Nida Fazli: 'तुम्हारी मौत की सच्ची खबर जिसने उड़ाई वो झूठा था', Father's Day पर जरूर पढ़ें ये कविता

Nida Fazli: आज फादर्स-डे (Father's Day) के मौके पर सभी को निदा फ़ाज़ली की कविता 'वालिद की वफ़ात पर' ज़रूर पढ़नी चाहिए।

Report :  Shashwat Mishra
Published By :  Chitra Singh
Update: 2021-06-20 09:53 GMT

निदा फ़ाज़ली (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

Nida Fazli: जब भी हिंदुस्तान के तरक्कीपसंद व नामी शायरों का नाम लिया जाएगा, उसमें निदा फ़ाज़ली (Nida Fazli) का नाम बेशक़ होगा। यूं तो निदा ने अपने जीवनकाल में कई सारी ग़ज़लें, नज़्में व नग़्मे लिखे, जिनको ख़ूब मक़बूलियत व लोगों द्वारा बेशुमार प्यार मिला। मग़र, उनकी एक कविता आज भी लोग अपनी ज़ुबां पर लाने से पीछे नहीं हटते हैं। आज फादर्स-डे (Father's Day) के मौके पर सभी को निदा फ़ाज़ली की कविता 'वालिद की वफ़ात पर' (Nida Fazli's poem 'Walid Ki Wafat Par') ज़रूर पढ़नी चाहिए।

पेश है यह कविता:-

वालिद की वफ़ात पर- निदा फ़ाज़ली

तुम्हारी क़ब्र पर

मैं फ़ातिहा पढ़ने नहीं आया

मुझे मालूम था

तुम मर नहीं सकते

तुम्हारी मौत की सच्ची ख़बर जिस ने उड़ाई थी

वो झूटा था

वो तुम कब थे

कोई सूखा हुआ पत्ता हवा से मिल के टूटा था

मिरी आँखें

तुम्हारे मंज़रों में क़ैद हैं अब तक

मैं जो भी देखता हूँ

सोचता हूँ

वो वही है

जो तुम्हारी नेक-नामी और बद-नामी की दुनिया थी

कहीं कुछ भी नहीं बदला

तुम्हारे हाथ मेरी उँगलियों में साँस लेते हैं

मैं लिखने के लिए

जब भी क़लम काग़ज़ उठाता हूँ

तुम्हें बैठा हुआ मैं अपनी ही कुर्सी में पाता हूँ

बदन में मेरे जितना भी लहू है

वो तुम्हारी

लग़्ज़िशों नाकामियों के साथ बहता है

मिरी आवाज़ में छुप कर

तुम्हारा ज़ेहन रहता है

मिरी बीमारियों में तुम

मिरी लाचारियों में तुम

तुम्हारी क़ब्र पर जिस ने तुम्हारा नाम लिखा है

वो झूटा है

तुम्हारी क़ब्र में मैं दफ़्न हूँ

तुम मुझ में ज़िंदा हो

कभी फ़ुर्सत मिले तो फ़ातिहा पढ़ने चले आना। 

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