Sonbhadra News: शिव-पार्वती मंदिर की जमीन गिरवी रख हथियाया लोन, मृतक दिखा करा ली थी वरासत, हतप्रभ कर देने वाले हैं आरोप
Sonbhadra News: मंदिर परिसर में कथित अतिक्रमण और प्रशासन की तरफ से अधिकृत की गई कमेटी के पदाधिकारियों का नाम लाल रंग से मिटाने को लेकर मामला गरमाया हुआ है।;
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Sonbhadra News: शिवद्वार स्थित ऐतिहासिक शिव धाम से जुड़ी जमीन को हथियाने की रची जा रही कथित साजिश को लेकर लगाए जा रहे आरोप हतप्रभ कर देने वाले हैं। शिव-पार्वती को मृतक दिखाकर वरासत कराए जाने का मामला तो चंद दिन पूर्व सामने आया ही था अब एक और शिकायत में शिव पार्वती के नाम दर्ज जमीन में, मृतक दिखाते हुए वरासत दर्ज कराने के साथ ही, शिव-पार्वती की जमीन पर ढाई लाख से अधिक का कथित लोन हासिल करन का प्रकरण सामने आया है।
दिलचस्प मसला है कि ऐतिहासिक धाम शिवद्वार से जुड़ा यह मसला, पिछले एक साल से खासा उलझा हुआ है लेकिन अब तक इस मसले का सही हल नहीं निकाला जा सका है। अब मंदिर परिसर में कथित अतिक्रमण और प्रशासन की तरफ से अधिकृत की गई कमेटी के पदाधिकारियों का नाम लाल रंग से मिटाने को लेकर मामला गरमाया हुआ है। प्रकरण में मंडलायुक्त और एसपी की तरफ से जांच कर कार्रवाई के निर्देश जारी किए गए हैं।
वर्ष 2014 में हुई उच्च्स्तरीय बैठक, तब सामने आए चौंकाने वाले तथ्य
बताया जा रहा है कि 12 अगस्त 2014 को मंदिर परिसर में प्रशासन, पुलिस और मंदिर की देखरेख से जुड़े लोगों की संयुक्त बैठक हुई। तत्कालीन एडीएम, एएसपी, पुरातत्व सर्वेक्षण अधिकारी, जिला पर्यटन अधिकारी, मंदिर के पुजारी सहित 60 लोगों ने इस बैठक में हिस्सा लिया। निर्णय लिया गया कि मंदिर के समुचित देखरेख संवर्धन के लिए एक सरकारी संरक्षण वाली ट्रस्ट/समिति का गठन किया जाए। इसके बाद समिति गठन को लेकर अनुमोदन की प्रक्रिया अपनाई गई और मंदिर की देखरेख के लिए एक समिति का गठन किया गया। मामले में नया मोड़ तब समिति गठन के दौरान पता चला कि शिव-पार्वती के नाम दर्ज जमीन, व्यक्तिगत नाम से दर्ज करा ली गई। इस पर आपत्ति दर्ज कराने के बाद राजस्व न्यायालय की तरफ से 11 नवंबर 2016 को गलत बताए जा रहे नामांतरण को निरस्त कर दिया गया।
शिव-पार्वती के नाम दर्ज दूसरी जमीन पर लोन की हुई जानकारी तो मच गया हड़कंप:
समिति गठन के बाद मंदिर परिसर को अतिक्रमण मुक्त कराने को लेकर जहां लगातार आवाज उठाई जा रही हैं, वहीं शिव-पार्वती के नाम दर्ज दूसरी एक बिघा 7 विश्वा 14 धूर जमीन पर लोन लिए जाने का मामला सामने आया तो हड़़कंप मच गया। आरोप है कि दशरथ मिश्रा नामक काश्तकार द्वारा शंकर पार्वती के नाम दर्ज कराई गई जमीन को वर्ष 1987 में बगैर किसी आदेश के सर्वराकार यानी केयरटेकर में दर्ज कराया गया। कथित केयरटेकर की मौत के बाद, शिव-पार्वती के नाम वाली जमीन व्यक्तिगत नाम से वरासत करा ली गई। शिव पार्वती प्राचीन काशी सेवा समिति के अध्यक्ष रविंद्र मिश्र ने की गई शिकायत में दावा किया है कि मंदिर यानी शिव-पार्वती के नाम दर्ज जमीन किसी के नाम वरासत की ही नहीं जा सकती।
एसपी ने एसडीएम, सीओ, एसएचओ को दिए कार्रवाई के निर्देश:
अतिक्रमण और नाम मिटाने के मसले पर एसपी की तरफ से मामले में तीन दिन पूर्व एसडीएम, सीओ, एसएचओ को मौका निरीक्षक कर वैधानिक कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। एसपी से की गई शिकायत में कहा गया है कि श्रावण मेला के पूर्व मंदिर परिसर में अतिक्रमण हटाने का मंडलायुक्त से अनुरोध किया गया था। स्वयं मंडलायुक्त ने मौके की स्थिति देखकर दुकानें हटवाई थी। मंदिर में दर्शन-पूजन के लिए बनाई गई कथित अवैधानिक रेट सूची का भी विरोध किया गया था। इसके विरोध में समिति कार्यालय पर संस्था और उसके पदाधिकारियों का नाम मिटा दिया गया है।
मंडलायुक्त ने डीएम को भेजा पत्र, जांच कराकर करें कार्रवाई:
वहीं, मंडलायुक्त से की गई शिकायत में दावा किया गया है कि मंदिर की एक बीघा सात विश्वा 14 धूर जमीन पर कुछ लोगों द्वारा गलत तरीके से नाम दर्ज करा लिया गया है। इसको लेकर मंदिर समिति की तरफ से केस दायर किया गया है। आरोप लगाया गया है कि लेखपाल की तरफ से इस मामले में मनमानी रिपोर्ट प्रेषित की गई है जबकि सर्वराकार के वरासत का कोई भी कानूनी प्रावधान नहीं है। मंदिर की जमीन पर सर्वराकार के जरिए वरासत कराकर हासिल किए लोन पर भी एतराज जताया गया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए मंडलायुक्त की तरफ डीएम को पत्र जारी कर प्रार्थना पत्र में उल्लिखित शिकायतों की जांच कराकर नियमानुसार कार्रवाई कराने के लिए कहा गया है।
गुप्तकाशी की अनूठी धरोहर से जुड़े मसले पर टिकी सभी की निगाहें:
शिवद्वार गुप्तकाशी का दर्जा रखने वाले सोनभद्र की एक ऐसी अनूठी धरोहर है जिसे सिर्फ गुप्तकाशी की पौराणिक विरासत का ही दर्जा हासिल नहीं है बल्कि यहां स्थापित उमा-माहेश्वर विग्रह का अप्रतिम सौंदर्य वर्षों से इतिहासकारों के शोध और आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। ऐसे महत्वपूर्ण और लाखों लोगों की धार्मिक आस्था के केंद्र वाले स्थल से जुड़ी जिस तरह की शिकायतें/आरोप सामने आए हैं, उसने हर किसी को हतप्रभ कर दिया है। अब इस प्रकरण का पटाक्षेप किस रूप में होता है और लगाए जा रहे आरोपों की सच्चाई क्या है? इस पर सभी की निगाहें टिक सी गई हैं।