लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अब जनता दरबार नहीं लगेगा। सीएम आॅफिस में होने वाला जनता दर्शन बंद हो गया है। यूपी के सीएम अखिलेश यादव अब खुद जनता के बीच जाएंगे उनका हाल-चाल लेंगे और समस्याएं भी सुनेंगे। इससे सीएम अखिलेश सीधे जनता के बीच जुड़ेंगे उनके दर्द को समझने की कोशिश करेंगे।
यूपी में युवाओं के बीच अपनी पार्टी के नेताओं में सीएम अखिलेश सबसे लोकप्रिय हैं। हालांकि उनकी पार्टी पर एक के बाद एक कई बार दाग लगे हैं, लेकिन सीएम की छवि एक नेक और विकास पुरुष के रूप में रही है। उनकी एंबुलेस सेवा, लैपटॉप वितरण आईटी सिटी, मेट्रो व आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे जैसी योजनाओं ने यूपी की जनता को काफी अट्रैक्ट किया है ।
सीएम ने लगाया आखिरी जनता दरबार
-बुधवार को सीएम ने आखिरी बार जनता दरबार लगाया।
-अपनी बेटी के साथ वह जनता के बीच पहुंचे और उनकी समस्याएं सुनकर समाधान के लिए अधिकारियों को निर्देष दिए।
-सीएम अखिलेश ने ट्वीट किया है कि 'आज से ‘जनता दरबार’ कार्यक्रम नहीं होगा।’ हालांकि, इसकी कोई वजह नहीं बताई गई है।
सीएम बनते ही अखिलेश ने शुरू किया था जनता दर्शन
-15 मार्च 2012 को सीएम पद की शपथ लेने के बाद अखिलेश यादव ने पहला ‘जनता दरबार’ की शुरुआत की थी।
-सीएम ने 20 अप्रैल 2012 को जनता दरबार शुरू किया था।
आखिरी जनता दरबार में जुटी भीड़
-सीएम अखिलेश ने जनता दरबार में लोगों की शिकायतें सुनीं।
-आखिरी जनता दरबार होने की वजह से सीएम आवास के बाहर लोगों की भीड़ जमा हो गई।
-मुख्यमंत्री से अपनी शिकायत पहुंचाने के लिए होड़ सी लग गई तथा अधिक भीड़ हो जाने से लोगों में धक्का मुक्की की भी नौबत आ गई।
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क्या है जनता दरबार?
-अखिलेश यादव ने सीएम बनते ही लोगों की शिकायतेें सुनने के लिए जनता दरबार लगाने का फैसला लिया था।
-इसकी शुरुआत 20 अप्रैल 2012 को हुई थी।
-जनता दरबार के जरिए आम लोग भी सीएम से मिलकर अपनी शिकायतें सुनाते थे।
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-यह हर हफ्ते बुधवार को 9 बजे से 11 बजे तक लगता था।
-अखिलेश यादव यहां लोगों की शिकायतें सुनकर अधिकारियों को समस्या समाधान करने का निर्देश देते थे।
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मायावती के शासनकाल में जनता दरबार बंद
-मायावती के शासनकाल में जनता दरबार बंद कर दिया गया था।
-इसके बाद अखिलेश यादव ने सीएम की कुर्सी हासिल करने के बाद फिर से शुरू किया।