गुरुनानक देव के जन्मदिन पर जानिए कुछ अजीब किस्से

गुरु नानक देव की बाल्यावस्था गाँव में व्यतीत हुई। बाल्यावस्था से ही उनमें असाधारणता और विचित्रता थी। उनके साथी जब खेल-कूद में अपना समय व्यतीत करते तो वे नेत्र बन्द कर आत्म-चिन्तन में निमग्न हो जाते थे। इनकी इस प्रवृत्ति से उनके पिता कालू चिन्तित रहते थे।

Update:2019-04-15 15:00 IST

लखनऊ: पंजाब के तलवंडी नामक स्थान में 15 अप्रैल, 1469 को एक किसान के घर गुरु नानक उत्पन्न हुए। यह स्थान लाहौर से 30 मील पश्चिम में स्थित है। अब यह 'नानकाना साहब' कहलाता है। तलवंडी का नाम आगे चलकर नानक के नाम पर ननकाना पड़ गया। नानक के पिता का नाम कालू एवं माता का नाम तृप्ता था। उनके पिता खत्री जाति एवं बेदी वंश के थे।

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वे कृषि और साधारण व्यापार करते थे और गाँव के पटवारी भी थे। गुरु नानक देव की बाल्यावस्था गाँव में व्यतीत हुई। बाल्यावस्था से ही उनमें असाधारणता और विचित्रता थी। उनके साथी जब खेल-कूद में अपना समय व्यतीत करते तो वे नेत्र बन्द कर आत्म-चिन्तन में निमग्न हो जाते थे। इनकी इस प्रवृत्ति से उनके पिता कालू चिन्तित रहते थे।

मक्का की यात्रा:

इतिहासों में गुरुनानक का यह किस्सा बड़ा मशहूर है,

गुरु नानक के दो शिष्य थे एक का नाम था बाला जो कि हिंदू था और दूसरा मरदाना जो कि मुस्लिम था। मरदाना ने गुरु जी से कहा कि मुझे मक्का जाना है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जब तक एक मुसलमान जब तक मक्का नहीं जाता तब तक वह सच्चा मुसलमान नहीं कहलाता है। नानकदेव ने जब यह बात सुनी तो वह उसे लेकर मक्का चले गए।

गुरुदेव जैसे ही मक्का पहुंचे तो वह थक गए और वहां पर हाजियों के लिए एक आरामगाह बनी हुई थी तो गुरु जी मक्का की तरफ पैर करके लेट गए। अचानक से वहां जियोन नाम का एक आदमी आता है वह कहता है कि आप इसकी तरफ पैर करके नहीं लेट सकते परंतु जैसे ही वह गुरु जी का पांव दूसरी तरफ करता है मक्का भी उसी और चला जाता है। यह देखकर जीयोन को समझ आ जाता है कि यह शख्स कोई आम आदमी नहीं है खुदा का बंदा है और जीयोन तुरंत ही गुरु जी से माफी मांग लेता है।

बाबर ने करवाया था कैद:

जब 1526 में बाबर ने दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी को हराकर मुगल वंश की नींव रखी थी उसी दौर में गुरु नानक यात्रा पर थे और वह बाबर के आक्रमण के चश्मदीद थे। बाबर के कहने पर शहर के बाकी बाशिंदो की तरह, गुरु नानक को भी क़ैदखाने में रखा गया था।

क़ैद होने के बाद भी गुरु नानक ने कीर्तन बंद नहीं किए। एक रोज़ नानक के बारे में जब बाबर को पता चला और वह नानक से मिला तो उनके चेहरे का नूर देखकर, उनके सुंदर शब्द सुनकर प्रभावित हो उठे। उसने मान लिया कि वे संत हैं जिसके बाद उसने गुरु नानक को फौरन रिहा किया।

इस घटना का जिक्र नानकदेव ने गुरुग्रंथ साहिब में किया उन्होंने उसमें कहा हैं, 'बाबरवाणी फिरी गई कुईरू ना रो खाई' इसका का मतलब है कि बाबर का साम्राज्य फैल रहा है, जुल्म की हद ये है कि शहज़ादियों तक ने भी खाना नहीं खाया है। बाबर के ऐसे किस्सों के जिक्र के संग्रह को बाबरवाणी कहा जाता है। इसमें नानक ने बाबर के आक्रमणों का गंभीर आकलन किया है।

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कुछ महत्वपूर्ण उपदेश:

1. गुरु नानक देव ने इक ओंकार का नारा दिया यानी ईश्वर एक है। वह सभी जगह मौजूद है। हम सबका “पिता” वही है इसलिए सबके साथ प्रेमपूर्वक रहना चाहिए।

2. किसी भी तरह के लोभ को त्याग कर अपने हाथों से मेहनत कर और न्यायोचित तरीकों से धन का अर्जन करना चाहिए।

3. कभी भी किसी का हक नहीं छीनना चाहिए बल्कि मेहनत और ईमानदारी की कमाई में से जरूरतमंदों की भी मदद करनी चाहिए।

4. धन को जेब तक ही सीमित रखना चाहिए। उसे अपने हृदय में स्थान नहीं बनाने देना चाहिए अन्यथा नुकसान हमारा ही होता है।

5. स्त्री-जाति का आदर करना चाहिए। गुरु नानक देव, स्त्री और पुरुष सभी को बराबर मानते थे।

6. तनाव मुक्त रहकर अपने कर्म को निरंतर करते रहना चाहिए तथा सदैव प्रसन्न भी रहना चाहिए।

7. संसार को जीतने से पहले स्वयं अपने विकारों और बुराईयों पर विजय पाना अति आवश्यक है।

8. अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन है। इसलिए अहंकार कभी नहीं करना चाहिए बल्कि विनम्र होकर सेवाभाव से जीवन गुजारना चाहिए।

9. गुरु नानक देव पूरे संसार को एक घर मानते थे जबकि संसार में रहने वाले लोगों को एक ही परिवार का हिस्सा।

10. लोगों को प्रेम, एकता, समानता, भाईचारा और आध्यात्मिक ज्योति का संदेश देना चाहिए।

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