Noida News: नया नोएडा में मास्टर प्लान बनने तक लागू रहेगी प्राधिकरण की भवन नियमावली

Noida News: डीएनजीआईआर क्षेत्र के विकास के लिए विभिन्न विकल्पों व रणनीति पर कार्य किया जा रहा है।

Report :  Deepankar Jain
Published By :  Dharmendra Singh
Update:2021-07-27 23:52 IST

नोएडा गेट (फोटो: सोशल मीडिया)

Noida News: दादरी नोएडा गाजियाबाद इंवेस्टमेंट रीजन (डीएनजीआईआर) यानी नया नोएडा में नोएडा प्राधिकरण की भवन नियमावली 2010 (यथा संसोधित) के तहत ही मानचित्र पास किए जाएंगे। यह व्यवस्था मास्टर प्लान-2041 के प्रभावी होने तक लागू रहेगी। दरअसल उक्त क्षेत्र में लोगों की ओर से विभिन्न श्रेणी में भवन निर्माण की अनुमति के लिए प्रार्थना पत्र प्राप्त हो रहे हैं।

डीएनजीआईआर क्षेत्र के विकास के लिए विभिन्न विकल्पों व रणनीति पर कार्य किया जा रहा है। मास्टर प्लान तैयार होने में करीब 1० माह का समय लगेगा। उसे शासन से अनुमोदन कराने में एक वर्ष से अधिक का समय लग सकता है। शासन ने 29 जनवरी 2021 को पूर्व अधिसूचना में आंशिक संशोधन करते हुए औद्योगिक अधिनियम 1976 के प्रयोजन को उक्त विशेष निवेश क्षेत्र में करने के लिए यूपीसीडा से जिम्मेदारी लेकर नोएडा प्राधिकरण को दी गई। इसके तहत डीएनजीआईआर का क्षेत्र जनवरी 2०21 में प्राधिकरण में सम्मिलित किया गया। इसका मास्टर प्लान-2041 बनाने का कार्य शुरू हो चुका है।
डीएनजीआईआर का क्षेत्रफल करीब 200 वर्ग किमी है। यहा लैंड पूल के जरिए जमीन अधिग्रहित की जाएगी। ऐसे में डीएनजीआईआर में भवन मानचित्र उप्र गजट 4 दिसंबर 2010 द्वारा नोएडा भवन विनियमली 2010 के अंतर्गत ले आउट प्लान एवं भवन मानचित्र स्वीकृत किए जाएंगे। यही नहीं डीएनजीआईआर क्षेत्र में केवल भारत सरकार एवं उप्र राज्य सरकार की योजनाओं के लिए सरकारी स्वामित्व की भूमि पर ही भवन मानचित्र स्वीकृत किए जाएंगे। यह भी स्पष्ट है कि यह व्यवस्था पूर्ण रूप से अस्थाई होगी व मास्टर प्लान लागू होने के साथ यह व्यवस्था स्वता ही समाप्त हो जाएगी।

80 गांवों की जमीन पर बनाया जाएगा डीएनजीआईआर

दादरी नोएडा गाजियाबाद विशेष निवेश क्षेत्र जिसमे बुलंदशहर के 6० गौतमबुद्ध नगर के 2० यानी कुल 8० ग्रामों की जमीन लैंड पूल कर बनाया जाएगा। इस पूरे क्षेत्र को जोन में बांटा जाएगा। प्रत्येक जोन में अलग-अलग सेक्टर डिवाइड किए जाएंगे। इन सेक्टरों में जल, सीवर लाइन, ग्रीन बेल्ट , पार्क , सड़क (मीटर के हिसाब से) व भूखंडों की इमेज सेटलाइट के जरिए ली जाएगी। इसके बाद इसे जीआईएस सिस्टम से जोड़ दिया जाएगा। जिसे बाद में डीएनजीआईआर की वेबसाइट से जोड़ा जाएगा।


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