गोंडा-बलरामपुर के एमएलसी महफूज खांः एक नेता, एक पार्टी

गोंडा-बलरामपुर के एमएलसी महफूज खां का कहना है विधायकों के अनुपात में एमएलसी को क्षेत्र के विकास के लिए साढ़े 16 करोड़ मिलना चाहिए। जबकि मात्र डेढ़ करोड़ रुपये ही मिलते हैं। वहीं विधायक के क्षेत्र में मात्र दो विकास खंड आते हैं, जिसमें वह प्रति वर्ष 75 लाख रुपये से प्रति ब्लाक क्षेत्र में विकास करा सकते हैं।

Update:2020-08-31 19:36 IST

तेज प्रताप सिंह

गोंडा। सफलता पर सभी का जन्म सिद्ध अधिकार है और इस अधिकार को कोई किसी से छीन नहीं सकता, ईमानदारी से कोशिश करते रहने पर कामयाबी जरूर मिलती है।

महफूज खां ने बनाया अलग मुकाम

इसे साबित कर दिखाया है गोंडा-बलरामपुर के एमएलसी महफूज खां ने। ये जिले में एक ऐसे राजनेता हैं, जिन्होंने इस बात को झुठलाया है कि केवल उच्च शिक्षित और साधन सम्पन्न लोग ही जीवन में सफलता हासिल कर सकते हैं।

तमाम मिथकों को तोड़ने वाले समाजवादी नेता और गोंडा-बलरामपुर से वर्तमान विधान परिषद सदस्य महफूजुर्रहमान खां उर्फ महफूज खां ने राजनीति में अलग मुकाम बनाया है।

 

उन्होंने पूरी निष्ठा, ईमानदारी और हौसले से बिना रुके थके 35 साल एक ही दल में गुजार दिए। 22 वर्षों तक अनवरत जिलाध्यक्ष की कमान संभालने के दौरान समाजवादी पार्टी ने कई बार लोक सभा और विधान सभा चुनाव में बड़ी जीत का परचम लहराया।

मुलायम के वफादार

लोक दल से जनता दल और समाजवादी पार्टी तक राजनीतिक यात्रा में पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ समाजवादी पुरोधा मुलायम सिंह के साथ रहे महफूज खां को इसी वफादारी का सिला मिला। समाजवादी पार्टी ने उन्हें दो बार विधान परिषद जाने का मौका दिया।

आपसी भाईचारा, सामाजिक सौहार्द, कमजोरों की मदद करना और गंगा जमुनी तहजीब के लिए मशहूर महफूज खां को तमाम मानवीय गुण विरासत में मिले हैं।

सदैव निर्विवाद, आम अवाम के प्रिय एमएलसी महफूज खां को व्यक्तिगत जीवन में भी ईमानदार और स्वच्छ छवि का नेता माना जाता है।

पुरखों के विरासत को मुकाम पर पहुंचा रहे महफूज खां राजनीति में नहीं आते तो ठेकेदारी और खेती किसानी करते।

नामी गिरामी परिवार से हैं

जिले के कटरा बाजार विधान सभा क्षेत्र में हलधरमऊ गांव के निवासी महफूज खां के पिता हबीबुर्रहमान खां आजादी के बाद आजीवन ग्राम प्रधान होते रहे। वे जिला परिषद गोंडा के भी सदस्य रहे।

इसके पहले उनके बाबा और स्वतंत्रता सेनानी मुंशी इशहाक खां भी कई बार जिला परिषद के सदस्य रहे थे। उन्होंने ही अपने गांव के नाम से हलधरमऊ ब्लाक बनवाया था।

तब हर ब्लाक क्षेत्र से जिला परिषद के लिए एक सदस्य का चुनाव होता था। महफूज खां ने भी बचपन में समाजसेवा और राजनीति अपने पिता ग्राम प्रधान पिता हबीबुर्रहमान खां की ही अंगुली पकड कर सीखी।

पिता पर अटूट विश्वास

उनके पिता की दूरदर्शिता, अनवरत संघर्ष और त्याग एवं उन पर अटूट विश्वास का ही परिणाम है कि वह अपने लक्ष्य व मुकाम हासिल कर पाए।

