Moradabad News: इंजीनियरिंग का कमालः महज 12 घंटे में बदल दिया रेलवे का पुल

Moradabad News: पुल का मुख्य काम महज 14 घंटे में कर लिया गया, रेलवे अधिकारियों के मुताबिक सुबह छह बजे रेलवे ने काम शुरू किया और रात आठ बजे इसे तैयार कर ट्रेनों का संचालन शुरू कर दिया, मंगलवार देर शाम रेलवे ने इस पुल को बदल दिए जाने की औपचारिक जानकारी दी।

Update:2023-05-24 18:04 IST
12 घंटे में बदल दिया रेलवे का पुल

Moradabad News: मुरादाबाद-बरेली रेलखंड पर दलपतपुर के पास बरसाती नदी का पुल सौ साल से अधिक पुराना होने की वजह से जर्जर हो गया था। ट्रेनों का संचालन ज्यादा बाधित किए बिना इसको बदलना रेल अफसरों के लिए चुनौती था। इस चुनौती को पूरा कर लिया गया और महज 12 घंटे में इस पुल को बदल दिया गया।

2019 से यहां ट्रेनों को गुजारना पड़ जा रहा था कम स्पीड में

पुराना पुल होने की वजह से पिछले तीन सालों से यहां ट्रेनों को धीमी गति से गुजारा जा रहा था। पिछले दिनों पुल के नीचे पानी का बहाव कम होने पर इसे बदलने का निर्णय लिया गया। इसकी तैयारियां शुरू की गईं। जो रविवार से चल रहीं थीं, लेकिन मुख्य काम महज 14 घंटे में कर लिया गया, रेलवे अधिकारियों के मुताबिक सुबह छह बजे रेलवे ने काम शुरू किया और रात आठ बजे इसे तैयार कर ट्रेनों का संचालन शुरू कर दिया, मंगलवार देर शाम रेलवे ने इस पुल को बदल दिए जाने की औपचारिक जानकारी दी। पुल निर्माण के दौरान डाउन लाइन पर ट्रेनों का संचालन बंद रहा। पुल छोटा और मरम्मत हो जाने के बाद से अब यहां ट्रेनों की रफ्तार बढ़ जाएगी और रखरखाव में आने वाले खर्च में कमी आएगी।

11 खंभों में से हटाए गए सात

मुरादाबाद के प्रवर मंडल वाणिज्य प्रबंधक सुधीर सिंह ने बताया कि करीब 12 घंटे तक इस लाइन को ब्लॉक रखा गया था। पुल के 11 खंभों में से सात खंभे हटा दिए गए हैं। वहां गिट्टी से भराव करने के बाद शेष बचे चार खंभों पर तीन गर्डर रखे गए हैं। रात आठ बजे खाली इंजन निकाला, फिर मालगाड़ी। अब ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है।

इस तरह किया काम

पुल ठीक करने के लिए सबसे पहले बिजली के तारों को हटाया गया। इसके बाद पटरी के किनारे बिछी संचार और सिग्नल लाइन को भी सुरक्षित किया गया। पुल के पिलर पर रखे गर्डर जिनपर पटरी बिछी थी, उन्हें खोलकर क्रेन की मदद से किनारे रखा गया। एक टीम गर्डर की बियरिंग की मरम्मत करने लगी तो दूसरी ओर क्रेन और बुलडोजर की मदद से खंभों के बीच सीमेंट के ब्लाक रखकर वहां मिट्टी भरी गई। मिट्टी भरने के बाद ऊपर से गिट्टी डाली गई और फिर मशीनों की मदद से उसे समतल किया गया। कार्य पूरा करने के बाद शेष बचे चार खंभों पर तीन गर्डर रख दिए गए।

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