Mirzapur News: मां विंध्यवासिनी के दर्शन कर भक्तों ने लिया आशीर्वाद

Chaitra Navratri in Mirzapur: पहले दिन हिमालय पुत्री शैलपुत्री के रूप में आदिशक्ति का सविधि पूजन अर्चन करने का विधान।

Report :  Brijendra Dubey
Update: 2024-04-09 04:34 GMT

Chaitra Navratri 2024  (photo: social media )

Chaitra Navratri in Mirzapur: यूपी के मिर्जापुर जिले के विंध्याचल स्थित विंध्यवासिनी मंदिर में भारी संख्या में दर्शन करने भक्त पहुंच रहे हैं। आदिशक्ति जगदम्बा का परम धाम विन्ध्याचल केवल एक तीर्थ नहीं बल्कि प्रमुख सिद्धपीठ है। वर्ष में दो बार बासंतिक एवं शारदीय नवरात्रि में लगने वाले विशाल मेले में यहां दूर-दूर से भक्त मां के दर्शन के लिए आते हैं। मंगलवार को नवरात्रि मेला भोर की मंगला आरती से आरम्भ हो गया। नवरात्र में आदिशक्ति के नौ रूपों की आराधना की जाती है।

पहले दिन होती है मां शैलपुत्री की पूजा

पहले दिन हिमालय की पुत्री पार्वती अर्थात शैलपुत्री के रूप में आदिशक्ति का सविधि पूजन अर्चन करने का विधान है। प्रत्येक प्राणी को सदमार्ग पर प्रेरित वाली माँ का यह स्वरूप सभी के लिए वन्दनीय है। विन्ध्यपर्वत और पापनाशिनी माँ गंगा के संगम तट पर विराजमान माँ विंध्यवासिनी शैलपुत्री के रूप में दर्शन देकर अपने भक्तों का कष्ट दूर करती हैं। नवरात्रि के पहले दिन श्रद्धालु पूरी आस्था के साथ आदिशक्ति माँ विंध्यवासिनी का दर्शन पूजन कर रहे हैं। घंटी घडियालों से पूरा विन्ध्य क्षेत्र गुंजायमान हो उठा।


जानिए क्या है पौराणिक मान्यता

अनादिकाल से भक्तो के आस्था का केंद्र बने विन्ध्य पर्वत व पतित पावनी माँ भागीरथी के संगम तट पर श्रीयंत्र पर माता विंध्यवासिनी विराजमान हैं। माँ की प्रथम दिन शैलपुत्री के रूप में पूजन अर्चन किया जाता है। शैल का अर्थ पहाड़ होता है। तीर्थ पुरोहित पंडित राजन मिश्रा कहते हैं, कथाओं के अनुसार पार्वती पहाड़ों के राजा हिमालय की पुत्री थीं। पर्वत राज हिमालय की पुत्री को शैलपुत्री भी कहा जाता है। उनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का फूल है। भारत के मानक समय के लिए विन्दु के रूप में स्थापित विन्ध्यक्षेत्र में माँ को बिंदुवासिनी अर्थात विंध्यवासिनी के नाम से भक्तों के कष्ट को दूर करने वाला माना जाता है। प्रत्येक प्राणी को सदमार्ग पर प्रेरित करने वाली माँ शैलपुत्री सभी के लिए आराध्य हैं। घर के ईशान कोंण में कलश स्थापना के साथ ही माता के भक्त साधना में जुट गए हैं। नौ दिन माँ दुर्गा मन, वचन, कर्म सहित इस शरीर के नौ द्वार से माँ सभी भक्तों की मनोकामना को पूरा करती हैं। भक्त को जिस-जिस वस्तुओं की जरूरत होती है। वह सभी माता रानी प्रदान करती हैं। यह विद्वानों का मानना है। आज के दिन साधक के मूलाधार चक्र का जागरण होता है।


देश के कोने-कोने से आते है भक्त

सिद्धपीठ में देश के कोने-कोने से ही नहीं विदेश से आने वाले भक्त भी माँ का दर्शन पाकर निहाल हो उठते हैं। दर्शन करने के लिए लम्बी-लम्बी कतारों में लगे भक्त माँ के जयकारा लगाते रहते हैं। भक्तो की आस्था से प्रसन्न होकर माँ उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी कर देती हैं। जो भी भक्त की अभिलाषा होती है माँ उसे पूरी करती हैं। माँ के धाम में पहुंचकर भक्त परम शांति की अनुभूति करते हैं। उन्हें विश्वास है कि माँ सब दुःख दूर कर देंगी। नवरात्र में माँ के अलग-अलग रूपों की पूजा कर भक्त सभी कष्टों से छुटकारा पाते हैं। माता के किसी भी रूप में दर्शन करने मात्र से प्राणी के शरीर में नयी उर्जा, नया उत्साह व सदविचार का संचार होता है और माँ अपने भक्तों के सारे कष्टों का हरण कर लेती हैं। नवरात्रि भर विंध्य क्षेत्र में लाखों भक्त माँ का दर्शन पाने के लिए आते हैं।

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