रों में बांटा गया था। मेरठ जिला (वेस्ट), मेरठ जिला (साउथ), मेरठ जिला (नॉर्थ ईस्ट)। इन तीनों ही सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। इनमें मेरठ वेस्ट सीट से खुशी राम शर्मा, मेरठ साउथ से कृष्णचंद्र शर्मा और मेरठ नॉर्थ ईस्ट से शाहनवाज खान सांसद बने। फिर 1957 में तीनों लोकसभा सीटों को एक कर मेरठ लोकसभा सीट का गठन किया गया। इस चुनाव में भी कांग्रेस ने शाहनवाज खान को फिर से मैदान में उतारा। शाहनवाज लगातार दूसरी बार सांसद चुने गए। 1962 के चुनाव में क्रांतिकारी सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार महाराज सिंह भारती को हराकर शाहनवाज खान ने तीसरी बार जीत की हैट्रिक लगाई। लेकिन 1967 के चुनाव में कांग्रेस को पहली बार मेरठ सीट पर हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी के एमएस भारती ने कांग्रेस के उम्मीदवार शाहनवाज खान को हरा दिया।

इस सीट पर बसपा को एक बार मिली सफलता

कांग्रेस ने 1971 के चुनाव में शाहनवाज खान को फिर से इसी सीट से उतारा। इस चुनाव में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (ऑर्गनाइजेशन) के उम्मीदवार हरी किशन को हरा कर फिर से जीत दर्ज की। लेकिन 1977 के लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी के कैलाश प्रकाश ने शाहनवाज खान का हरा दिया। फिर 1980 के चुनाव में कांग्रेस ने नई उम्मीदवार मोहसिना किदवई को चुनावी मैदान में उतारा। मोहसिना किदवई 1980 और 1984 में लगातार दो बार यहां से सांसद चुनी गईं। लेकिन 1989 में जनता दल के हरीश पाल ने मोहसिना को हरा दिया। 1991 के चुनाव में भाजपा ने अमर पाल सिंह को उतारा वह 1991, 1996, 1998 में लगातार तीन बार जीत दर्ज करके हैट्रिक लगाई। लेकिन कांग्रेस के अवतार सिंह भड़ाना ने 1999 में जीत दर्ज करके भाजपा के रथ को रोक दिया। 2004 में मोहम्मद शाहिद अखलाक ने रालोद के मलूक नागर को 69,336 वोट से हराकर इस सीट पर बसपा का खाता खोला था। उसके बाद यह सीट भाजपा के खाते में चली गई।

मेरठ लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण

मेरठ हापुड़ लोकसभा सीट पर अगर जातीय समीकरण की बात करें तो यहां दलित-मुस्लिम बाहुल्य मतदाताओं का वर्चस्व है। 2019 के आंकड़ों पर नजर डालें तो यहां करीब 5,64,000 मुस्लिम समुदाय है। इसके अलावा जाटव भी इस शहर में खासा असर रखते हैं। इनकी आबादी करीब 3,14,788 है। बाल्मीकि समाज की बात करें तो 58,700 के आसपास इनकी आबादी है। मेरठ लोकसभा सीट पर ब्राह्मण 1,18,000 हैं। जबकि 1,83,000 वैश्य और 41,000 की आबादी त्यागी समाज के लोगों की है। पिछड़े वर्ग में जाटों की आबादी करीब 1,30,000 के आसपास हैं। वहीं गुर्जर समुदाय के लोगों का भी खासा जोर है। इनकी आबादी करीब 56,300 है। 41,150 सैनी और 46,800 प्रजापति समाज समाज की आबादी है। पाल समाज 27,000 और कश्यप समाज 30,000 के आसपास हैं।

मेरठ लोकसभा क्षेत्र से अब तक चुने गए सांसद

  • कांग्रेस से खुशी राम शर्मा, कृष्णचंद्र शर्मा और शाहनवाज खान 1952 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से शाहनवाज खान 1957 और 1962 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से महाराज सिंह भारती 1967 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से शाहनवाज खान 1971 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनता पार्टी से कैलाश प्रकाश 1977 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से मोहसिना किदवई 1980 और 1984 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनी गईं।
  • जनता दल से हरीश पाल 1989 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से अमर पाल सिंह 1991, 1996 और 1998 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से अवतार सिंह भड़ाना 1999 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • बसपा से मोहम्मद शाहिद अखलाक 2004 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से राजेंद्र अग्रवाल 2009, 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
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