पिता के सामाजिक और राजनीतिक कार्यों में हाथ बंटाने का परिणाम रहा कि वे हाईस्कूल तक ही पढ़ सके। पिता के निधन के बाद 1990 में वे निर्विरोध हलधरमऊ गांव के प्रधान बन गए।

1995 में पत्नी सितारुन्निशां के बाद साल 2000, 2005 व 2015 में उनके ज्येष्ठ पुत्र मसूद खां प्रधान बने। वर्तमान में उनकी पुत्रवधू और मसूद खां की पत्नी जरीना खातून प्रधान हैं।

चाचा रहे सांसद, विधायक

आजादी के पूर्व से ही कांग्रेस की विचारधारा से जुड़ा महफूज खां का परिवार 80 के दशक में लोकदल के नेता मुलायम सिंह यादव के सम्पर्क में आया और 1985 में लोकदल के टिकट पर उनके सगे चाचा फसीउर्रहमान उर्फ मुन्नन खां कटरा बाजार से विधायक चुने गए।

इस चुनाव के संचालन की पूरी व्यवस्था महफूज खां के हाथ में होने का नतीजा रहा कि वे जिले भर में चर्चित हो गए और यहीं से उनके सक्रिय राजनीति की शुरुआत हो गई।

चाचा मुन्नन खां ने क्षेत्र में कामकाज का पूरा जिम्मा भी उन्हें ही सौंप दिया था। साल 1989 में जब विश्वनाथ प्रताप सिंह के नेतृत्व में लोकदल के स्थान पर जनता दल बना और भाजपा से गठबंधन हुआ।

निर्दल लड़कर जीते मन्नन खां

तब विधायक मुन्नन खां ने बलरामपुर लोक सभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की लेकिन चूंकि बलरामपुर सीट भाजपा के खाते में थी इसलिए वहां से भाजपा के सत्यदेव सिंह को टिकट मिला।

 

लेकिन मुन्नन खां ने निर्दल के रुप में चुनाव लड़कर जीत हासिल की और अपनी राजनीतिक ताकत का अहसास करा दिया। हालांकि बाद में मुलायम सिंह के कहने पर उन्होंने जनता दल का ही समर्थन किया।

1997 से 2019 तक रहे सपा के जिलाध्यक्ष

साल 1989 में डा. एसपी यादव को जब गोंडा जिले में लोक दल का जिलाध्यक्ष बनाया गया तो उन्होंने महफूज खां को जिला उपाध्यक्ष बनाकर पार्टी में अहम जिम्मेदारी दी। इसके बाद 1992 में जब समाजवादी पार्टी बनी तब भी उनका जिला उपाध्यक्ष का पद बरकरार रहा।

1997 में जब गोंडा का विभाजन हुआ और बलरामपुर अलग जिला बना तो सपा के सांगठिनक चुनाव में महफूज खां को गोंडा जिले का अध्यक्ष चुन लिया गया। तब से 2019 तक वे निर्विरोध जिलाध्यक्ष बने रहे।

सपा में मिलता है टिकट

उनका कहना है कि सारे दलों में अब कैडर समाप्त हो गया है। सपा इकलौता ऐसा दल रह गया है, जहां आज भी मुझ जैसे साधारण कार्यकर्ता को टिकट मिलता है।

वह कहते हैं कि राजनीति की साफ सफाई का कार्य जनता ही कर सकती है। जनता को जातिवाद, धर्मवाद व लालच से ऊपर उठकर सही जन प्रतिनिधि का चुनाव करना चाहिए।

जीतते जीतते रह गए पहला चुनाव

समाजवादी पार्टी के जिला उपाध्यक्ष के पद पर कार्य करते हुए पार्टी के प्रति समर्पण और क्षेत्र में जनाधार को देखते हुए सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने 1993 के विधान सभा चुनाव में महफूज खां को कटरा बाजार से साइकिल चुनाव निशान पर चुनाव लड़ा दिया।

कार्यकर्ताओं के साथ क्षेत्र की जनता ने भी जबरदस्त समर्थन किया लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया और वे जीतते जीतते रह गए। महफूज खां मामूली मतों के अंतर से भाजपा के उम्मीदवार से श्रीराम सिंह से चुनाव हार गए।

