Meerut News: 'पशु हमारे प्रयोग करने के लिए नहीं है', PETA इंडिया ने प्रयोगकर्ता क्रिस्टीन लैटिन के लेक्चर का किया विरोध

Meerut News: मेरठ में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के बाहर एकत्र होकर लुइसियाना स्टेट यूनिवर्सिटी (एलएसयू) की कुख्यात प्रयोगकर्ता क्रिस्टीन लैटिन द्वारा दिए जाने वाले लेक्चर का विरोध किया।

Report :  Sushil Kumar
Update: 2024-03-19 11:12 GMT

लुइसियाना स्टेट यूनिवर्सिटी (एलएसयू) की कुख्यात प्रयोगकर्ता क्रिस्टीन लैटिन का PETA इंडिया ने किया विरोध: Photo- Newstrack

Meerut News: उत्तर प्रदेश के जनपद मेरठ में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के बाहर एकत्र होकर लुइसियाना स्टेट यूनिवर्सिटी (एलएसयू) की कुख्यात प्रयोगकर्ता क्रिस्टीन लैटिन द्वारा दिए जाने वाले लेक्चर का विरोध किया। विरोधकर्ता, विशाल गौरैया के मुखौटे पहने हुए और हाथों में "प्रयोगकर्ता क्रिस्टीन लैटिन ने क्रूर परीक्षणों में गौरैया को मार डाला" और " गौरैया के दिमाग को नुकसान पहुंचाना और डराना कोई विज्ञान नहीं है" जैसे संकेत लिखे बोर्ड पकड़कर पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया के समर्थकों ने जमकर प्रदर्शन किया।

पेटा प्रवक्ता ने बताया कि इस प्रदर्शन के माध्यम से हमारे समर्थक क्रिस्टीन लैटिन को यह संदेश देंगे कि "चिड़ियों पर अपने क्रूर और निराधार परीक्षण करना क्रूरता है", वह अपने बेतुके प्रयोगों के लिए चिड़ियों को अनेकों यातनाएं देती है जैसे- उन्हें ट्रांसमीटर लगाना, उन्हें इंजेक्ट करना, अनजानी वस्तुएं दिखाना, उनके सिर काट देना, और इन भीषण व क्रूर प्रयोगों में ही उन्हें मार देना।

PETA इंडिया, लैटिन के अत्याचारों को दुनिया के सामने ला रही- डॉ. अंजना अग्रवाल

PETA इंडिया की विज्ञान नीति सलाहकार डॉ. अंजना अग्रवाल कहती हैं कि "क्रिस्टीन लैटिन के निरर्थक प्रयोगों के लंबे इतिहास ने उन्हें केवल एक चीज का विशेषज्ञ बनाया है, वह है चिड़ियों को पकड़ना, उन्हें आतंकित करना और फिर मार डालना। PETA इंडिया लैटिन के अत्याचारों को दुनिया के सामने ला रहा है और उम्मीद करता है कि लोग यह जानकर चौंक जाएंगे कि उसकी प्रयोगशाला में विज्ञान के नाम पर नन्हें पक्षियों पर क्या अत्याचार होते हैं।"

Photo- Social Media

पिछले 15 वर्षों में विभिन्न विश्वविद्यालयों में किए गए अन्य प्रयोगों में, लैटिन ने गौरैया और अन्य जंगली पक्षियों को पकड़ा है और फिर बेकार के प्रयोगों के नाम पर उनपर अत्याचार किए जैसे उन्हें पिंजरों में डालकर कुछ-कुछ समय बाद उनके पिंजरों को खड़खड़ाना, उनके पंखों को नोच लेना, बिना किसी दर्द निवारक दवा के उनके पैरों में छेद कर देना, जानबूझकर उन्हें मजबूर करने वाली मनोवैज्ञानिक पीड़ा और दर्द देना और उन्हें कच्चे तेल से सना हुआ खाना खिलाना। ऐसे अनगिनत दर्दनाक प्रयोगों को करने के बाद उन नन्हें पक्षियों को मार दिया गया।

PETA अमेरिका ने भी किया विरोध

PETA अमेरिका के 1,34,000 से अधिक समर्थकों ने लुइसियाना स्टेट यूनिवर्सिटी से अनुरोध किया है कि इन क्रूर परीक्षणों के नाम पर वह क्रिस्टीन लैटिन को अनुदान देना बंद करे।

'पशु हमारे प्रयोग करने के लिए नहीं है'

PETA इंडिया जो इस सिद्धांत के तहत काम करता है कि ‘पशु हमारे प्रयोग करने के लिए नहीं है’, प्रजातिवाद का विरोध करता है। प्रजातिवाद एक ऐसी धारणा है जिसमे मनुष्य इस संसार में स्वयं को सर्वोपरि मानकर बाकी अन्य प्रजातियों का शोषण करना अपना अधिकार समझता है।

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