Navratri 5th Day: नवरात्र की पंचमी तिथि को होती है स्कंदमाता की पूजा, जानिए क्या है पांचवे दिन की महिमा

Navratri 5th Day: नवरात्र की पंचमी तिथि को साधक का मन विशुद्ध चक्र में होता है जो माँ की कृपा से जागृत हो जाता है।

Report :  Brijendra Dubey
Update: 2024-04-13 03:37 GMT

Navratri 5th Day (Pic: Newstrack)

Navratri 5th Day: मिर्जापुर जनपद में स्थित विंध्याचल मंदिर में नवरात्र की पंचमी तिथि को स्कंदमाता की पूजा की जाती है। इनकी चार भुजाएं हैं, दाहिनी तरफ की ऊपर वाली भुजा में भगवान स्कंद गोद में हैं। दाहिने तरफ की नीची वाली भुजा में कमलपुष्प है। बाएं तरफ की ऊपर वाली भुजा वरमुद्रा तथा नीचे वाली भुजा में भी कमलपुष्प है। स्कंदमाता भक्तों को सुख- शांति प्रदान वाली है। देवासुर संग्राम के सेनापति भगवान स्कंद की माता होने के कारण मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जानते हैं।

नवरात्र की पंचमी तिथि को साधक का मन विशुद्ध चक्र में अवस्थित होना चाहिए जिससे कि ध्यान वृत्ति एकाग्र हो सके। यह शक्ति परम शांति व सुख का अनुभव कराती है। मां स्कंदमाता की उपासना से मन की सारी कुण्ठा जीवन-कलह और द्वेष भाव समाप्त हो जाता है। मृत्यु लोक में ही स्वर्ग की भांति परम शांति एवं सुख का अनुभव प्राप्त होता है। साधना के पूर्ण होने पर मोक्ष का मार्ग स्वत: ही खुल जाता है।

सिंहासानगता नितयं पद्माश्रितकरद्वया।

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।

अर्थात: मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप का नाम स्कंदमाता है। 

जानिए क्या है पांचवे दिन की महिमा

तीर्थ पुरोहित पंडित राजन मिश्रा कहते हैं, कि आदिकाल से आस्था का केंद्र रहे विन्ध्याचल में विन्ध्य पर्वत व पतित पावनी माँ भागीरथी के संगम तट पर श्रीयंत्र पर विराजमान माँ विंध्यवासिनी का पांचवे दिन "स्कंदमाता" के रूप में पूजन व अर्चन किया जाता है। भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की माता होने के कारण इस पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। यह कमल के आसन पर विराजमान हैं, इसलिए इन्हें पद्मासन देवी भी कहा जाता है। इनका वाहन भी सिंह है। इन्हें कल्याणकारी शक्ति की अधिष्ठात्री कहा जाता है। यह दोनों हाथों में कमलदल लिए हुए और एक हाथ से अपनी गोद में ब्रह्मस्वरूप सनतकुमार को थामे हुए हैं।


स्कंद माता की गोद में उन्हीं का सूक्ष्म रूप छह सिर वाली देवी का है। नवरात्र की पंचमी तिथि को साधक का मन विशुद्ध चक्र में होता है जो माँ की कृपा से जागृत हो जाता है। श्रद्धालु बताते है, कि देश के कोने कोने से नौ दिनों तक नवरात्र में भक्त माता रानी का दर्शन पाने के लिए आते हैं। करुणामयी मां का दर्शन पाकर भक्त भाव विभोर हो उठते हैं। भक्तों का कहना है कि मां बड़ी दयालु है सभी मनोकामना पूरी करती हैं। मां का दर्शन पाकर मां को बहुत ही शांति और सुकून मिलता है। उनके बारे में कुछ भी शब्दों से बयां नहीं किया जा सकता है।

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