मीरजापुर: युवा प्रधान ओमप्रकाश बनना चाहते थे डॉक्टर, पेयजल की संकट किया दूर

तहसील मड़िहान के विकास खंड पटेहरा कलां के ग्राम पंचायत हिनौता के युवा प्रधान ओमप्रकाश सिंह जो छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहे। ओमप्रकाश सिंह मात्र 32 वर्ष के है।

Update:2021-02-24 22:22 IST
मीरजापुर: युवा प्रधान ओमप्रकाश बनना चाहते थे डॉक्टर, पेयजल की संकट किया दूर

मीरजापुर: तहसील मड़िहान के विकास खंड पटेहरा कलां के ग्राम पंचायत हिनौता के युवा प्रधान ओमप्रकाश सिंह जो छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहे। ओमप्रकाश सिंह मात्र 32 वर्ष के है। यह अपने ब्लाक पटेहरा के प्रधान संघ के अध्यक्ष भी है। ओमप्रकाश सिंह पोस्ट ग्रेजुएट और टेक्निकल ट्रेड से इलेक्ट्रॉनिक्स पालीटेक्निक तक कि शिक्षा ग्रहण किये है। ओम प्रकाश सिंह पढ़ लिखकर डॉक्टर बनना चाहते थे। मरीजो की सेवा करना चाहते थे लेकिन बन गए गाँव के प्रधान।

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ओमप्रकाश सिं का वैवाहिक जीवन प्रधान बनने के बाद शुरू हुआ। इनकी आठ माह की एक बेटी आन्वि है। इनके पिता का देहांत हो चुका है। यह पटेहरा ब्लाक में सबसे कम उम्र के युवा ग्राम प्रधान है। सबसे पिछड़ा और पेयजल की जटिल समस्या से जूझ रहा गाँव जिसका नाम हिनौता ग्राम पंचायत है। जो पहाड़ के ऊपर का गाँव है। हिनौता ग्राम पंचायत में कुल छः राजस्व ग्राम है। इस गाँव की कुल जनसंख्या पांच हजार है।इस गाँव की दूरी तहसील से लगभग पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस गाँव का सबसे प्रमुख मुद्दा पेयजल को लेकर है।

पेयजल की समस्या से मिला निजात

ओम प्रकाश सिंह पेयजल की समस्या को लेकर ही चुनाव लड़े थे। इन्होंने बतायाकि यह जब से प्रधान बने है। इन्होंने 20 हैंडपंपों का रिबोर करवाया है। इन्होंने गाँव की जनता के लिए 40 समर्सिबल पम्प लगावाकर कुछ जगह सीमेंट की टंकी, कुछ जगह पांच हजार लीटर पानी की टंकी रखवाकर उसमें हर घर नल देने का कार्य किया है। जिसकी वजह से अब हमारे गाँव मे लगभग पानी की समस्या का निदान हो चुका है। ग्राम प्रधान ओमप्रकाश सिंह ने बतायाकि इनके गाँव की महिलाएं दूर दूर से पीने का पानी लेने जाती थी जिसकी वजह से हमने चुनाव लड़ने का फैसला किया। चुनाव जीतने के बाद हम अपने गाँव की जनता से किये वायदे को पूरा कर के दिखाया हूँ।

आठ किलोमीटर की दूरी को किया कम

ओमप्रकाश सिंह ने बतायाकि सबसे बड़ा काम हमने किया है। आजादी के बाद से एक गाँव से दूसरे गाँव मे जाने के लिए रास्ता नही था। जिसकी वजह से आठ किलोमीटर की दूरी तय करके लोग दूसरे गाँव मे जाते थे। हिनौता- लूरकुठिया गाँव मे जमीन विवाद होने के कारण रास्ता चकरोड नही बन पा रहा था। लेकिन हमने आपसी सूझ बूझ से मनरेगा के अंतर्गत हमने चकरोड बनवाकर दोनो गावों के बीच की दूरी एक किलोमीटर से भी कम कर दिया है। ओमप्रकाश प्रधान ने बतायाकि मनरेगा के अंतर्गत हम एक वर्ष में 80 लाख रुपये खर्च किया है।

