Mother's Day: कोरोना से जंग के लिए इस मां ने अपने बच्चों को बनाया 'योद्धा'
नर्स पहले तो कोरोना वार्ड में ड्यूटी करती हैं फिर घर पर अपने दो बच्चों और पति के साथ मास्क भी सिलती हैं। बाद में फ्री में उनका वितरण भी।
कन्नौज। कहते हैं नजरिया जब पॉजिटिव होता है तो तारीफ हर कोई करता है, सफलता भी मिलती है। ज्यादातर लोग किसी योजना का लाभ पाने के लिए सरकार या विभाग के भरोसे रहते हैं, लेकिन एक स्टाफ नर्स ऐसी भी हैं जो पहले तो कोरोना वार्ड में ड्यूटी करती हैं फिर घर पर अपने दो बच्चों और पति के साथ मास्क भी सिलती हैं। बाद में फ्री में उनका वितरण भी। अब हरे रंग के कपड़े के मास्क की क्वालिटी और बेहतर कर दी है।
कोरोना मरीजों का इलाज के बाद नर्स करती है ये काम
उत्तर प्रदेश के कन्नौज राजकीय मेडिकल कॉलेज में तैनात स्टाफ नर्स सरिता वर्मा कोरोना महामारी में कई जिम्मेदारियां सम्भाल रही हैं। परिवार की जिम्मेदारी तो है ही, इन दिनों मेडिकल कॉलेज में कोरोना मरीजों की देखभाल के अलावा घर पर कपड़े के मास्क भी तैयार करने में जुटी हैं। फिर उसका वितरण भी करती हैं।
दो बच्चों और पति के साथ बनाती हैं कपड़े का मास्क
मास्क बनाने के काम मे उनके पति राघवेंद्र वर्मा, बेटी और बेटा भी करता है। जब भी समय मिलता है वह हाथ की मशीन से फटाफट मास्क सिलने बैठ जाती हैं। स्टाफ नर्स सरिता वर्मा बताती हैं कि मेडिकल कॉलेज में जब फरवरी तक ड्यूटी करने जाते थे तो मास्क के चार-पांच पैकेट तक मिल जाते थे, कोरोना का संक्रमण शुरू हुआ तो दो पैकेट ही मिलने लगे। मांग के हिसाब से हर जगह आपूर्ति कम हो गई। सरिता ने बताया कि भविष्य में इसकी कमी महसूस न हो तो घर पर खुद ही मास्क सिलने की ठानी। फिर क्या बाजार से कपड़ा खरीद लाईं और अपने हाथों से सिलाई मशीन दौड़ा दी। मास्क सिलने के बाद उसको सीएमएस को भी दिखाया। फ्री में बांटने का सिलसिला भी शुरू कर दिया।
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थ्री लेयर मास्क सिलकर कर्मचारियों को बांटे, अब भी वितरण जारी
सरिता बताती हैं कि फरवरी तक तो उनकी ड्यूटी आर्थो विभाग की ओटी में रही। उसके बाद कोरोना का मेडिकल कॉलेज में आइसोलेशन वार्ड बन गया तो यहां भी सात-सात दिनों की शिफ्टवार ड्यूटी लगने लगी। उन्होंने लोगों को महामारी से बचाने के लिए आइसोलेशन वार्ड में कोरोना संदिग्धों की सेवा तो की ही, साथ ही घर पर कपड़े के मास्क सिलने का सिलसिला शुरू कर दिया, जो अब भी जारी है। स्टाफ नर्स ने बताया कि पहले तो अपने लिए मास्क बनाए, फिर कपड़ा खरीदकर कई मास्क बनाना शुरू कर दिया। अब भी ड्यूटी करने जाती हूं तो बैग में रखकर मास्क ले जाती हूं। जिसके पास नहीं होता है या जरूरतमंद लोगों को फ्री में मास्क दे देती हूं, जिससे वह महामारी से बच सकें।
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इन जरूरतमंदों और स्टाफ में बांटे मास्क
सरिता बताती हैं कि उन्होंने पैरामेडिकल स्टाफ, हॉस्पिटल के सफाईकर्मचारी, मरीजों, सब्जी व फल के ठेली वालों, अखबार वितरकों, सुरक्षा गार्ड आदि जिसने भी मांगे या जरूरतमंद समझा, उसे दिए। अब तक काफी लोगों को मास्क वितरण कर चुकी हैं। अब भी सिलने और बांटने का काम जारी है।
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दोनों बच्चे भी मास्क बनाने में करते सहयोग
सरिता ने मास्क बनाने का काम शुरू किया तो उनके पति राघवेंद्र वर्मा ने साथ ही नही दिया बल्कि तारीफ भी की। इतना ही नही एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाली कक्षा आठ की बेटी सृष्टि और कक्षा सात में पढ़ने वाले बेटा आयुष भी अपनी माँ का हाथ बंटाने लगे। सरिता बताती हैं कि अभी स्कूलों की छुट्टी चल रही है तो बच्चे भी सहयोग करते हैं।
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मेडिकल कॉलेज के सीएमएस ने बताया
राजकीय मेडिकल कॉलेज के सीएमएस डॉ. दिलीप सिंह ने बताया कि स्टाफ नर्स सरिता वर्मा ने ग्रीन कलर के कपड़े के मास्क बनाए हैं। कोरोना के शुरुआती दौर में जब मास्क की दिक्कत थी तो काफी सहयोग किया। उस समय एकाएक डिमांड बढ़ गई थी। उन्होंने बताया कि आइसोलेशन वार्ड में सरिता ने ड्यूटी की है। यहां संदिग्ध मरीजों को रखा जाता है। आगे अगर गंभीर आए तो मेडिकल कॉलेज में ही रखे जाएंगे। पॉजिटिव केस सीएचसी तिर्वा में हैं।
अजय मिश्रा
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