Lucknow News: अब इस तरह से जानी जाएंगी यूपी की जेलें, सीएम योगी ने दिए ये निर्देश
Lucknow News: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को एक उच्चस्तरीय बैठक में कारागारों की स्थिति की समीक्षा करते हुए कारागार सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए। मुख्यमंत्री जी ने कारागारों को ’सुधार गृह’ के रूप में स्थापित करने की आवश्यकता जताई और प्रदेश के नए प्रिजन एक्ट तैयार करने के संबंध में मार्गदर्शन दिया।
Lucknow News: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को एक उच्चस्तरीय बैठक में कारागारों की स्थिति की समीक्षा करते हुए कारागार सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए। मुख्यमंत्री जी ने कारागारों को ’सुधार गृह’ के रूप में स्थापित करने की आवश्यकता जताई और प्रदेश के नए प्रिजन एक्ट तैयार करने के संबंध में मार्गदर्शन दिया।
कारागार सुधार के उपायों पर दिया जोर
गौरतलब है कि वर्तमान समय में जेल तथा जेल में निरुद्ध बन्दियों के संबंध में जेल अधिनियम 1894 और कैदी अधिनियम 1900 प्रचलित हैं। यह दोनों अधिनियम आजादी के पूर्व से प्रचलन में हैं, जिसके अनेक प्राविधान बदलते परिवेश एवं बंदियों के पुनर्वासन की सुधारात्मक विचारधारा के अनुकूल नहीं हैं। प्रिजन एक्ट 1894 का उद्देश्य अपराधियों को अभिरक्षा में अनुशासित ढंग से रखने पर केन्द्रित है, लेकिन हमें सुधार एवं पुनर्वासन पर केन्द्रित होना होगा। ऐसे में भविष्य को दृष्टिगत रखते हुए हमें नए अधिनियम लागू करने की आवश्यकता है।
भारत सरकार द्वारा हाल ही में मॉड्ल प्रिजन अधिनियम-2023 तैयार किया गया है। यह मॉडल एक्ट कैदियों के सुधार तथा पुनर्वास की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी है। इस मॉडल एक्ट के अनुरूप प्रदेश की आवश्यकताओं का ध्यान रखते हुए प्रदेश का नया प्रिजन एक्ट तैयार किया जाए।
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कैबिनेट में नए जेल मैन्युअल की रूपरेखा
प्रदेश कैबिनेट ने विगत दिनों नई जेल मैन्युअल को अनुमोदित किया है। बैठक में सीएम ने कहा कि हमें कारागारों को सुधार के बेहतर केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए ठोस प्रयास करना होगा। इस दिशा में ‘ओपन जेल’ की स्थापना उपयोगी सिद्ध हो सकती है। वर्तमान में लखनऊ में एक सेमी ओपन जेल संचालित है। ओपन जेल की स्थापना के लिए विधिवत प्रस्ताव तैयार करें।
उन्होंने कहा कि हमें कारागारों को ’सुधार गृह’ के रूप में स्थापित करना होगा। इस उद्देश्य से हर आवश्यक कदम उठाए जाएं। कैदियों का सुरक्षा मूल्यांकन, शिकायत निवारण, कारागार विकास बोर्ड, कैदियों के प्रति व्यवहार में बदलाव एवं महिला कैदियों व ट्रांसजेंडर आदि के लिये अलग आवास का प्रावधान जैसी व्यवस्था लागू की जाएं।