दो बार बने विधान परिषद सदस्य

पार्टी के प्रति निष्ठा और समर्पण को देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री और सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने महफूज खां को साल 2004 में स्थानीय निकाय क्षेत्र गोंडा-बलरामपुर से विधान परिषद सदस्य का चुनाव लड़ाया, जिसमें वे विजई रहे।

इसके बाद 2016 में मुलायम सिंह के पुत्र और तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी उन पर भरोसा करते हुए पुनः विधान परिषद चुनाव में सिम्बल देकर मैदान में उतार दिया।

इस चुनाव में भी उन्हें ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य, नगरपालिका, नगर पंचायतों के सभासदों का भरपूर समर्थन मिला। उन्होंने जीत का परचम लहराया और वर्तमान में वे आज भी गोंडा-बलरामपुर का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

महफूज खां कहते हैं कि आर्थिक रुप से कमजोर होने के बावजूद पार्टी और जनता ने उन पर भरोसा किया, जिसका परिणाम है कि उन्हें दोनों चुनाव में जीत मिली।

22 साल रहे कार्यकर्ताओं के सिरमौर

पूर्वजों के काल से ही जिले में नामी गिरामी राजनीतिक परिवार से ताल्लुक होने और दो बार से एमएलसी बनने के बावजूद उन्हें पद का कोई घमंड नहीं। यही वजह है कि पार्टी कार्यकर्ताओं ने उन्हें सिर आंखों पर बिठाया और 22 सालों तक उन्हें अगुआई का अवसर प्रदान किया।

आज के भौतिकवादी युग में राजनीतिक चकाचौंध से दूर हमेशा शांत रहने वाले सपा एमएलसी महफूज खां के मन में बदले की भावना भी नहीं रहती। खुद मुस्लिम पठान बिरादरी से हैं लेकिन वे सर्वसमाज के लोगों की पसंद हैं।

 

आगंतुकों का सम्मान और खातिरदारी कोई उनसे सीख सकता है। दो-दो बार प्रदेश के उच्च विधायी सदन विधान परिषद का सदस्य होने के बावजूद वे गांव में ही रहते हैं और गांव घर की ही भाषा में बात करते हैं।

चेहरे पर हमेशा मुस्कराहट और साफगोई से बात कहने के लिए वे जाने जाते हैं। अफसर हो अथवा कोई छोटा कर्मचारी, उनके सम्मान पूर्वक बात करने की शैली का ही प्रभाव होता है कि उनका काम आसानी से हो जाता है।

राजनीति के इसी अलग अंदाज के बल पर वे 35 साल से पार्टी और 10 साल से गोंडा-बलरामपुर दोनों जिलों में जनता की सेवा करते आ रहे हैं।

सत्ता की गुलाम है नौकरशाही

विधायक निधि के सवाल पर महफूज खां कहते हैं विधान परिषद सदस्यों को दी जाने वाली धनराशि अत्यंत कम है। इसे बढ़ाया न जा सके तो खत्म कर देना चाहिए क्योंकि जनता की अपेक्षाएं कई गुना अधिक हैं। वैसे भी दो जिलों में 25 ब्लाक, 11 नगर निकाय और 11 विधान सभा वाले क्षेत्र में प्रतिवर्ष डेढ़ करोड़ से कुछ नहीं हो पाता।

क्षेत्र नौकरशाही के सवाल पर उन्होंने कहा कि आज की नौकरशाही सत्ताधारी पार्टी की गुलाम बन चुकी है। इसलिए विपक्ष के नेताओं का छोटे से छोटा काम भी नहीं हो पाता। इसके अलावा सत्ताधारियों को खुश रखकर नौकरशाही आकंठ भ्रष्टाचार में भी डूबी हुई है।

पात्रों को जन कल्याण कारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। नौकरशाहों द्वारा विकास कार्यों में भी अड़ंगेबाजी की जाती है।

खत्म हो एमएलसी और बीडीसी का पद

दल बदल के सख्त विरोधी महफूज खां विधान परिषद सदस्य और क्षेत्र पंचायतों के सदस्य (बीडीसी) का पद समाप्त करने की बात करते हैं।

