Meerut News: मेरठ के विक्टोरिया पार्क में आयोजित महापंचायत में सपा विधायक अतुल प्रधान के धरने में जुटी भीड़
Meerut News: सपा विधायक ने इस बीजेपी नेत्री का नाम लिया बगैर कहा कि आपके यह जो मेडिकल कॉलेज बने हैं मुलायम सिंह यादव और पार्टी की बदौलत बने हैं। इनका नाम भी मुलायम सिंह यादव मेडिकल कॉलेज रखा गया था।
Meerut News: महंगी चिकित्सा और शिक्षा के खिलाफ सपा विधायक अतुल प्रधान का पांचवें दिन भी धरना जारी रहा। विधायक द्वारा आज बुलाई गई कि बड़ी पंचायत में भारी भीड़ जुटी। भीड़ से उत्साहित दिख रहे विधायक अतुल प्रधान ने प्रशासन को ललकारते हुए कहा कि हमारा आंदोलन अहिंसात्मक है। हमने गांधीजी की तस्वीर लगा रखी है। हम गांधी जी को मानते हैं लेकिन अगर भगत सिंह बनने की जरूरत पड़ेगी तो आपकी लाठी, आपकी गोली, हमारी छाती होगी।
आज की महापंचायत में मेरठ समेत आसपास के जिलों से लोग पहुंचे हैं। इस मौके पर विधायक अतुल प्रधान ने ऐलान किया है कि धरना स्थल विक्टोरिया पार्क नहीं बल्कि कलेक्ट्रेट है। इसी के साथ उन्होंने कलेक्ट्रेट जाने का ऐलान किया और कहा कि पुलिस और प्रशासन को उनके खिलाफ जो कार्रवाई करनी है वह कर ले। उन्होंने कहा कि अन्याय के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे। विधायक अतुल प्रधान ने कहा कि वह गिरफ्तारी देने को तैयार है, लेकिन वह कलेक्ट्रेट में करेंगे। कहा की सरकार को नियम कानून बनाने होंगे। पब्लिक के साथ नाइंसाफी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अतुल प्रधान ने इस मौके पर भाजपा नेत्री जो पहले समाजवादी पार्टी में थी का नाम लिए बगैर कहा कि एक एमएलसी हैं समाजवादी पार्टी ने उन्हें दो बार एमएलसी बनवाया है उन्होंने कल मेरे आंदोलन पर टिप्पणी करते हुए
एक बयान में कहा कि अतुल प्रधान का तो यही काम है। सपा विधायक ने इस बीजेपी नेत्री का नाम लिया बगैर कहा कि आपके यह जो मेडिकल कॉलेज बने हैं मुलायम सिंह यादव और पार्टी की बदौलत बने हैं। इनका नाम भी मुलायम सिंह यादव मेडिकल कॉलेज रखा गया था। लेकिन जैसे ही प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार गई इन्होंने (भाजपा नेत्री) ने यह कहते हए नाम बदल दिया की नाम खराब है। कोई आदमी लोभ और लालच में कितना गिर जाता है इसका पता इसी बात से चलता है।
बता दें कि मेरठ के सरधना विधानसभा क्षेत्र के विधायक अतुल प्रधान बृहस्पतिवार से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि निजी अस्पतालों में इलाज सस्ता होना चाहिए। पॉलिसी बननी चाहिए। डॉक्टरों की फीस, जांच आदि का खर्च कम होकर तय होना चाहिए। निजी अस्पतालों में फीस, जांच और दवाओं के लिए मोटा खर्च लिया जाता है। सरकारी अस्पतालों में सुविधाएं नहीं हैं, इसलिए लोग निजी अस्पतालों में रुख करते हैं। बहरहाल, सपा विधायक के आंदोलन ने प्रशासन और सरकार को सकते में डाल रखा है।