मुन्ना बजरंगी और शहाबुद्दीन के बाद अब मुख्तार अंसारी, जेल में ही खत्म हो गई इन माफियाओं की कहानी
Mafias Ended in Jail: मुख्तार अंसारी पहला ऐसा माफिया या गैंगस्टर नहीं है जिसकी जेल में मौत हुई है। मुख्तार से पहले भी कई माफियाओं की कहानी जेल में मौत के साथ ही खत्म हो चुकी है।
Mafias Ended in Jail: उत्तर प्रदेश के माफिया डॉन और पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की गुरुवार को हार्ट अटैक से बांदा जेल में मौत हो गई। अपराध की दुनिया में मुख्तार अंसारी की तूती बोला करती थी और पूर्वांचल में उसे आतंक का पर्याय माना जाता रहा है। अपराध के साथ ही सियासी मैदान में भी मुख्तार ने अपनी ताकत दिखाई थी और मऊ सदर सीट से 1996 में पहला चुनाव जीतने के बाद 2017 के विधानसभा चुनाव तक उसने इस सीट पर कब्जा बनाए रखा। अब मुख्तार की जेल में मौत के बाद प्रदेश की सियासत भी गरमा गई है।
वैसे मुख्तार अंसारी पहला ऐसा माफिया या गैंगस्टर नहीं है जिसकी जेल में मौत हुई है। मुख्तार से पहले भी कई माफियाओं की कहानी जेल में मौत के साथ ही खत्म हो चुकी है। इन माफियाओं में मुन्ना बजरंगी, शहाबुद्दीन, मुनीर और टिल्लू ताजपुरिया जैसे बड़े अपराधियों के नाम शामिल है। उत्तर प्रदेश के चर्चित माफिया डॉन और पूर्व सांसद अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पिछले साल अप्रैल महीने में मेडिकल जांच के लिए ले जाते समय हत्या कर दी गई थी।
मुन्ना बजरंगी की हुई थी बागपत जेल में हत्या
माफिया मुख्तार अंसारी के काफी करीबी माने जाने वाले बहुचर्चित गैंगस्टर प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी की छह साल पहले बागपत जेल में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के चर्चित गैंगस्टर सुनील राठी ने अंजाम दिया था।
कुख्यात शूटर मुन्ना बजरंगी मुख्तार अंसारी के गिरोह में शामिल था और पूर्वांचल के कई बड़े अपराधों में उसका नाम सामने आया था। 2005 में गाजीपुर में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या में भी मुख्तार और मुन्ना बजरंगी समेत कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। इसके अलावा मुन्ना बजरंगी ने कई अन्य बड़ी घटनाओं को भी अंजाम दिया था।
मुख्तार के करीबी मेराज की चित्रकूट जेल में गई थी जान
मुख्तार के एक और करीबी मेराज की तीन साल पहले चित्रकूट जेल में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्या का आरोप अंशु दीक्षित नामक एक कैदी पर लगा था। अंशु दीक्षित ने मेराज और मुकीम काला की गोली मारकर हत्या कर दी थी और बाद में पुलिस की ओर से की गई कार्रवाई में अंशु दीक्षित भी मारा गया था।
मुख्तार अंसारी के करीबी मेराज अली को बनारस से चित्रकूट जेल लाया गया था मगर वहां उसकी हत्या कर दी गई थी। इस हत्या में भी साजिश का आरोप लगा था।
बीमारी ने ले ली थी मुनीर की जान
एनआईए अफसर तंजील अहमद की हत्या में कुख्यात अपराधी मुनीर का नाम सामने आया था। बाद में अदालत ने मुनीर को दोषी ठहराते हुए सजा सुना दी थी। सरकारी अफसर की हत्या को अदालत में गंभीर अपराध बताते हुए मुनीर को फांसी की सजा सुनाई थी। बाद में 21 नवंबर 2022 को मुनीर की बीमारी की वजह से बीएचयू मेडिकल कॉलेज में मौत हो गई थी।
शहाबुद्दीन के लिए जानलेवा बना कोरोना
बिहार में सीवान के बाहुबली नेता और राष्ट्रीय जनता दल के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की 2021 में कोरोना महामारी ने जान ले ली थी। तिहाड़ जेल में शहाबुद्दीन को कोरोना ने अपनी गिरफ्त में ले लिया था और बाद में उन्हें दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
कोरोना का शिकार होने के बाद शहाबुद्दीन की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई और उनका निधन हो गया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शहाबुद्दीन को 2018 में बिहार की सीवान जेल से तिहाड़ लाया गया था। शहाबुद्दीन हत्या के मामले में तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे थे।
गैंगवार में हुई थी टिल्लू ताजपुरिया की हत्या
पिछले साल मई महीने के दौरान तिहाड़ जेल में हुई गैंगवार के दौरान गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया की हत्या कर दी गई थी। तिहाड़ जेल के भीतर दो गुटों के बीच हुई भिड़ंत के दौरान टिल्लू ताजपुरिया पर लोहे की ग्रिल से हमला किया गया था। इस हमले में टिल्लू ताजपुरिया गंभीर रूप से घायल हो गया था।
बाद में उसे दिल्ली के दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां इलाज के दौरान टिल्लू ताजपुरिया ने दम तोड़ दिया था। टिल्लू ताजपुरिया का नाम रोहिणी कोर्ट में हुए शूटआउट के अलावा कई बड़े कई अन्य बड़े अपराधों में सामने आया था।
अतीक और अशरफ बने थे गोलियों का निशाना
पिछले साल अप्रैल महीने के दौरान माफिया से नेता बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की प्रयागराज में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। दरअसल,दोनों आरोपियों को मेडिकल जांच के लिए लाया गया था और इसी दौरान वे वहां मौजूद मीडिया से बात कर रहे थे। तभी अचानक तीन युवक आए और पहले उन लोगों ने अतीक के सिर में गोली मारी और फिर अशरफ पर भी फायरिंग की।
अतीक अहमद की हत्या करने लिए जो बदमाश आए थे, वो खुद को पत्रकार बता रहे थे। अतीक और उसके भाई अशरफ पर बदमाशों ने 10 राउंड फायरिंग की थी जो दोनों के लिए जानलेवा साबित हुई।