मुरादाबाद: अब बेटियों की गर्भ में हत्या नहीं होगी। उन्हें पालने का सहारा मिलेगा। रेलवे स्टेशन,बस स्टेण्ड,सड़क पर लावारिस मिलने वाले बच्चों की परवरिश पालने में होगी। कोई भी व्यक्ति अपने अनचाहे बच्चों को बिना अपना नाम सार्वजनिक किए इस पालने में छोड़ सकता है। यूपी के एक डीएम ने इंसानियत की मिशाल कायम करते हुए इस मुहिम की शुरुआत की है।
मासूम बच्चों की ज़िन्दगी बचाने के लिए मुरादाबाद के डीएम ने एक 'सुनेहरा पालना' योजना बनाई है। इसमें लावारिस मासूमों का पालन-पोषण किया जाएगा। चाइल्ड लाइन सेंटर पर पालने की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। यह योजना बेटियों को बचाने के लिए शुरू की गई है,लेकिन लावारिस बच्चा मिलने पर उसकी भी परवरिश यहां की जाएगी।
परिजन की पहचान नहीं होगी सार्वजनिक
इस पालने में कोई भी परिजन अपने अनचाहे बच्चों को छोड़कर जा सकते हैं। बड़ी बात ये है की इस बारे में किसी भी प्रकार की कोई भी जानकारी परिजन की बिना मर्जी के नहीं रखी जाएगी।
बेटीयों को बचाने के लिए अनोखी पहल
अक्सर देखा गया है कि बेटों की चाहत में मासूम बेटियों की हत्या या तो गर्भ में ही कर दी जाती है या फिर उन्हें जन्म के बाद मार दिया जाता है। जिसके कारण बेटियों की संख्या में कमी आ रही है। इसी कमी को दूर करने के लिए प्रशासन ने एक कार्यक्रम के तहत चाइल्ड लाइन की मदद से बच्चों की जान बचाने के लिए 'सुनेहरा पालना' कार्यक्रम चलाया है।
सुनेहरा पालना अजन्मे बच्चों के लिए होगा वरदान
मुरादाबाद के डीएम ने पहल करते हुए अजन्मे बच्चों को बचाने के लिए इस कार्यक्रम का शुभारम्भ किया है। डीएम जुहेर बीन सगीर ने रेलवे स्टेशन,बस स्टेण्ड,सड़क आदि किसी स्थान पर लावारिस अवस्था में मिलने वाले बच्चों की परवरिश के लिए पालने की व्यवस्था की है। कोई भी अनचाहे बच्चों को बिना अपना नाम सार्वजनिक किए इस पालने में छोड़ सकता है। वह पालना गृह में बच्चे को छोड़कर घंटी बजा देगा और चला जाएगा। बच्ची को फिर प्रशासन खाना–पीना रहना पालना तक का बंदोबश्त करेगा। इतना ही नहीं बच्ची का डीएम बर्थडे भी मनाएंगे और उन्हें गिफ्ट में कपड़े खेलने के सामान भी देंगे।
कैसे होगी पूरी प्रक्रिया
-डीएम ने निर्णय लिया है कि सर्वप्रथम चाइल्ड लाइन की देख रेख में कार्यालय में ही पालन(झूला) की स्थापना होगी।
-6 अगस्त को इसका सुभारंभ किया जाएग।
-पालनगृह का कर्मचारी घंटी की आवाज सुनकर बच्ची को इलाज के लिए हॉस्पिटल में एडमिट कराएगा।
-बाल कल्याण समिति के माध्यम से ओपन शेल्टर होम में उसके रहने, खाने, पीने और कपढ़े आदि की व्यवस्था की जाएगी।
-बच्ची पाने पर उसको नियमनुसार गोद प्रक्रिया अपनाकर किसी पात्र व्यक्ति को दिया जा सकता है ताकि बच्ची का भविष्य सुरक्षित हो सके।
-बच्ची को पाने की सूचना थानाध्यक्ष को देनी होगी।
-'सुनेहरा पालना योजना' लावारिस बच्चों के लिए वरदान बनेगी।
- बच्चों तरह सभी सुविधा दी जाएंगी। उनका बर्थडे भी मनाया जाएगा।
-अपने बच्चों की तरह उनका रहन–सहन किया जाएगा।