उनका कहना है कि कहने को तो विधायी सदनों में विधान परिषद को उच्च सदन माना जाता है लेकिन अधिकार के मामले में यह बहुत पिछड़ा है। कोई विधेयक विधान परिषद में न भी पास तो विधान सभा उसे पारित कर कानून बना सकती है। ऐसे में विधान परिषद का कार्य सिर्फ सत्ताधारी दल के चहेतों को उपकृत करना रह जाता है।

इसके अलावा बहुत बड़े क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने और क्षेत्रीय विकास के लिए मिलने वाली विधायक निधि की धनराशि इतनी कम है कि उससे एक छोटी सी सड़क भी नहीं बन सकती।

इसी प्रकार क्षेत्र पंचायतों के विकास के लिए क्षेत्र पंचायत सदस्य चुने जाते हैं लेकिन सत्ता की दबंगई के इस दौर में अब तो उन्हें ब्लाक प्रमुख चुनने का भी अधिकार नहीं मिल पाता।

राजनीतिक बदलाव से देश पर संकट

समाजवादी प्रणेता राम मनोहर लोहिया और मुलायम सिंह यादव को अपना आदर्श मानने वाले महफूज खां ने राजनीति में बदलाव की चर्चा करते हुए कहा कि 2014 में केन्द्र में भाजपा की सरकार बनने और नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश में जो बदलाव हुआ है।

उससे देश में बिखराव और भय का माहौल बना है। आज जहां एक ओर केन्द्र व राज्य सरकारों के कार्य शैली से गरीबों और जरूरत मंदों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है।

वहीं कश्मीर में धारा 370 का खात्मा, मुस्लिम महिलाओं के लिए अभिशाप बन चुके ट्रिपल तलाक और देश में अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए नागरिकता संशोधन कानून बनाकर नया बखेड़ा खड़ा किया गया है।

इसके दूरगामी परिणाम होंगे भारत में साम्प्रदायिक सौहार्द को खतरा उत्पन्न हो गया है।

चुनाव में धन और बल के प्रयोग को अनुचित बताते हुए सपा एमएलसी महफूज खां ने कहा कि चुनाव आयोग को और सख्त होकर धन्ना सेठों और अपराधियों को राजनीतिक पदों पर काबिज होने से रोकना होगा।

उन्होंने बताया कि सबसे अधिक खुशी राजनीति में तब मिली जब उन्होंने साधनहीन होते हुए भी पहली बार विधान परिषद सदस्य का चुनाव जीता था।

गोंडा-लखनऊ फोरलेन बडी उपलब्धि

महफूज खां बताते हैं कि गोंडा अत्यंत पिछड़ा क्षेत्र है यहां सड़कों का अभाव साफ देखा जा सकता था। जिले से राजधानी लखनऊ पहुंचने में कई घंटे लग जाते थे। नतीजन कई मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते थे।

लिहाजा उनके नेतृत्व में ही सभी विधायकों ने गोंडा से लखनऊ तक फोरलेन रोड बनाने की मांग मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से की तो वे मान गए और उन्होंने रोड के निर्माण को मंजूरी दे दी।

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बजट स्वीकृति के बाद निर्माण कार्य प्रारंभ भी हो गया लेकिन तब तक सरकार चली गई। काम रोक दिया गया तब फिर उन्होंने पत्राचार किया, जिसका परिणाम रहा कि भाजपा सरकार ने बजट देकर निर्माण पूरा करवा दिया।

इसी प्रकार गोंडा-बलरामपुर, गोंडा-उतरौला समेत दर्जनों खराब सड़कों का प्रस्ताव कर सपा के शासनकाल में निर्माण कराया।

ऊंट के मुंह में जीरा है विधायक निधि

महफूज खां बताते हैं कि एमएलसी क्षेत्र के मतदाता जिला पंचायत सदस्य, नगर पालिका टाउन एरिया के सभासद, प्रधान, बीडीसी होते हैं। उन्हें भी क्षेत्र में विकास कराने के लिए मात्र डेढ़ करोड़ रूपए हर वर्ष सरकार से मिलता है।

