छोटे से दिल में बड़ी सी तमन्ना लिए नैंसी बनना चाहती हैं गायक

भारत देश अनमोल रत्नों से भरा पड़ा है, जहां सरस्वती स्वयं संगीत की देवी है, वहाँ हर घर मे कुछ न कुछ प्रतिभाएँ देखने को मिल जाएगी और ये प्रतिभाएँ किसी पहचान की मोहताज नही है। वो तो बस अपनी सहजता से लोगों का मन मोह लेती है।

Update: 2020-05-20 06:39 GMT

औरैया: भारत देश अनमोल रत्नों से भरा पड़ा है, जहां सरस्वती स्वयं संगीत की देवी है, वहाँ हर घर मे कुछ न कुछ प्रतिभाएँ देखने को मिल जाएगी और ये प्रतिभाएँ किसी पहचान की मोहताज नहीं है। वो तो बस अपनी सहजता से लोगों का मन मोह लेती है।

अपने छोटे से दिल में बड़ी सी चाहत लिए नैंसी दीक्षित अपने सपनों को सजाना चाहती हैं और उसका मानना है कि यदि वह कड़ी मेहनत और लगन से इसी प्रकार आगे बढ़ती रही तो उनका यह सपना जरूर साकार होगा। नैंसी के माता-पिता साधारण हैं मगर उन्होंने कभी भी अपनी बेटी का दिल नहीं तोड़ा और बेटी द्वारा जो भी कहा गया वह उन्होंने सहजता से स्वीकार कर लिया।

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बेटी को संगीत- गाने से कभी नहीं किया मना- पिता

नैंसी के पिता का कहना है कि उन्होंने कभी भी अपनी बेटी को संगीत गाने से मना नहीं किया।

बताया कि जब वह गीत गुनगुनाती है तो उनके दिल को सुकून मिलता है कि शायद यही बेटी आगे चलकर उनका नाम रोशन कर सकें।

ऐसी ही एक प्रतिभा की धनी नैंसी दीक्षित औरैया के नौली गांव में धूल मिट्टी में पली बढ़ी है लेकिन जैसे धूल में पड़ी हुई भी मणि अपने तेज को चारों ओर फैलाती रहती है।

वैसे ही यह गांव में इस बच्ची की प्रतिभा का प्रकाश फैला हुआ है। बचपन से ही नैंसी पर सरस्वती माँ की अनुकम्पा है।महज दस वर्ष की उम्र से ही टेलीविजन पर आने वाले गानों को सुनकर नैंसी गाया करती है।

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साधारण परिवार में पली -बढ़ी है नैंसी

नैंसी का परिवार बहुत साधारण है उसके पिता एक कृषक और माँ ग्रहणी है।

संगीत से उनका दूर-दूर तक उनका कोई नाता नहीं है लेकिन कहते है कि हीरा तो सदा से कोयले की खान से ही निकलता है और इसीलिये ईशवर ने नैंसी रूपी हीरा उन्हें प्रदान किया।

नैंसी को संगीत से इतना प्रेम है कि वह कुछ भी करे गीत उसके मुँह से निकलते ही रहते है। उसने अपने संगीत के लिये विद्यालय में कई इनाम भी जीते है। उसकी माँ उसका मनोबल बढ़ाती रहती है।

नैंसी का सपना एक प्लेबैक सिंगर बनना है। नैंसी जिस सहजता से संगीत गाती है उसे देखकर यह स्पष्ट दिखता है कि उसे किसी बड़े संगीतकार द्वारा यह विद्या सिखाई गई है।

मगर उनके परिवार के पास इतनी समर्थ नहीं है कि वह उसे किसी बड़े संगीत स्कूल में भेज कर उसकी प्रतिभा को और निखार सकें नैंसी का मानना है कि यदि उसके ऊपर कोई सरकारी संस्था हाथ रख दे तो वह अपने गांव सहित प्रदेश व देश का भी नाम रोशन कर सकती है।

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