UP News: जेपी नड्डा से मिले ओमप्रकाश राजभर, योगी कैबिनेट में जल्द हो सकते हैं शामिल
UP News: राजभर के एनडीए में आए छह माह हो चुके हैं लेकिन अभी तक वे मंत्री नहीं बन पाए हैं। एक के बाद एक तारीखें आईं और चली गईं मगर उनका इंतजार खत्म नहीं हुआ।
UP News: सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख और पूर्व कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर शुक्रवार को दिल्ली पहुंचे हैं। यहां उन्होंने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से मुलाकात की है। इस मुलाकात को संभावित योगी कैबिनेट के विस्तार से जोड़कर देखा जा रहा है। राजभर के एनडीए में आए छह माह हो चुके हैं लेकिन अभी तक वे मंत्री नहीं बन पाए हैं। एक के बाद एक तारीखें आईं और चली गईं मगर उनका इंतजार खत्म नहीं हुआ। नड्डा से मुलाकात के बाद माना जा रहा है कि जल्द उन्हें योगी मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। राजभर आज अमित शाह से भी मुलाकात कर सकते हैं।
सुभासपा प्रमुख जब से एनडीए में आए हैं, वो दावा करते रहे हैं कि उनका मंत्री बनना तय है। उन्होंने एकबार कहा था, हम मंत्री क्यों नहीं बनेंगे ? क्या विपक्षी दलों के लोग निर्णय ले रहे हैं ? मैं फिर कह रहा हूं कि एनडीए के बॉस विपक्ष के लोग नहीं हैं। इसके प्रमुख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, अमित शाह जी और जेपी नड्डा जी हैं। सब्र रखो, जो लोग परेशान हैं उनसे मैं कह रहा हूं कि वे धैर्य रखें। मुझे आशा है कि उन्हें दिल का दौड़ा नहीं पड़ेगा। हम मंत्री बनेंगे।
राजभर के साथ-साथ दारा सिंह को भी इंतजार
2022 का विधानसभा चुनाव सपा के साथ गठबंधन कर लड़ने वाले ओपी राजभर ने इस साल 16 जुलाई को एनडीए में वापसी की थी। उनसे पहले घोसी से सपा के टिकट पर विधानसभा जीतने वाले पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान ने भी दामन थामा था। दोनों का मानना था कि घोसी उपचुनाव के बाद उनका योगी कैबिनेट में जाना तय है, लेकिन उपचुनाव में मिली करारी हार ने दोनों के इंतजार को लंबा कर दिया। दरअसल, बीजेपी ने इन दोनों कद्दावर ओबीसी नेताओं को लोकसभा चुनाव के दौरान पूर्वांचल के जातीय समीकरण को साधने के लिए अपने साथ लिया था। घोसी उपचुनाव के पहले टेस्ट में दोनों उम्मीदों पर खड़े नहीं उतरे। हालांकि, इसके बावजूद सियासी जानकारों का मानना है कि कम से कम आम चुनाव तक बीजेपी इन्हें नाराज करने का कोई जोखिम नहीं उठाएगी।
बता दें कि योगी कैबिनेट में फिलहाल मंत्री के आठ पद रिक्त हैं। अगर कैबिनेट विस्तार होता है तो कई चेहरों की छुट्टी भी हो सकती है। उनकी जगह पर नए चेहरे और जातीय समीकरण में फिट बैठने वाले नेताओं को मंत्री बनाया जा सकता है।