लखनऊ। यह सोचना कि पति-पत्नी दोनों ही एक दूसरे के मोबाइल फोन पर बराबर से नजर रखते हैं, गलत है। असलियत में भारतीय पति अपनी बीवियों के मोबाइल फोन के बारे में ज्यादा खुफियागीरी करते हैं। भारत के संदर्भ में यही सच्चाई है । एक अमेरिकी थिंकटैंक द्वारा 11 विकासशील व उभरते देशों में किए गए सर्वे में यह बात निकल कर आई है। सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह पता चली है कि बाकी देशों में अधिकांश लोग झूठी जानकारी और हानिकारक कंटेंट के बारे में चिंतित हैं लेकिन भारत में लोग इससे बेपरवाह हैं। भारत में सिर्फ 55 फीसदी व्यस्कों ने झूठी जानकारी और हानिकारक कंटेंट के प्रति चिंता जाहिर की है। और तो और, भारत में 81 फीसदी लोगों का तो मानना है कि मोबाइल फोन कंटेट से उनको आमतौर पर मदद ही मिली है।
अमेरिका के 'प्यू रिसर्च सेंटर ' ने 'मोबाइल कनेक्टिविटी इन इमर्जिंग इकॉनमिक्स ' नाम से एक शोध प्रस्तुत किया है जिसमें बाकी देशों की तुलना में भारत एक विसंगति के रूप में सामने आया है। खास तौर पर मोबाइल के सकारात्मक इस्तेमाल व शिक्षा अदि के मामले में। यह शोध मेक्सिको, वेनेजुएला, कोलम्बिया, साउथ अफ्रीका, कीनिया, भारत, विएतनाम, फिलिपीन्स, ट्यूनीशिया, जॉर्डन और लेबनान में किया गया।
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शोध में बाकी देशों में सिर्फ भारत ही ऐसा देश पाया गया जो कनेक्टिविटी में फिसड्डी है। यहां करीब आधे व्यस्क बेसिक मोबाइल फोन इस्तेमाल करते हैं जो इंटरनेट से कनेक्ट नहीं हो पाता। सिर्फ एक तिहाई लोग स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं जबकि बाकी देशों में यह आंकड़ा बहुत ज्यादा है। बाकी सब देशों में जहां ६० फीसदी से ज्यादा लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं वहीं भारत में यह आंकड़ा ३८ फीसदी है।
भातर में सोशल मीडिया का सबसे कम इस्तेमाल होता है - सिर्फ ३१ फीसदी लोगों द्वारा। इस मामले में सिर्फ कीनिया ही है जो भारत के करीब है। वहां ४१ फीसदी लोग सोशल मीडिया का प्रयोग करते हैं। तीन से ज्यादा एप इस्तेमाल करने वालों की बात की जाए तो भारत ११ देशों की लिस्ट में नीचे के तीन देशों में है।
बाकी देशों में बड़ी तादाद में लोग अनैतिक व नुकसानदेह कंटेट के प्रति बच्चों के एक्सपोजर को लेकर चिंतित हैं लेकिन भारत में ऐसा नहीं है। यहां मात्र ५५ फीसदी ने ऐसी चिंता जाहिर की। यही नहीं, भारत में लोगों में झूठी सूचना और पहचान की चोरी (आईडेंटिटी थेफ्ट) को लेकर बहुत कम चिंता है।
सोशल मीडिया अच्छा है या बुरा इसको लेकर भारत में लोगों की राय में बहुत बड़ा अंतर है। ३७ फीसदी लोग मानते हैं कि सोशल मीडिया समाज के लिए फायदेमंद है जबकि ९ फीसदी लोगों का मानना है कि सोशल मीडिया बुरा है।
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दो-तिहाई लोगों का मानना है कि इंटरनेट और फोन का शिक्षा पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा, आधे से ज्यादा लोगों का मानना है कि यह परिवार को एकसाथ बांधे रखने में मददगार है, करीब ४० फीसदी लोगों का कहना था कि इंटरनेट और फोन राजनीति में सहायक है।
भारत में फेसबुक इस्तेमाल करने वाले लोग सिर्फ २४ फीसदी हैं लेकिन दुनिया भर में फेसबुक के एक्टिव यूजर भारत में ही हैं। यानी यहां लोग फेसबुक का बहुत इस्तेमाल करते हैं। व्हाट्सअप की बात करें तो यहां ३० फीसदी लोग ही उसका प्रयोग करते हैं।
भारत की तरह मेक्सिको, कोलम्बिया, जार्डन, साउथ अफ्रीका और लेबनान में व्यस्क लोग फेसबुक से ज्यादा व्हाट्सअप का प्रयोग करते हैं। भारत में सिर्फ ४ फीसदी लोगों ने कहा कि वे ट्विटर का प्रयोग करते हैं, ७ फीसदी लोग इंस्टाग्राम का, 2 फीसदी लोग स्नैपचैट का, 1 फीसदी लोग टिंडर का और 1 फीसदी लोग वाइबर का प्रयोग करते हैं।
भारत में 62.7करोड़ इंटरनेट यूजर्स
2019 के अंत तक देश में इंटरनेट यूजर्स की संख्या 62.7 करोड़ के पार पहुंच जाएगी, जो 2018 के 56.6 करोड़ यूजर्स से 11 प्रतिशत ज्यादा है। मार्केट रिसर्च कंपनी कंतार आईएमआरबी द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार जहां शहरों में इंटरनेट यूजर्स की संख्या सात प्रतिशत बढ़कर 2018 में 31.5 करोड़ हो गई थी, वहीं ग्रामीण भारत में 35 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई थी। अनुमान है कि ग्रामीण भारत में 25.1 करोड़ इंटरनेट यूजर्स हैं और यह संख्या 2019 के अंत तक 29 करोड़ हो सकती है।
गांवों और शहरों में पिछले साल इंटरनेट यूजर्स की संख्या में बढ़ोतरी के मामले में बिहार 35 फीसदी वृद्धि के साथ सबसे ऊपर रहा।
इंटरनेट कंपनियों ने जुटाए सात अरब डॉलर
ई-कॉमर्स और कंज्यूमर सेक्टर की ऑनलाइन कंपनियों ने 2018 में प्राइवेट इक्विटी (पीई) और वेंचर कैपिटल (वीसी) के जरिए सात अरब डॉलर से अधिक जुटाए हैं।'ई-कॉमर्स एवं उपभोक्ता इंटरनेट क्षेत्र -भारत ट्रेंडबुक 2019' शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकांश पूंजी सप्लाई चेन स्थापित करने, नई श्रेणियों में विस्तार, अधिग्रहण/एकीकरण और नवीन उत्पादों की पेशकश के लिए जुटाई गई है। ओयो, स्विगी, बायजू, पेटीएम मॉल, पाइन लैब्स, जोमैटो, उड़ान, पॉलिसी बाजार और क्रूफिट जैसी स्टार्टअप कंपनियों ने कुल मिलाकर पिछले वर्ष 4.6 अरब डॉलर जुटाए। इस दौरान हुए सौदों में वालमार्ट द्वारा फ्लिपकार्ट में 16 अरब डॉलर में 77 फीसद हिस्सेदारी का अधिग्रहण, अलीबाबा का बिगबास्केट और पेटीएम में निवेश, टेनसेंट का ड्रीम 11 में और नैस्पर्स का बायजू और स्विगी में निवेश शामिल हैं।