Mirzapur News: पीएम के अपील के बाद मिट्टी के दियो को मिली है संजीवनी, 50 लाख मिट्टी के दीये बनाने के लिए मजदूर कर रहे काम

Mirzapur News: देश की संस्कृति और परंपरा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अपील ने नया जीवन दिया है। पीएम के मिट्टी के दीए जलाने के अपील के बाद से मिट्टी के दीये की मांग अच्छी खासी बढ़ गई है।

Report :  Brijendra Dubey
Update:2024-10-18 17:37 IST

Mirzapur News ( Pic- Newstrack)

Mirzapur News: देश की संस्कृति को विदेशी धरती तक पहुंचा रहे हैं चुनार के रंग बिरंगे दिए, चाइनीज झालरों से अस्तित्व का संकट लड़ रहे दियों की बढ़ रही है मांग । पीएम के अपील के बाद मिट्टी के दियो को मिली है संजीवनी। रंग-बिरंगे मिट्टी के दियों की बढ़ती मांग ने चायनिज झालरों को पीछे छोड़ दिया है, देश के कई राज्यों सहित विदेशों में है खासी मांग । 50 लाख मिट्टी के दीये बनाने के लिए 260 मजदूर कर रहे है काम। राम, श्याम, गोपी, राधा, नाम लिखे मिट्टी दिये बनाने महिला मजदूरों की बदल गई है किस्मत।

मिट्टी के दिए की मांग बढ़ी

दीपावली रोशनी का पर्व है और मिट्टी के दीये जलाने की परंपरा हमारे देश में रही है पर बीते कुछ वर्षों से आधुनिकता की चकाचौंध में डूबे लोग इसके स्थान पर चाइनीज लाइट और मोमबत्तियों को अपना लिए थे जिसके चलते मिट्टी के दीये का कारोबार कम होता चला जा रहा था । देश की संस्कृति और परंपरा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अपील ने नया जीवन दिया है। पीएम के मिट्टी के दीए जलाने के अपील के बाद से मिट्टी के दीये की मांग अच्छी खासी बढ़ गई है। मिर्जापुर के चुनार तहसील स्थित समसपुर गांव में लाखों की संख्या में मिट्टी के रंग-बिरंगे दीये बनाए जा रहे हैं जिसकी डिमांड प्रदेश के कई जिलों के साथ ही मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ के साथ पड़ोसी देश नेपाल तक है।

चायनीज झालरों को मात दे रहे रंग बिरंगे कलरफुल मिट्टी के दीये

दीये को बनाने के लिए सैकड़ो की संख्या में महिलाएं कम पर लगी हुई है । दीया तैयार होते ही दीया का कारोबार करने वाले दुकानदार खरीदारी कर ले रहे हैं । इसके साथ ही फ्लिपकार्ट और अमेजॉन पर भी बिक्री की जा रही है. एक रुपये से लेकर 50 रुपये तक है दिए का मूल्य है । चुनार क्षेत्र के समसपुर गांव में मिट्टी के दीये को बना रही महिला कारीगर ने बताया कि घर के पास काम मिल गया है बाहर जाने की अब जरूरत नहीं पड़ती है। सुबह 9:00 बजे कारखाने में आ जाते हैं फिंगरप्रिंट से हाजिरी लगाने के बाद काम शुरू करते हैं, 6 घंटे काम कर घर चले जाते हैं, काम के बदले 250 रुपये मजदूरी मिलने से परिवार का जीविकोपार्जन किया जा रहा है और बच्चों को अच्छी शिक्षा दी जा रही है।

मिट्टी के दिए का निर्माण करा रहे व्यवसाई ने बताया कि चायनीज झालरों को मात देने के लिए रंग बिरंगे कलरफुल मिट्टी के दीये की डिमांड देश के कई राज्यों के साथ ही पड़ोसी देश नेपाल तक की जा रही है । नेपाल में इस बार 16 लाख दीये की बिक्री हो चुकी है, पिछले साल 25 लाख दिये कि बिक्री हुई थी इस बार 50 लाख दिए बिक्री होने की उम्मीद है जिसके लिए महिलाएं कारखाने में दीया बना रही है। प्रधानमंत्री के अपील के बाद से ही मिट्टी के दिए का कारोबार काफी बढ़ा है । दियों के अस्तित्व पर छाए संकट के बदल हट गए हैं, कुम्हार इस कार्य में फिर से लौट रहे हैं।

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