जिसमे पचास लाख रुपए से ज्यादा मिट्टी का कार्य किये है। उसके बाद 30 लाख रुपए का मैटेरियल का कार्य किया है। मैटेरियल कार्य मे स्कूल की चहारदीवारी से लेकर सीसी रोड, इंटरलॉकिंग सड़क निर्माण नाली निर्माण करवाया हूँ । ग्रामीणों को खेत की सिंचाई में कठिनाई आती थी। ग्रामीणों की कठिनाई दूर करने के लिए हमने पक्की नाली का निर्माण करवाया है। 40 चकमार्ग का निर्माण करवाया है। ऐसी तमाम योजनाओं को हमने जमीन पर उकेरी है जो केंद्र या राज्य सरकार चाहती थी।

ब्लाक में मनरेगा कार्य मे प्रथम

प्रधान ओमप्रकाश ने बतायाकि मनरेगा के अंतर्गत हमने रिकॉर्ड कायम किया है। हम अपने ब्लाक के 50 गाँवो में सबसे अधिक कार्य करके हमने रिकार्ड कायम किया है। जिसमे तालाब निर्माण, बंधी निर्माण, नाली चकरोड , स्कूल की चहारदीवारी, आरसीसी सड़क निर्माण आदि के अनेको कार्य मनरेगा के अन्तर्गत कराया है। जिसकी पड़ताल भी मौके पर जाकर किया गया।

रोजगार के क्षेत्र में

ओमप्रकाश सिंह ने बतायाकि हमारा गाँव आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। जिसमे ज्यादातर श्रमिक हमारे गाँव के निवासी है। हम अपने गाँव के श्रमिको को पलायन करने वालो को रोका है। हमारे गाँव के श्रमिक रोजगार के लिए दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु अन्य शहरों में जाने को मजबूर थे। लेकिन उनके लिए हमने मनरेगा में रोजगार सृजन करने का कार्य किया। लोगो को काम दिया है। महिला पुरुष सभी ने बहुत मेहनत से परिश्रम से कार्य किया है। जिसकी वजह से इतने बड़े तालाब, नाली चकमार्ग का निर्माण हो पाया है।

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आवास और शौचालय बनाने में अव्वल

ओम प्रकाश सिंह ने बतायाकि उनके गाँव के लोग मिट्टी के घरों में रहते थे। उन लोगो ने हमे इस लायक चुना की हम पूरे ग्राम सभा मे कुल 200 आवास व 300 शौचालय का निर्माण कराया हूँ। अभी भी हमारे गाँव मे कुछ ऐसे लोग है जो आवास विहीन है। मिट्टी के घरों में रहते है बारिश में समस्याएं आती है।

चौबीस घंटे रहते है तत्पर

ओमप्रकाश सिंह ने बताया कि गांव की जनता का पिछले 15 वर्षों से सेवा करते आ रहे हैं चाहे अस्पताल हो, चाहे कोई सरकारी विभाग हों। किसी का कार्य हो सरकारी हो या प्राइवेट हो, दिन हो या रात हो, अपनी गांव की जनता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर उनकी सेवा में दिन रात तैयार रहता हूं। कुछ कार्य छूट गए हैं। समय कम था पहले के प्रधानों ने केवल अपना विकास किया था। गाँव से उनको कोई मतलब नही था। हमने गांव की जनता का पूरे पांच वर्ष मेहनत, लगन, ईमानदारी के साथ कार्य किया हूं हमेशा सुख और दुख में साथ में खड़ा रहा हूं। गरीब हो या अमीर हो उसके साथ हमेशा खड़ा हूं। गरीबो का इलाज के लिए अपने गांव की जनता को लेकर साथ-साथ इलाहाबाद, वाराणसी, लखनऊ तक इलाज के लिए जाता हूं। उनकी मदद करता हूं। इसी में हमें खुशी मिलती है।

- बृजेन्द्र दुबे

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