UP News : अब रंग से पहचाने जाएंगे यूपी के शहर, सीएम योगी ने प्रस्ताव को दी मंजूरी

अब यूपी के शहरों की पहचान आप कलर से भी कर लेंगे, जैसे गुलाबी नगरी की बात होती है तो जयपुर गूंजने लगता है। उसी तहर अब आपको उत्तर प्रदेश में भी शहरों में नजर आएगा।

Written By :  Rahul Singh Rajpoot
Update: 2021-06-20 08:02 GMT

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की फाइल तस्वीर (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक ऐसे फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है। जिससे अब यूपी के शहरों की पहचना आप कलर से भी कर लेंगे। जैसे जब कोई गुलाबी नगरी की बात करता है तो आपके दिमाग में जयपुर गूंजने लगता है। उसी तर्ज पर अब यूपी में भी किसी शहर को आप रंग से पहचान जाएंगे। प्रदेश के प्रमुख शहरों के मुख्य मार्गों की इमारतें, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, भवनों को एक रंग में रंगने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है। हालांकि किस शहर का रंग क्या होगा ये अभी सरकार तय करेगी, लेकिन इसका खर्च उसके मालिक को उठाना पड़ेगा। आवास एवं शहरी नियोजन विभाग जल्द ही आदेश जारी करने वाला है।

दरअसल उत्तर प्रदेश नगर योजना एवं विकास अधिनियम-1973 की धारा 12(क) के तहत शहर के मुख्य मार्गों से सटे भवनों के बाहरी हिस्से के अनुरक्षण व मरम्मत के लिए राज्य सरकार ने पहली बार माडल उपविधि (बाइलाज) तैयार की है। आवास विभाग द्वारा तैयार उपविधि को विभागीय मंत्री होने के नाते मुख्यमंत्री योगी आदित्नाथ ने इसे मंजूरी दे दी है। प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन दीपक कुमार ने बताया कि जल्द ही संबंधित आदेश जारी कर दिया जाएगा। विकास प्राधिकरणों को बोर्ड के माध्यम से अपने-अपने शहर में बाइलाज को लागू करना होगा।

 पुताई का खर्च भवन मालिक उठाएंगे  

प्रदेश में जैसे ही उपविधि (बाइलाज) लागू हो जाएगा तो भवन स्वामी को शहर के मुख्य मार्गों के गैर आवासीय या आंशिक रूप से आवासीय भवनों के बाहरी हिस्से को एक रंग में रंगना होगा, जो रंग सरकार तय करेगी। यह जिम्मेदारी विकास प्राधिकरण की होगी। भवन को रंगने के लिए भवन मलिक को छह माह का समय दिया जाएगा और रंगने का खर्च भी मलिक ही वहन करेगा। अगर भवन मलिक ऐसा नहीं करा पाया तो विकास प्राधिकरण रंग कराएगा और खर्चा भवन मलिक से वसूलेगा। आवासीय कालोनियों या ऐसे मार्ग, जिन पर सिर्फ आवासीय भवन हैं, उनका चयन नहीं करना होगा।

नेम प्लेट, साइन बोर्ड एक जैसे

भवन मालिकों के लिए न केवल बाहरी दीवार का रंग, बल्कि नेम प्लेट व साइन बोर्ड आदि को भी एक जैसा सुनिश्चित किया जाएगा। नेम प्लेट, साइन बोर्ड का आकार, रंग और लिखावट भी प्राधिकरण तय करेगा।

अयोध्या का रंग केसरिया हो सकता है

कौन से शहर के मुख्य मार्ग की इमारतें किस रंग की होंगी, यह अभी तय नहीं है, लेकिन उस शहर की पहचान खो ध्यान में रखते हुए उसका रंग तया किया जा सकता है और रंग एक नहीं दो भी हो सकते हैं। जैसे भगवान राम की नगरी होने से अयोध्या के मुख्य मार्गों का रंग केसरिया या उससे मिलता-जुलता तय किया जा सकता है। इसी तरह ताजनगरी आगरा के मुख्य मार्ग की इमारतों का रंग ताजमहल की तरह सफेद तय हो सकता है। राजधानी लखनऊ के मुख्य मार्गों का रंग गुलाबी या पीला रखा जा सकता है।

1976 में जयपुर हुआ गुलाबी नगर

राजस्थान की राजधानी जयपुर की स्थापना के 100 साल से भी ज्यादा समय बाद इस नगर को गुलाबी नगर की संज्ञा दी गई। इससे पहले इस शहर को केवल जयपुर के ही नाम से जाना जाता था। उस वक्त जयपुर का रंग पीला और सफेद हुआ करता था। जयपुर ने 1818 में ईस्ट इंडिया कंपनी से संधि की। इसके साथ ही जयपुर के आधुनिकीकरण का दौर भी शुरू हो गया। चूंकि सवाई जयसिंह ने इसकी स्थापना की थी इसलिए इसे जयपुर कहा गया। वर्ष 1876 में इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ और प्रिंस ऑफ वेल्स युवराज अल्बर्ट जयपुर आने वाले थे।

उस समय जयपुर के महाराजा सवाई रामसिंह इनकी तैयारियों में जुटे थे। इनके वेलकम के लिए पूरे शहर को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा था। शहर की सड़कें साफ कर उनके किनारे फूल-पत्तियां लगाई जा रही थीं। महाराजा सवाई रामसिंह के मन में सूझा कि क्यों न पूरे शहर को एक रंग में रंग दिया जाए। फिर उन्होंने उच्च अधिकारियों से इस बात की मंत्रणा की और परकोटे में स्थित पूरे शहर को गुलाबी रंग से रंग दिया। उसके बाद से यह शहर गुलाबी हो गया जो बाद में चलकर गुलाबी नगर कहलाया।

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