क्रिकेटर बनना चाहता था मुख्तार, उतर गया जरायम के मैदान में

मुख्तार के दादा इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं। आजादी की लड़ाई में इनके परिवार की विषेश भूमिका रही है।

Written By :  Shreedhar Agnihotri
Published By :  Shashi kant gautam
Update: 2021-04-06 16:37 GMT

Mukhtar Ansari: (Photo-Social Media)

लखनऊ। पिछले तीन दशक से अपराध की दुनिया में अपना सिक्का जमाने वाले माफिया मुख्तार अंसारी पिछले पांच बार से विधायक हैं। उनका पूरा परिवार राजनीति से जुड़ा रहा है। एक समय यह भी था कि जब मुख्तार अंसारी का यूपी की राजनीति में बड़ा जलवा हुआ करता था। उनका कभी सपा तो कभी बसपा में आने जाने का खेल कई वर्षों तक चलता रहा। पर 2017 में प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद मुख्तार अंसारी का जलवा खत्म होता गया।

मुख्तार अंसारी के दादा इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं

एक बड़े राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाले मुख्तार अंसारी के दादा इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं। आजादी की लड़ाई में इनके परिवार की विषेश भूमिका रही है। मुख्तार के दादा को महावीर चक्र से नवाजा गया था। इसके अलावा मुख्तार अंसारी के चाचा हामिद अंसारी देश के उप राष्ट्रपति रह चुके हैं। मुख्तार अंसारी के दादा डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान 1926-27 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं। वह महात्मा गांधी के काफी नजदीकी माने जाते थे।

मुख्तार अंसारी के पिता एक साफ सुथरी छवि के नेता थे

पूर्वांचल में ऐसी छवि किसी राजनीतिक परिवार की फिलहाल नहीं है। मुख्तार अंसारी के पिता सुब्हानउल्लाह अंसारी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता थे। अपनी साफ सुथरी छवि की वजह से 1971 में उन्हें नगर पालिका चुनाव में निर्विरोध चुना गया था।

ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को अपनी सेवाओं के लिए महावीर चक्र दिया गया था, वह मुख्तार के नाना थे। 1947 में इन्होंने न सिर्फ भारत की तरफ से नौशेरा की लड़ाई लड़ी थी बल्कि हिंदुस्तान को जीत भी दिलाई थी। यहां तक कि इस जंग में वह खुद शहीद हो गए थे।

मुख्तार अंसारी क्रिकेटर बनना चाहते थे

पढाई लिखाई में बेहद होशियार मुख्तार अंसारी क्रिकेटर बनना चाहते थे। पर 1988 में पहली बार हत्या के एक मामले में मुख्तार का नाम आया था। हालांकि उनके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत पुलिस नहीं जुटा पाई। पर यहीं से अपराध की दुनिया में उनकी इंट्री हो गयी।

1990 के आसपास मुख्तार अंसारी जमीनी कारोबार और ठेकों की वजह से अपराध की दुनिया में कदम रख चुका था। पूर्वांचल के मऊ, गाजीपुर, वाराणसी और जौनपुर में उनके नाम का सिक्का चलने लगा था। इसी वजह सन 1995 में मुख्तार अंसारी ने राजनीति की मुख्यधारा में कदम रखा और सन 1996 में मुख्तार अंसारी पहली बार बहुजन समाज पार्टी विधान सभा के लिए चुने गए।

बसपा ने उन्हें पार्टी से निष्कासित भी कर दिया

इसके बाद अंसारी मऊ निर्वाचन क्षेत्र से विधान सभा के सदस्य के रूप में रिकॉर्ड पांच बार विधायक चुने गए है। मुख्तार अंसारी ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के एक उम्मीदवार के रूप में अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता और अगले दो जिसमें एक निर्दलीय के रूप में 2007 में, अंसारी बसपा में शामिल हो गए। मुख्तार अंसारी 2009 के लोकसभा चुनाव में चुनाव लड़ा लेकिन असफलता मिली।

जिसके बाद बसपा ने 2010 में उन्हें आपराधिक गतिविधियों के कारण पार्टी से निष्कासित कर दिया था। बाद में उन्होंने अपने भाइयों के साथ अपनी पार्टी कौमी एकता दल का गठन किया। पर 2017 के चुनाव के पहले एक बार फिर वह बसपा में शामिल हो गए और मऊ सदर से पांचवी बार चुनाव जीता।

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