Meerut News: राम जन्मभूमि मामले में आदेश लिखने वाले जस्टिस सुधीर अग्रवाल का बड़ा बयान

Meerut News Today: बोले - श्रीराम जन्मभूमि विवाद में फैसला न सुनाते तो इसमें अगले 200 साल तक भी फैसला नहीं हो पाता।

Update:2023-06-03 14:43 IST
जस्टिस सुधीर अग्रवाल (Pic Credit -Social Media)

Meerut News Today: 500 वर्षों से अधिक पुराने श्रीराम लला मंदिर का फैसला सुनाने वाले रिटायर जस्टिस सुधीर अग्रवाल का कहना है कि जीवन काल में यह निर्णय लेकर उन्होंने जीवन धन्य कर दिया। हालांकि उनका यह भी कहना है कि उन पर अयोध्या के राम जन्मभूमि मामले में फैसला टालने का भारी दबाव था। बकौल सुधीर अग्रवाल - फैसला न सुनाने का दबाव बाहर ही नहीं, घर के भीतर भी बना हुआ था। परिवार, रिश्तेदार सभी सुझाव देते रहे कि वह किसी तरह समय कटने का इंतजार करें और खुद फैसला न दें। ऐसे में उनकी पत्नी नूतन अग्रवाल ने उन्हें उनके मन की सुनने का सुझाव दिया और हर निर्णय में साथ खड़ी रही। सुधीर अग्रवाल का यह भी कहना है कि अगर 30 सितंबर 2010 को वह श्रीराम जन्मभूमि विवाद में फैसला न सुनाते तो इसमें अगले 200 साल तक भी फैसला नहीं हो पाता।

जस्टिस सुधीर अग्रवाल कहते हैं-जब अयोध्या मामले की पीठ में मेरा नाम डालने की बात हुई चीफ जस्टिस ने पूछा, ब्रदर हम इस पीठ में आपको डालना चाहते हैं, आपको कोई आपत्ति है? मैंने कहा, आप मुझे नियुक्त करें, लेकिन यदि मैं नियुक्त हुआ तो मुकदमे का फैसला करूंगा।

सरकारी सरकारी स्कूलों की अवस्था सुधारने के लिए अफसरों, नेताओं व मंत्रियों के बच्चों को सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाए जाने, सरकारी अस्पतालों व्यवस्था सुधारने के लिए भी सरकारी कर्मचारियों, अधिकारियों व मंत्रियों के सरकारी अस्पताल में ही इलाज कराने पर सरकारी सुविधा व धनराशि मिलने जैसे आदेश सुनाने वाले जस्टिस सुधीर अग्रवाल शुक्रवार को मेरठ कॉलेज में एक कार्यक्रम में शामिल होने आए थे। वर्तमान में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में न्यायिक सदस्य के तौर पर सक्रिय जस्टिस सुधीर अग्रवाल कहते हैं कि न्यायाधीश के तौर पर करीब 1,40,000 से अधिक न्यायिक मामलों में फैसला लेते हुए कभी किसी दबाव में आए बिना निर्णय लिखवाए। इसलिए श्री राम जन्मभूमि के मामले में भी मुझे यह एहसास होने लगा था कि अगर यह निर्णय मैंने नहीं सुनाया तो यह फिर से बहुत लंबे समय तक अटक जाएगा। हालांकि उन्होंने श्री राम जन्मभूमि पर फैसला सुनाने का दबाव बनाने वालों का नाम अभी उजागर नहीं किए हैं।

जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने कहा किश्रीरामजन्मभूमि के फैसले के कारण ही उनकी पहचान है। वह बताते हैं कि जब तक लोगों को सिर्फ जस्टिस सुधीर अग्रवाल का नाम पता रहता है, तब तक उनके चेहरे पर कोई खास भाव नहीं नजर आता लेकिन जैसे ही लोगों को यह पता चलता है कि मैंने ही श्रीराम जन्मभूमि पर आदेश लिखवाया था, उसके बाद लोगों के भाव बदल जाते हैं। सम्मान कई गुना बढ़ जाता है ।

बता दें कि इंडियन मीडिया वेलफेयर एसोसिएशन के प्रेसिडेंट राजीव निशाना जस्टिस सुधीर अग्रवाल की बायोग्राफी बना रहे हैं। जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने एलएलबी की पढ़ाई वर्ष 1977 से 1980 तक मेरठ कालेज से ही की थी। बायोग्राफी के सिलसिले में ही मेरठ कालेज में शूटिंग करने शुक्रवार को पहुंचे जस्टिस सुधीर अग्रवाल की यह बायोग्राफी 14 जुलाई को उनकी पत्नी नूतन अग्रवाल के जन्मदिन पर दिल्ली के एक सभागार में रिलीज होगी।

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