कानपुरः बेटे को खून की उल्टियां देख मां ने दम तोड़ दिया। कुछ देर बाद बेटे की भी मौत हो गई। गरीबी में रिक्शा चलाकर बेटा अपना परिवार चला रहा था। वह पिछले एक साल से कैंसर से पीड़ित था। उसके इलाज में घर का सब कुछ बिक चुका था। पुलिस ने चंदा लगाकर मृतकों का अंतिम संस्कार कराया है।
क्या है मामला
-बर्रा थाना क्षेत्र के विश्व बैंक निवासी मनोज कुमार दीक्षित(42) ऑटो चलाकर अपने परिवार का पालन पोषण करते थे।
-परिवार में मां गायत्री दीक्षित (74) पत्नी आराधना और पांच बेटी हिमांशी (11),प्रियांशी (09),साक्षी (07),आस्था (05) और अदिति (02) हैं।
-मनोज मुंह के कैंसर से पीड़ित थे और बीते एक साल से उनका इलाज काकादेव के मनेसिया हॉस्पिटल में चल रहा था।
-इनका इलाज डॉ विशाल खन्ना कर रहे थे।
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मनोज की पत्नी आराधना ने क्या कहा
-जब पता चला मनोज को कैंसर है तो इनका इलाज डॉ विशाल खन्ना से शुरू कराया गया।
-लाखों रुपए आॅपरेशन में लग गए इसके बाद हर माह लखनऊ में कीमो थैरपी में 25 से तीस हजार रुपए लग जाते थे।
-उन्होंने बताया कि अपने सभी जेवर बेच कर इलाज कराया, गांव का पुस्तैनी घर और खेत भी बेच दिया।
-बच्चियों की पढ़ाई भी इलाज की वजह से बंद हो गई अब स्थिति यह है कि घर में खाने के लिए दाना भी नहीं है।
-रिश्तेदारों ने भी मुंह मोड़ लिया है वह यही सोचते हैं कि कहीं इलाज के लिए रुपए न मांगने लगे।
डॉक्टर ने नहीं रिसीव किया फोन
-शनिवार रात मनोज की अचानक तबियत बिगड़ गई और वह खून की उल्टियां करने लगे।
-यह देखकर सभी लोग घबरा गए। डॉक्टर विशाल खन्ना को कई बार फोन किया गया, लेकिन उन्होंने रिसीव नहीं किया।
- बिगड़ती हालत को देख मनोज को हैलट हॉस्पिटल ले जाया गया जहां डाक्टरों ने कहा कि अब इनको घर ले जाओ।
- जब घर लाया गया तो फिर से खून की उल्टियां होने लगी यह देख मनोज की मां गायत्री ने दम तोड़ दिया और एक घंटे बाद ही मनोज की भी मौत हो गई।
पुलिस के चंदे से हुआ अंतिम संस्कार
-गोविन्द नगर सीओ विशाल पाण्डेय ने अंतिम संस्कार के लिए पीड़ित परिवार को 20 हजार रुपए की आर्थिक मदद की।
-वहीं बर्रा एसओ तुलसी राम पाण्डेय ने पीड़ित परिवार को 5 हजार रुपए दिए।
-मौके पर पहुचे एसीएम प्रथम ने पीड़ित परिवार के बच्चों का स्कूल में एडमिशन कराने का आश्वासन दिया है।
-इसके साथ एक रिपोर्ट बनाकर डीएम को पेश करेंगे ताकि परिवार को मुख्यमंत्री रहत कोष से मदद दिलाई जा सके।
-वहीं परिवार ने बीपीएल कार्ड बनवाने का आश्वासन दिया है।
-वहीं क्षेत्रीय लोगों व कोटेदार ने 50 किलो आटा ,50 किलो गेहू ,चावल ,शक्कर देकर मदद की है। l
मृतक की बड़ी बेटी हिमांशी ने क्या कहा
-मेरे पापा की मौत के जिम्मेदार डॉ विशाल खन्ना हैं।
-उनके कहने पर मां ने अपना घर जमीन व जेवर बेच दिए, लेकिन जान नहीं बची।
-अब हम किसके सहारे जिएंगे अब तो पिता का भी साया नहीं रहा।
-अब अकेले मां कैसे पांच बहनों का पेट पालेगी। हिमांशी ने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है।