अब राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से ऐसे जुड़ जाएगा बुंदेलखंड

केन्द्र की मोदी सरकार के सहयोग से प्रदेश की योगी सरकार लगातार एक्सप्रेस वे के निर्माण में तेजी से आगे बढ़ रही है। आज जिस बुंदेलखण्ड एक्सप्रेस वे का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों हुआ है।

Update:2020-02-29 15:13 IST

श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: केन्द्र की मोदी सरकार के सहयोग से प्रदेश की योगी सरकार लगातार एक्सप्रेस वे के निर्माण में तेजी से आगे बढ़ रही है। आज जिस बुंदेलखण्ड एक्सप्रेस वे का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों हुआ है। वह देश और प्रदेश के विकास के लिए भविष्य में मील का पत्थर साबित होने जा रहा है।

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आईए जानते हैं बुंदेलखण्ड एक्सप्रेस वे के बारे में:

चित्रकूट के जिले के गोंडा गांव से इसका आरम्भ हो रहा है।

14,716.26 करोड़ रुपये की लागत से बनने जा रहे 296.07 किलोमीटर लम्बा है बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे।

बुंदेलखंड़ एक्सप्रेस-वे चित्रकूट जिले के भरतकूप क्षेत्र से शुरू होकर बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, औरैया होकर इटावा में कुदरैल गांव के पास आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे से जुड़ेगा।

इटावा के कुदरैल गांव के पास यमुना एक्सप्रेसवे से मिल जाएगा। इससे बुंदेलखंड से देश की राजधानी दिल्ली तक आने-जाने में समय और संसाधनों की बचत होगी।

बुंदेलखण्ड एक्सप्रेस के निर्माण में करीब 15 हजार करोड़ रुपए की लागत आएगी।

बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे पर 4 रेलवे ओवर ब्रिज, 14 दीर्घ सेतु, 6 टोल प्लाजा, 7 रैंप प्लाजा, 268 लघु सेतु, 18 फ्लाई ओवर और 214 अंडरपास का निर्माण किया जाएगा।

यह एक्सप्रेसवे बुंदेलखंड क्षेत्र को सड़क मार्ग के जरिए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से जोड़ेगा।

यह एक्सप्रेसवे अभी चार लेन का होगा। भविष्य में इसे 6 लेन तक विस्तारित किए जाने की योजना है।

बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे को तीन वर्ष में पूरा किया जाना है लेकिन 30 माह में ही पूरा करने का प्रयास होगा।

बुंदेलखण्ड एक्सप्रेस के निर्माण के लिए अब तक 95 फीसदी भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है।

इसके बन जाने के बाद दिल्ली तक की दूरी कम होगी साथ ही डीजल और पेट्रोल की खपत घटने से प्रदूषण भी घटेगा.।

उत्तर प्रदेश में डिफेंस कॉरिडोर स्थापित करने के लिए बुंदलेखंड एक्सप्रेस वे बनाया जा रहा है।

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इसमें लखनऊ, झांसी, चित्रकूट, अलीगढ़, कानपुर, आगरा, जिनमें से बुंदेलखंड क्षेत्र-झांसी और चित्रकूट में 2 क्लस्टर तैयार किए जा रहे हैं। ऐसी भूमि जिस पर खेती नहीं की गई है, उसे झांसी और चित्रकूट दोनों जगहों पर खरीद लिया गया है। क्षेत्र के गरीब किसानों को इससे लाभ मिलेगा।

 

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