Meerut News: मुस्लिम और दलित मतों के बिखराव से मुकाबला दिलचस्प, चौंकाने वाला हो सकता है नतीजा

Meerut News: वोटिंग के दौरान मुस्लिम मतों के बिखराव से मुकाबला दिलचस्प हो गया। सपा और बसपा के अलावा औवेसी की पार्टी एआईएमआईएम प्रत्याशी अनस और कांग्रेस के खाते में भी मुस्लिम मत दर्ज किए गए।

Update:2023-05-12 17:43 IST
UP Nikay Chunav 2023

Meerut News: भाजपा-बसपा और सपा के लिए साख का सवाल बनी मेरठ नगर निगम महापौर पद की जंग रोचक हो गई है। बुधवार को हुए मतदान के दौरान प्रत्याशियों का भाग्य मतपेटी में बंद हो गया, लेकिन वोटिंग के दौरान मुस्लिम मतों के बिखराव से मुकाबला दिलचस्प हो गया। सपा और बसपा के अलावा औवेसी की पार्टी एआईएमआईएम प्रत्याशी अनस और कांग्रेस के खाते में भी मुस्लिम मत दर्ज किए गए। हालांकि सपा की सीमा प्रधान ने गुर्जरों का वोट शत प्रतिशत लिया। जाट, दलित वर्ग के वोट भी सपा को मिले, लेकिन जीत के लिए जिस हिसाब से मुस्लिमों का वोट मिलना चाहिए था, वो नहीं मिला। यही नहीं मुस्लिम इलाके के 21 वार्डों में पार्षद पद के प्रत्याशी उतारने का लाभ भाजपा के भी मिलता नजर आया।

माना जा रहा है कि इन वार्डों में ज्यादा न सही लेकिन भाजपा के पक्ष में मुस्लिमों ने मतदान किया है। बहरहाल,सपा को मुस्लिम वोटों के बिखराव से सबसे बड़ा झटका लगा हैं। क्योंकि सपा का चुनाव मुस्लिमों पर ही टिका हुआ था। अनुसूचित जाति का भी वोट बसपा से खिसक कर सपा और भाजपा की तरफ जाता दिखाई दिया। ऐसे में दलित मतों और मुस्लिम मतों के बिखराव से मुकाबला कांटे का हो चला है।

चुनाव प्रचार से भी सपा नेताओं ने किनारा किया

दरअसल, सपा के कई बड़े नेता विधायक अतुल प्रधान का विरोध कर रहे थे। चुनाव प्रचार से भी सपा नेताओं ने किनारा किया। पहले दिन से ही ये प्रचार किया गया कि अतुल प्रधान की पत्नी को टिकट गलत दिया हैं, यहां से किसी मुस्लिम को चुनाव मैदान में उतारा जाना चाहिए था। पार्टी के अंदरुनी हालात को सुधारने के लिए पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रोड शो भी किया, इसके बाद नाराज पार्टी नेताओं को समझाया, लेकिन फिर भी सपा के बड़े नेताओं ने मेयर प्रत्याशी सीमा प्रधान के खिलाफ भितरघात की। शहर विधायक रफीक अंसारी प्रचार करने नहीं निकले। सिर्फ प्रचार के नाम पर खानापूर्ति करते हुए दिखाई दिये। यही नहीं, दलितों के बड़े नेता पूर्व विधायक योगेश वर्मा भी प्रचार में कहीं नहीं दिखे। इससे पहले उनकी पत्नी सुनीता वर्मा ही मेयर थी। पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं किठौर विधायक शाहिद मंजूर ने भी सपा प्रत्याशी के प्रचार से दूरी बनाकर रखी। ऐसे नेताओं ने अपनी ही पार्टी की जड़ में मठ्ठा डालने का काम किया।

वैसे,मुस्लिम मतों में बिखराव से भाजपा में नई उम्मीद जगी है। फिर हिंदू मतों का ध्रुवीकरण भाजपा के पक्ष में नजर आया, लेकिन मतदान प्रतिशत कम होना भाजपा के लिए चिंता का विषय बना है। नगर निगम में क्षेत्र में 12,57,440 मतदाता हैं। इन्हीं के हाथों महापौर के भाग्य का फैसला होगा। इनमें करीब एक तिहाई मुस्लिम मतदाता हैं, जिनमें बंटवारा नजर आया। बहरहाल, भाग्य का पिटारा 13 मई यानी कल की मतगणना के बाद खुलेगा, लेकिन एक बात साफ है कि मुस्लिम मतों के बिखराव से समीकरणों में आए बदलाव से मुकाबला दिलचस्प हो गया।

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