जबकि हमारे क्षेत्र में गोंडा की कर्नलगंज, कटरा बाजार, मेहनौन, गोंडा सदर, तरबगंज, मनकापुर, गौरा, और बलरामपुर की बलरामपुर सदर, तुलसीपुर, गैसड़ी और उतरौला विधानसभा क्षेत्र आता है।

 

क्षेत्र में 25 विकास खंड व 11 नगर पालिका, टाउन एरिया क्षेत्र है। यदि मात्र विकास खंड को ही लें तो प्रति विकास खंड मात्र 06 लाख रुपए से विकास कार्य हो सकता है। जबकि एक विकास खंड में औसतन 70 से 80 ग्राम पंचायत व आठ-नौ सौ मजरे हैं।

साढ़े 16 करोड़ मिले

छह लाख रुपए में मात्र डेढ़ सौ मीटर डामर सड़क बन सकती है। एमएलसी का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है। 6 वर्ष में एक ब्लाक के मात्र 6 पुरवों में डेढ़-डेढ़ सौ मीटर डामर सड़क बन सकती है।

ऐसे में विधायकों के अनुपात में एमएलसी को क्षेत्र के विकास के लिए साढ़े 16 करोड़ मिलना चाहिए। जबकि मात्र डेढ़ करोड़ रुपये ही मिलते हैं। वहीं विधायक के क्षेत्र में मात्र दो विकास खंड आते हैं, जिसमें वह प्रति वर्ष 75 लाख रुपये से प्रति ब्लाक क्षेत्र में विकास करा सकते हैं।

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उन्होंने बताया कि हर वर्ष एमएलसी व विधायकों को 100 इंडिया मार्क का नल मिलता था। विधायकों का क्षेत्र दो विकास खंड का होता है इसलिए विधायक प्रति ब्लाक 50-50 नल लगवाते थे।

एमएलसी के क्षेत्र में चूंकि 25 ब्लाक हैं इसलिए प्रति ब्लाक चार नल हर वर्ष लग पाता था। वर्तमान भाजपा सरकार ने पिछले वर्ष से यह योजना भी बंद कर दी है।

सदन में उठाते हैं जन समस्या

महफूज खां कहते हैं कि बहुत बड़ा क्षेत्र होने के कारण एमएलसी विकास तो नहीं करा सकता लेकिन वह जिम्मेदारी निभाते हुए अपने क्षेत्र के जनहित के मामलों को विधान परिषद में उठाते रहते हैं।

उन्होंने बताया कि अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री काल में जिला चिकित्सालय गोंडा में 300 बेड का अस्पताल व जिला महिला चिकित्सालय गोंडा में 150 बेड के अस्पताल निर्माण हेतु धन आवंटित कर निर्माण कार्य करा दिया गया था।

बहुत थोड़ा सा निर्माण काम बचा था। तब तक भाजपा की सरकार आ गई तो भाजपा सरकार ने उक्त निर्माण कार्य को रोक दिया। तब मेरे द्वारा विधान परिषद में प्रश्न लगाने के बाद सरकार जागी और शेष कार्य पूरा किया गया।

इसी प्रकार भाजपा सरकार ने बहुत जोर शोर से प्रचार किया था कि किसानों की आमदनी दूना कर दिया जाएगा। लेकिन किसानों की हालत दिनबदिन खराब हो रही है।

पूछा था कैसे करेंगे किसानों की दूनी आमदनी

इस पर जब विधान परिषद में प्रश्न लगाकर सरकार से पूछा कि जब छुट्टा जानवर से किसानों की फसल बच नहीं रही है तो किस प्रकार किसानों की आमदनी दूना करेंगे। इस प्रश्न का उत्तर भी सरकार नहीं दे पाई।

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उन्होंने नियम 110 के तहत कई सड़कों, किसानों का बकाया गन्ना मूल्य और कई अन्य समस्याओं पर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया है। उन्होंने कहा कि सपा के शासन काल में सबके साथ समान व्यवहार होता रहा।

लेकिन वर्तमान भाजपा सरकार में केवल सत्ता धारी दल के जन प्रतिनिधियों के प्रस्ताव पर ही धन दिया जा रहा है। विपक्ष के जन प्रतिनिधियों की अनदेखी और भेदभाव से जनता का अहित हो रहा है।

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